17 दिसंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कॉम्पलैक्स को खाली करने की अंतिम तिथि १७ मार्च रखी गई थी लेकिन मामला आगे बढ़ता गया और अब कार्रवाई हुई। बताते हैंं कि १९८५ को आवास विकास परिषद का ४०० वर्ग मीटर आवासीय प्लाट काजीपुर निवासी वीरसिंह को आवंटित हुआ। उसने आधे में डेरी और आधे में आठ दुकानें बना दी गई। तब से अनेक बार हंगामे के बाद कार्रवाई जो अदालत में शुरू हुई वो चलती रही। सूचना अधिकार कार्यकर्ता लोकेश खुराना की सक्रियता के चलते आवास विकास के अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ी हुई सेंट्रल मार्केट की दुकानें और डेढ़ हजार अन्य अवैध निर्माण के बारे में आए आदेश के दस माह बाद अवैध कॉम्पलैक्स बीती २५ अक्टूबर को १० सेकेंड से लेकर पांच घंटे में खंडहर में तब्दील हो गया। मलबे के पीछे जो निर्माण रह गया है उसे हथौड़ों से तोड़ने की बात सामने आई है। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान व्यापारी सेंट्रल मार्केट के तो विरोध प्रदर्शन करते रहे लेकिन हमेशा व्यापारी हित के बारे में बोलते रहे बड़े व्यापारी नेता और भाजपाई इस दौरान नजर नहीं आए जिस ताकत से व्यापारी हितों में लड़ने की बात इनके द्वारा की जाती रही है।
बताते हैं कि आवास विकास के एक अधिकारी को थप्पड़ मारने से जो कार्रवाई शुरु हुई उसमें लोकेश खुराना के प्रयासों ने जान डाल दी। और ३५ साल पहले हुए इस निर्माण को अब धराशायी कर दिया गया। मेरठ के प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह का कहना है कि कार्रवाई में भाजपा या सरकार का कोई रोल नहीं रहा। उनकी यह बात बिल्कुल सही है। लेकिन यह भी ठीक है कि सरकार व्यापारियों का निर्माण तोड़ने से पहले आरोपी अधिकारियों की गिरफ्तारी कराने के साथ ही आवास विकास के वर्तमान मुख्य अभियंता राजीव कुमार जिनकी जानकारी में अब भी इस क्षेत्र में आवासीय भूमि पर जैना ज्वैलर्स जैसे भव्य अवैध निर्माण में कॉम्पलैक्स बन रहे हैं इसलिए उनके खिलाफ तो कार्रवाई की ही जा सकती थी। व्यापारियों द्वारा अनिश्चितकाल के लिए बाजार बंद कर काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है क्योंकि अभी जो अन्य अवैध दुकानें हैं अब उनके संचालकों और मालिकों पर खतरा सिर पर मंडराता दिखाई दे रहा है। क्योंकि उनकी ३१ दुकानों के साथ ही १०० अन्य दुकानों पर कार्रवाई की बात सामने आ रही है। दूसरी तरफ आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना का कहना है कि मेरी लड़ाई व्यापारियों से नहीं सिस्टम के खिलाफ है। जो भी हो अवैध निर्माण और भूमि का गलत उपयोग का विरोध हमेशा रहा है। लेकिन सही मायनों में दोषी आवास विकास के अफसरों के खिलाफ कोई कार्रवाई अभी तक नहीं और कॉम्पलैक्स को बुल्डोजर से धराशायी कर दिया गया। इस अवसर पर उठ रहे धुल के गुब्बार में व्यापारियों और उनके परिवारों की चीखें और सिसकियां हृदयविदारक हो गई थी। जो भी हो दो दिन १६ घंटे चली ध्वस्तीकरण की कार्रवाई ने इनसे संबंध व्यापारियों को बुरी तरह तोड़कर रख दिया है। लगभग ३०० पुलिसकर्मियों और १० थानों की फोर्स और प्रशासनिक अमले ने अपनी जिम्मेदारी निभाई लेकिन किसी को भी इस अवेध निर्माणों के लिए दोषी अफसरों का दिखाई नहीं दिया। व्यापारी नेता आशु शर्मा का कहना है कि अभी भी बच सकते हैं आगे धवस्तीकरण से। ऐसा किस आधार पर कह रहे हैं यह तो वो ही जानें। आवास विकास के मुख्य अभियंता राजीव कुमार का कहना है कि तथ्यपरक पत्रावली दिखाई जाने पर जमीन का कब्जा व्यापारियों को दिया जाएगा।
बचपन से लेकर अब तक हमेशा सुनते चले आएं कि अंधेर नगरी दूसरे मुसीबत पड़ने पर साया भी साथ छोड़ देता है जिसका जीता जागता उदाहरण सेंट्रल मार्केट तोड़े जाने के दौरान देखने को मिला क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के नाम पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर रहे अफसरों को जिन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए गए उन पर कार्रवाई की कोशिश क्यों नहीं की गई। दूसरा यह सही है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर व्यापारी नेता भाजपा नेता कार्यकर्ता कार्रवाई तो नहीं रोक सकते थे लेकिन शहर में दो दो व्यापार संघ और नेताओं की भरमार होने के बावजूद जब दुकानदार रो रहे थे तो वहां मौजूद रहकर नेता कम से कम दुखी दुकानदारों और उनके परिवारों को ढांढस तो बंधा ही सकते थे। अब सब अपनी बात कह रहे हैं। जिनकी रोजी रोटी उजड़नी थी वो तो उजड़ ही गई इसके लिए पूर्ण दोषी बढ़ चढ़कर भूमिका निभाते रहे और अब भी सेंट्रल मार्केट जैसे अवैध निर्माण कराकर मुख्य अभियंता राजीव कुमार और उनके सहयोगी खूब माल कमा रहे बताए जाते हैं। अगर नागरिकों का कथन सही है तो जैना ज्वैलर्स अलख पांडे का कोचिंग इंस्टीटयूट, सुपर बेकर्स वाले का निर्माण सहित जागृति विहार और माधवपुरम में जो नियम विरूद्ध निर्माणों की बाढ़ आई हुई है उसे रोकने के लिए कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही।
व्यापारी नेता विनीत शारदा अग्रवाल ने पांच लाख रूपये व्यापारियों को देेने की बात कही है। क्या व्यापारी कैंसर पीड़ित पत्नी का इलाज और बेटियों का विवाह इस रकम से हो सकता है। मेरा मानना है कि निर्माण गलत था तो सजा भी सबको साथ मिले। और सांसद विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों को जल्द मलबा हटवाकर दुकानों की जमीन पर व्यापारियों को कब्जा और अन्य स्थानों पर दुकान बनाने के लिए सस्ती दरों पर भूखंड उपलब्ध कराए जाएं। कुछ लोगों का जो यह मानना है कि कॉम्पलैक्स का ध्वस्तीकरण नजीर बनेगा तो यह तो सब भूल जाएं क्योंकि आवास विकास, मेडा और अन्य विभागों के जिम्मेदार अफसर जब तक अवेध निर्माणें को बचाने का प्रयास और शिकायतों का फर्जी निस्तारण करते रहेंगे तब तक यह नहंीं रूकेगा और ना नजीर बनेगा। यह जरूर है कि ऐसे मामलों में दोषी अफसरों की विस्तार से सूची तैयार कराकर उनके खिलाफ कार्रवाई होने लगे तो ऐसी घटनाएं दोबारा ना हो पाने की नौबत आ पाए। हम अगर अपने शहर की ही बात करें तो सेंट्रल मार्केट जैसे प्रकरण तो शहर को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग लिंक रोड पर देखने सुनने को जनता के अनुसार अवैध निर्माण और कच्ची कॉलोनियों तथा सरकारी जमीन पर बनाए गए शोरूमों को देखकर पता चल सकता है।
मुख्यमंत्री जी आप और सरकार तमाम पीड़ितों को आर्थिक सहायता दे रहे हैं आपसे आग्रह है कि दोषी अधिकारियों को जेल भिजवाने की कार्रवाई करते हुए भविष्य में इस प्रकार कॉम्पलैक्सों को ना तोड़ना पड़े इसके लिए जो भी अफसर ऐसे मामलों के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें चेतावनी दी जाए कि अगर उनके क्षेत्र या कार्यकाल में ऐसा हुआ तो समय से पहले सेवानिवृति और नुकसान की भरपाई उनसे की जाएगी। पीड़ित व्यापारियों को मानवीय दृष्टिकोण से सहायता राशि दिलाने के अतिरिक्त ब्याजमुक्त लोन उपलबध कराया जाए। जो भी हो व्यापारियों के आंसू तो पोंछे ही जाएं।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
अंधेर नगरी और मुसीबत में साया भी साथ छोड़ जाता है सेंट्रल मार्केट ध्वस्तीकरण में देखने को मिला, व्यापारियों को आर्थिक सहायता, ब्याज मुक्त ऋण और सस्ती दरों पर मिले प्लॉट, दोषी अफसरों पर भी की जाए शीघ्र कार्रवाई
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