Monday, August 11

माननीय मुख्यमंत्री जी नीचे दिये गये बिन्दुओं की जांच कराई जाए, निर्माण का शमन तो हो ही नहीं सकता!एक तरफ मंडलायुक्त जी आईजीआरएस पर आई शिकायतों का सही सत्यापन करने का निर्देश दे रहे है तो मेडा के अधिकारी नियम विरूद्ध निर्माणों का मानचित्र के अनुकूल बताकर निस्तारण कर रहे है

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मेरठ 10 अप्रैल (प्र)। एक तरफ बीते दिवस माननीय मंडलायुक्त जी द्वारा कमिश्नरी सभागार में आयोजित बैठक में आईजीआरएस माननीय मुख्यमंत्री जी के जनशिकायत पोर्टल पर आई शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण निस्तारण करने का निर्देश देकर इस प्रदेश सरकार की प्राथमिकता बताई गई। और कहा गया कि इनकी शिकायतों पर शिकायतकर्ताओं से पूर्ण फिटबैक लें और विस्तार से समीक्षा कर रिपोर्ट भेजें। बताते चले कि पूर्व में कई बार माननीय मुख्यमंत्री जी भी आईजीआरएस पर निस्तारित होकर जा रहे मामलों को लेकर नाराजगी व्यक्त कर चुके है। लेकिन यहां अलग ही नाराज देखने को मिला क्योकि एक तरफ तो माननीय मंडलायुक्त जी आईजीआरएस पर प्राप्त शिकायतों गुणवत्तापूर्ण तरीके से सरकार की प्राथमिकता बताकर निर्देश दे रहे थे।

दूसरी तरफ माननीय उच्च न्यायालय और प्रदेश शासन के द्वारा अवैध निर्माण रोकने हेतु स्पष्ट रूप से अवैध निर्माण का शमन और कम्पाउंड की प्रक्रिया पर रोक लगाई गई है। मगर एमडीए के गढ़ रोड़ से आई शिकायतों से संबंध जेई द्वारा वैशाली कालोनी निवासी डाक्टर नवनीत अग्रवाल के द्वारा लगभग 400/500 गज के बीच दो प्लाटों पर मानचित्र पास बताकर किये जा रहे अवैध निर्माण को सत्यापन करने पहुंचे और मेडा के व्यक्ति द्वारा मानचित्र के अनुरूप बताकर यह कहते हुए कि निर्माणकर्ता को शमन के लिए नोटिस दिया गया है। निस्तारण की रिपोर्ट भेज दी है।
आसपास के लोगों का कहना था कि अपने निहित स्वार्थों को ध्यान रख डा0 नवनीत अग्रवाल से मिलीभगत कर बिना यह देखें कि

  1. मानचित्र क्या क्या बनाने का पास हुआ।
  2. मौके पर क्या क्या बना हुआ है।
  3. जमीन का भूउपयोग क्या है। और उसका इस्तेमाल किस रूप में किया जा रहा है या जाना है।
  4. पूर्ण सरकार की निर्माण नीति के तहत निर्माण है या नहीं।
  5. साईड फ्रंड बैक आदि छोड़कर हुआ या नहीं।
  6. सड़क से जितनी फीट जगह छोड़ी जानी चाहिए वो छोड़ी या नहीं।
  7. जिस भूमि पर निर्माण हुआ वो सरकारी तो नहीं है या हरित पट्टी अथवा रोड़ बाईडिंग की जमीन तो नहीं घेरी गई।
  8. निर्माण नीति के तहत सड़क से जगह छोड़कर हो रहे निर्माण का मानचित्र कैसे हो सकता है पास। रही बात शमन की तो वो तो हो ही नहीं सकता

इन बातों का ध्यान रख पिछले दो साल में माननीय मुख्यमंत्री जी के पोर्टल पर आई जन शिकायतों का जेईयों ने मानचित्र पास बताकर निस्तारण किया उनकी फाईलें निकलवाकर जांच कराई जाए और दोषी जेईयों के विरोध हो कार्रवाई। क्योंकि जांच का निस्तारण गलत करने के साथ साथ अब ऐसा बताया जाता है कि मामले के निस्तारण हेतु शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर भी फर्जी लोगों से करा दिये जाते है। और सरकारी भूमि पर बने निर्माण को पुराना बताकर निस्तारण कर दिया जाता है ऐसा जानकारों व आम नागरिकों का भी कहना और मानना है।
बताते चले कि डाक्टर साहब के अवैध निर्माण में शमन की बात तो निस्तारण में कही गई लेकिन कितना निर्माण शमन होना है और कितना तोड़ा जाएगा और उसका कितना पैसा जमा होगा तथा डाक्टर साहब कब तक फालतू निर्माण तोड़ लेंगे यह कहीं नहीं बताया गया।

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