Tuesday, December 23

जिम्मेदार अगर बीमारी से पहले कारणों की रोकथाम कर लें तो फेफड़ा कैंसर दिवस मनाना ही ना पड़े

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आज दुनिया नागरिकों के स्वस्थ जीवन के लिए विश्व फेफड़ा कैंसर दिवस मना रही है। यह कोई ऐसा शब्द नहीं है कि इसके लिए खुशी मनाई जाए या दिवस लेकिन जिस प्रकार से नई बीमारियां सामने आ रही है उसे ध्यान में रखते हुए यह कह सकते हैं कि बीमारियों के रोकथाम दिवस मनाया जाना जनहित में है। इस दिन डॉक्टर बीमारी होने के कारण, रोकथाम के उपाय में बारे में बताते हैं और जो खामियां सामने आ रही हैं जिनसे बीमारियां बढ़ती हैं उनके बारे में ज्यादातर यह लोग नहीं बोलते लेकिन इस दिन इनके द्वारा ऐसे कारणों को उजागर किया जाता है जो रूक जाएं तो कई बीमारी रूक सकती हैं। जैसा कि आज पढ़ने को मिला कि वायु प्रदूषण गंदगी से जो प्रदूषित माहौल में हम सांस ले रहे हैं वो कई बीमारियों का कारण बन जाती हैं। और टीबी, फेफड़ों का कैंसर होते देर नहीं लगती और अब तो पिछले दिनों एक खबर पता चली कि साधन संपन्न एक परिचित टीबी का शिकार हो गए। यह सुनकर अजीब लगा कि धुल धक्कड़ से दूर वह टीबी का शिकार हो गए। यह बात सामने आई कि सालभर तक सरकारी डॉक्टर और अधिकारी जब यह दिवस मनाते हैं इस बिंदु को लेकर सक्रिय होते हैं लेकिन सालभर तक ना तो यह अधिकारी और निजी डॉक्टर बीमारियों के बारे में बताकर उनके होने के कारणों को रोकने में सक्षम अधिकारियों को नहीं बताते है कि किस प्रकार नगर निगम और स्थानीय निकाय के अफसरों की लापरवाही से धुल, प्रदूषित हवा, जो पैदा हो रही है वो ही बीमारियों का कारण है इसे रोका जाना चाहिए। मेरा मानना है कि स्वास्थ्य से संबंध दिवस तो मनाए जाएं लेकिन सीएमओ और उनके सहयोगी पूरे साल जागरूकता गोष्ठियां करें और स्कूलों में बताया जाए तो बीमारियांें में कमी आ सकती है। इसके इलाज में खर्च होने वाले पैसे से जो बजट बिगड़ता है उसके बचने से विकास कार्यों को गति मिल सकती है। इस बारे में पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी प्रयास कर रहे हैं। बस हमें सक्रिय होने की आवश्यकता है।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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