Sunday, December 22

सीएम यूपी दें ध्यान! मेडिकल परिसर में हंगामे भरे समारोह पर लगे रोक, कहां गई इनकी मानवीय संवेदनाएं, एक तरफ मरीज कराहते हैं तो दूसरी तरफ यह रंगारंग कार्यक्रम आयोजित करते हैं

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सुखी ओैर स्वस्थ जीवन के लिए मनोरंजन और वो भी संगीत के साथ और पुराने दोस्तों की यादें और हंसी मजाक के बीच हो तो वो सोने में सुहागा के समान है। गत दिवस 1998 बैच के मेडिकल के छात्र रहे देश विदेश से आए डॉक्टरों ने लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज के परिसर में प्रशासनिक भवन के सामने आयोजित रजत जयंती समारोह में इंडियन आइडल 2012 के विजेजा पवनदीप व अरूणिता कांजीलाल के गीतों की मस्ती में सराबोर रहे आयोजक और बाहर से आए चिकित्सक इस मौके पर धूम धड़ाम और नाच गाना खूब हुआ। पुराने छात्रों ने कॉलेज में बिताए हर पल को दोबारा से जीने की कोशिश की तो कुछ को आइकन अवार्ड और कुछ को गोल्डन जुबली अवार्ड से नवाजा गया। समारोह का शुभारंभ कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने किया। मुख्य अतिथि सुषमा गुप्ता रहीं। कुल मिलाकर ऐसे आयोजन और पुराने मित्रों का मिलन होता ही रहना चाहिए क्योंकि इससे देश की खुशहाली और विकास को गति मिलने के साथ साथ जिस क्षेत्र से जुड़े लोगों का आयोजन होता है उसमें नए नए आविष्कार और कीर्तिमान संबंधितों द्वारा कायम किए जाते हैं। इसलिए कुल मिलाकर आयोजन के बारे में तो कुछ नहीं कहना है।
लेकिन संगीतमय धमाल मचाने वाले इस कार्यक्रम में मस्ती के लिए वो सबकुछ हुआ जो हो सकता था। मेडिकल कॉलेज के परिसर में नहीं होना चाहिए था। क्योंकि आंकड़ेबाजी और नए नए दावों के बावजूद मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था और यहां आने वाले मरीजों की हालत से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। दूर दूर से यहां मरीज आते हैं और कुछ तो बहुत ही कष्टों में होते है। जिन्हें लेकर परिजन गमगीन और बीमार व्यक्ति की पीड़ा झेल रहा होता है। एक तरफ दर्दनाक स्थिति और दूसरी तरफ यह संगीत भरे आयोजन और खुशियां कहीं से भी यह प्रदर्शित नहीं करता कि धरती का भगवान कहलाने वाले आयोजकों में संवेदनशीलता है। वरना एक तरफ अपने स्वास्थ्य और बीमारी को लेकर पीड़ित और दूसरी तरफ यह हंगामे का माहौल एक ही परिसर में नहीं होना चाहिए था।
पूर्व में जब यहां पंकज यादव कलक्टर थे तो एक पत्रकार सम्मेलन में यह मुददा मेरे द्वारा उठाया गया था और जब जांच शुरू हुई तो उस समय के प्रधानाचार्य का स्पष्टीकरण आया था कि आयोजन की कोई अनुमति नहीं दी गई थी। और उन्हें उसके बारे में जानकारी भी नहीं थी। तब यह कहा गया था कि आगे से 25 दिसंबर को होने वाला डॉक्टरों का यह आयोजन कॉलेज परिसर में नहीं होगा। लेकिन जैसा कि कहा जाता है कि हम कुछ दिनों बाद बड़ी घटना और बात को भूल जाते है। शायद इस मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। मेरा यूपी के मुख्यमंत्री जी से आग्रह है कि दुखों के मारे व्यक्तियों के आसपास ऐसे आयोजन नहीं होने चाहिए। वैसे भी डॉक्टरों के पास धन की कोई कमी नहीं होती और फिर तमाम दवा कंपनियां लोगों के अनुसार इनके इशारे पर अपना खजाना खोल देती है। इसलिए डॉक्टर अपना यह कार्यक्रम कॉलेज के अलावा किसी फार्म हाउस या होटल में भी कर सकते हैं। पीड़ितों के समक्ष यह होना उचित नहीं है। मेरा तो मानना है कि जो चिकित्सक मेडिकल परिसर में रहते हैं। या अन्य कर्मचारी मानवीय दृष्टिकोण से उन्हें अपने यहां आयोजित खुशियों भरे आयोजन भी मेडिकल परिसर से बाहर करने चाहिए और इसमें कोई समस्या भी नहीं है क्योंकि आसपास कई बड़े विवाह मंडप और फार्म हाउस है। कहने का आश्य सिर्फ इतना है कि दुखियों की कठिनाईयों को नजरअंदाज कर ऐसे आयोजन का होना एक प्रकार से परेशान व्यक्ति का मजाक उड़ाना ही कहा जा सकता है। जो उचित नहीं है। इसलिए मेडिकल परिसर चाहे वह किसी भी जिले में हो उसमें ऐसे समारोह पर प्रतिबंध लगाया जाए। यह वक्त की मांग और गरीब की मजबूरी दोनों का ही आग्रह हो सकता है। मैं तमाम जनहित के विषयों पर न्यायालय में याचिका दायर करने वालों से भी आग्रह करता हूं कि गरीबों की भावनाओं को आहत करने वाले ऐसे कार्यक्रमों पर रोक लगवाने हेतु मानवीय दृष्टिकोण से उन्हें भी आगे आकर प्रशासन से आग्रह करना चाहिए और बात नहीं बनने पर अदालत का द्वार खटखटकाया जा सकता है लेकिन कुछ भी हो ऐसे आयोजन अस्पताल परिसर में नहीं होने चाहिए।

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