दैनिक केसर खुशबू टाइम्स
मेरठ, 05 अक्टूबर (विशेष संवाददाता) इस्माईल नेशनल महिला पीजी कॉलेज बुढ़ाना गेट में स्व. सुरेंद्र प्र्रताप जी की स्मृति में बनाए गए सभागार का उदघाटन आज लगभग 11 बजे समारोह के मुख्य अतिथि न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय पंकज मित्थल जी द्वारा तालियों की गडगड़ाहट के बीच फीता काटकर किया गया। साढ़े दस बजे शुरू हुए उदघाटन समारोह में मौजूद मुख्य अतिथि सहित सभी लोगों द्वारा सुरेंद्र प्रताप द्वारा किए गए जनहित के कार्यों को याद करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और इसे बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इस मौके पर स्व. सुरेंद्र प्रताप की धर्मपत्नी श्रीमती शीला देवी का भी अतिथियों ने स्वागत करते हुए उनके सामाजिक कार्यों में सहयोग की प्रशंसा की। सर्वप्रथम मुख्य अतिथि का उपस्थितों ने बुके भेंट कर उनका स्वागत किया।
इस मौके पर शिक्षा क्षेत्र में सुधार हेतु कार्य कर रहे अजय अग्रवाल, अनिल कुमार गुप्ता, मेरठ कॉलेज प्रबंध समिति के अध्यक्ष ओमप्रकाश गुप्ता, सचिव विवेक गर्ग, डॉ. ब्रजभूषण गोयल, प्रदेश के पूर्व मंत्री डॉ. मैराजुददीन अहमद, वरिष्ठ समाजसेवी चौधरी यशपाल सिंह, भाजपा नेता अंकित चौधरी, हर्षवर्द्धन बिटटन, राकेश रस्तौगी, संजीव इस्सर त्यागी, कोमल सिंह, रामकुमार गुप्ता, एससी देशवाल, सुशील कंसल, शुभांकर शर्मा आदि मौजूद नजर आए।
आगुंतकों का स्वागत मनीष प्रताप, अश्विनी प्रताप, करन प्रताप प्रधानाचार्या अनीता राठी, अरूण कुमार गुप्ता द्वारा किया गया। शुभारंभ समारोह के मौके पर कॉलेज की सफाई और सजावट भी उल्लेखनीय थी।
मुख्य अतिथि न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय पंकज मित्थल जी ने कहा कि माँ और जन्मभूमि स्वर्ग से भी अधिक मूल्यवान हैं। मां और मातृभूमि दोनों स्वर्ग से भी बढ़कर होती है और यह मेरा सौभाग्य है कि मेरी जन्मभूमि किसी ना किसी बहाने मुझे बुलाकर सम्मानित करने के अवसर देती है आज के इस प्रेम और सम्मान के लिए मैं विशेष रूप से हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ मनीष प्रताप जी का जिन्होंने आज मुझे एक ऐसी महान विभूति की स्मृति कार्यक्रम में आमंत्रित किया है जिन्होंने अपने जीवन का हर क्षण केवल इस प्रदेश को आगे बढ़ाने में लगाया है फिर चाहे वह उद्योग हो या शिक्षा जगत उन्होंने जितने निस्वार्थ भाव से पूरे तन, मन, धन से जितना कुछ किया वह वास्तव में अदभुत अविश्मरणीय और प्रेरणादायी है।
मेरे मित्रवत बड़े भाई सामान स्वः श्री सुरेन्द्र प्रताप जी जिनके विषय में कुछ भी कहना सूर्य को चौपक विश्वाने की तरह होगा क्योंकि वह एक ऐसे महानायक थे जिनका व्यक्तित्व जिनका गौरम और सबसे चढ़कर सनका निश्चहल स्नेही स्वभाव और मीठी वाणी ऐसी कि जो पहली ही भेंट में किसी को भी अपना कायल बना ले। उनका यूं असमय चले जाना पूरे समाज के लिए एक ऐसी क्षति है, जिसकी भरपाई हम शायद कभी नहीं कर पाएंगे।
उस दिन मुझे बहुत ही प्रसन्नता हुई जब उनके सुपुत्र मनीष प्रताप ने कुछ दिन पूर्व मुझसे भेंट की और बताया कि उन्होंने अपने पिता की स्मृति में इस समागार का निर्माण का है। उनका प्रेमपूर्वक दिया गया निमंत्रण मैंने सहर्ष स्वीकार किया क्योकि ऐसे कर्मयोगी व्यक्ति के स्मृति कार्य का हिस्सा बनना भी अपने आप में एक गौरवपूर्ण सम्मान है। धन्य होते है वे माता-पिता जिनकी संताने उनके जीवन काल में उन्हें जितना मान-सम्मान और प्रेम करती है उतना ही उनके मरणोपरांत आदर्श को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर आजीवन उनको पदचिन्हों पर चलते हैं। उनकी स्मृतियों को जीवित रखने के लिए समय-समय पर इसी तरह के कार्य कराते है ताकि समय की धूल समाज के मन मस्तिष्क में जनके नाम उनकी स्मृति को धुंधला ना कर सके।
स्वतः श्री सुरेन्द्र प्रताप जी एक ऐसे जीवट कर्मयोगी थे जिन्होंने एक साधक की भांति जीवन जिया और अपने जीवन काल में ही अनगिनत लोगों की प्रेरणा बन गए। एक छोटी सी पंक्ति मैंने कहीं पढ़ी थी कि चित्र बनाए जाते हैं लेकिन चरित्रदोहराए जाते हैं और ये पंक्ति स्व. श्री सुरेन्द्र प्रताप के लिए शायद सर्वोत्तम सािबत होगी क्योंकि उनके पुत्र उनके पौत्र उनके मित्र उनके स्वजन जब तक उनकी बातों का अनुसरण करते रहेंगे। आशा करता हूँ कि हम सब भी उसी निष्ठा और सच्चाई से समाज को एक नई दिशा देने की कोशिश कर उन्हें अमर रख पाएगे यही हम सभी की ओर से उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी उनकी भांति सूर्य बनकर पूरी दुनिया को एक साथ जगमगाने की क्षमता हम सब में भले ही ना हा पर उनके दिखाए रास्ते पर चलकर एक दीपक बनकर हम अपने आसपास रोशनी करने में जरूर सक्षम होगे। साथ ही में महाविद्यालय के अवैतनिक सचिव श्री अरूण कुमार गुप्त जी को उदय से आभार प्रकट करता हूं।