Sunday, December 22

कानून लागू करने वालों को जनहित में काम करने हेतु मानसिक रूप से किया जाए तैयार

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अंग्रेजों के जमाने के कानून में बदलावों की आवश्यकता काफी समय से महसूस की जा रही थी। अब केंद्र सरकार द्वारा अपराधिक कानूनों के विधेयक संसद से पास होने पर गत दिवस महामहिम राष्ट्रपति द्वारा भी उन्हें मंजूरी दे दी गई। अब यह उम्मीद की जा सकती है कि सरकार ने इस बारे में निर्णय लिया तो कुछ अच्छा ही होगा। मेरा मानना है कि अन्य पुराने कानूनों में बदलाव होना चाहिए और कुछ कानून जो नौकरशाहों द्वारा आम आदमी को परेशान करने के लिए उपयोग किए जाते हैं को समाप्त किया जाए। एक समाचार के अनुसार आपराधिक कानून से जुड़े तीन विधेयक के लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से भी मंजूरी मिल गई। नए कानून में अलग-अलग तरह के अपराधों पर सख्ती और सजा के कड़े प्रावधान हैं। आइए जानते हैं कि तीन बिल भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम क्या है। इसमें कैसे बदलाव हुए हैं।
भारतीय न्याय सहिंता (बीएनएस) में क्या है?
खबरों के अनुसार भारतीय दंड संहिता की जगह लेने वाले बीएनएस में 511 की जगह 358 खंड होंगे। 21 नए अपराध जोड़े गए हैं। 41 अपराधों में सजा की अवधि, 82 में जुर्माना राशि बढ़ी है। 25 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरू हुई है। छह अपराधों में सजा के रूप में सामुदायिक सेवा के प्रावधान हैं, 19 धाराएं निरस्त की गई हैं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) से क्या बदलाव होगा?
बीएनएसएस को दंड प्रक्रिया संहिता 1898 की जगह लाया गया है। इसमें मजिस्ट्रेट द्वारा जुर्माना लगाने की शक्ति बढ़ी है। अपराध से अर्जित आय को जब्त और कुर्की करने की प्रक्रिया को शामिल किया गया है। तीन से सात साल से कम सजा वाले अपराधों में प्रारंभिक जांच होगी। गंभीर अपराध की जांच डीएसपी स्तर के अधिकारी करेंगे।
भारतीय साक्ष्य विधेयक (बीएसए) किसकी जगह लेगा?
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह इसे लाया गया है। इसमें दो नई धाराएं और छह उप धाराएं जोड़ी गई हैं। इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त बयान साक्ष्य की परिभाषा में शामिल किया गया है। साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को कानूनी मान्यता होगी।
हिट एंड रन केस में क्या सजा?
रोड एक्सीडेंट कर के भागने वालों को दस साल की सजा का प्रावधान है। अगर एक्सीडेंट करने वाला व्यक्ति घायल को अस्पताल पहुंचाता है तो उसकी सजा कम हो सकती है।
ई-एफआईआर का जवाब कितने दिन में मिलेगा?
एक महिला ई- एफआईआर दर्ज करा सकती है। इसका तुरंत संज्ञान लिया जाएगा और दो दिन के भीतर जवाब देने की व्यवस्था है।
मॉब लिंचिंग में कैसी सजा ?
मॉब लिंचिंग जघन्य अपराध है। भीड़ की हिंसा में दोष सिद्ध होने पर आरोपी को मौत की सजा संभव।
जीरो एफआईआर क्या है?
पीड़ित अब किसी भी थाने में जाकर जीरो एफआईआर दर्ज करा सकता है। शिकायत को 24 घंटे में संबंधित थाने में स्थानांतरित करना होगा।
गिरफ्तार लोगों के लिए क्या है? गिरफ्तार लोगों की सूची तैयार करने और उनके रिश्तेदारों को सूचित करने के लिए हर जिले में पुलिस स्टेशन में पुलिस अधिकारी नामित किया जाएगा।
गिरफ्तार व्यक्ति को क्या हक?
पुलिस किसी को गिरफ्तार करती है तो उसकी जानकारी परिवार को देनी होगी। पहले ये जरूरी नहीं था। केस में 90 दिन में क्या हुआ पीड़ित को पुलिस सबकुछ बताएगी।
आरोपी के बगैर ट्रायल संभव है?
आरोपी 90 दिन में कोर्ट में पेश नहीं हुआ तो उसकी गैर मौजूदगी में ट्रायल होगा। दूसरे देशों में छिपे आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो सकेगी।
हिरासत अवधि क्या होगी?
बीएनएसएस के तहत हिरासत अवधि 15 दिन से लेकर 60 या 90 दिन तक हो सकती है। पहले ये सिर्फ 15 दिन थी। हिरासत अवधि अपराध प्रकार पर निर्भर करेगी।
हिरासत से कितने समय में रिहाई?
पुलिस किसी व्यक्ति से शक्ति का दुरुपयोग नहीं कर सकती है। मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना होगा। छोटे मामलों में 24 घंटे के भीतर रिहाई संभव है।
नए कानून लागू होंगे उनका लाभ भी मिलेगा इस आशा के साथ मुझे लगता है सरकार को कुछ ऐसे प्रावधान भी करने चाहिए कि इन नए नियमों को लागू करने और इनका लाभ आम आदमी को पहुंचे इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को इनका पालन कराने को मानसिक रूप से तैयार किए जाए जिससे इनका लाभ पात्रों को मिल सके। क्योंकि देश में जनहित के लिए बने कानूनों की कमी नहीं है। अपराध रोकने के लिए संविधान में बहुत कुछ किया गया है। लेकिन हो क्या रहा है यह किसी से छिपा नहीं है इसलिए नौकरशाहों को नियमों का जनहित में उपयोग करने के लिए प्रेरित करे। तभी इनका कोई लाभ जरूरतमंदों को मिल सकता है। सरकार द्वारा जो यह मशक्कत की गई है वो भी तभी सफल हो पाएगी।

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