बड़ौत (बागपत) 25 अक्टूबर। नगर में पहली बार एक साथ 8 दीक्षार्थियों द्वारा दीक्षा लेने को लेकर जहां जैन श्रद्धालु काफी उत्साहित हैं। वहीं दीक्षार्थियों का कहना है कि मौत का कोई भरोसा नहीं है, इसलिए साधु बनकर मानव जीवन को सफल बनाएंगे।
इस अवसर पर दीक्षा ग्रहण करने वाले सिद्धम जो रूर मध्य प्रदेश से हैं और आचार्य विशुद्ध सागर महाराज के सांसारिक भतीजे हैं। उन्होंने बताया कि आचार्य श्री का 2019 में भिंड में चतुर्मास था। मैंने सात साल बाद दिगंबर मुनियों के दर्शन किये थे दर्शन के बाद मैंने रात्रि भोजन और बाजार की वस्तुओं का तभी त्याग कर दिया था। उसी दरम्यान मेरे मित्र की दुर्घटना में मृत्यु हो गईं और कुछ समय बाद पंडित की बेटी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।
दोनों घटनाओं का मुझ पर विशेष प्रभाव पड़ा संसार से विरक्ति हो गई। मुझे महसूस हुआ कि मृत्यु का कोई भरोसा नहीं है, इसलिए सदैव समाधि में साधु बनकर अपने मानवजीवन को सफल बनाना चाहिए।
विपुल भैया भिंड ने बताया कि उन्हें आचार्य श्री की चर्या ने 2019 के भिंड चातुर्मास में विशेष प्रभावित किया। नवंबर 19 में मुनि श्री यशोधर सागर महाराज की गोद भराई के समय उन्होंने दीक्षा का संकल्प लिया और माता पिता की सहमति से आचार्य श्री के चरणों में पहुंचे। उन्होंने बताया कि जब मैंने आचार्य का 2019 में मुक्तागिरि से भिंड के लिए बिहार कराया, तभी मैं उनके उपदेश और प्रवचन से विशेष प्रभावित हुआ।