प्रयागराज 14 अगस्त। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कोर्स के छात्रों के लिए ट्यूशन फीस बढ़ाने वाली अधिसूचना पर रोक लगा दी है. अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने आन्या परवाल व 239 अन्य छात्रों की याचिका पर दिया.
प्रदेश सरकार ने 5 जुलाई को फीस बढ़ाने की अधिसूचना जारी की थी. अब इस पर अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी. तब तक इस पर रोक लगा दी गई है. अधिसूचना के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2024-25 से एमबीबीएस की ट्यूशन फीस ₹11,78,892 से बढ़ाकर ₹14,14,670 कर दी गई थी.
हापुड़ के जीएस मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने याचिका दाखिल कर प्रदेश सरकार की अधिसूचना को चुनौती दी है. याची के अधिवक्ता निपुण सिंह ने कहा कि फीस में वृद्धि मनमानी और बिना सोचे-समझे की गई थी. उन्होंने यह भी कहा कि इस सत्र के दौरान यह दूसरी बार है जब फीस बढ़ाई गई है, जबकि पहले ही अन्य विविध शुल्क जमा किए जा चुके हैं.
यह भी कहा कि इस अचानक वृद्धि से छात्रों के अभिभावकों पर एक गंभीर वित्तीय बोझ पड़ेगा, क्योंकि कॉलेज के ब्रोशर में दी गई फीस संरचना के आधार पर ही उन्हें प्रवेश दिया गया था. प्रदेश सरकार और निजी संस्थानों ने याचिका का विरोध किया. उन्होंने कहा कि शुल्क वृद्धि ‘यूपी प्राइवेट प्रोफेशनल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस (रेगुलेशन ऑफ एडमिशन एंड फिक्सेशन ऑफ फीस) एक्ट 2006’ के प्रावधानों के अनुसार थी.
यह भी दलील दी कि राज्यपाल ने शुल्क नियामक समिति द्वारा बढ़ाई गई फीस संरचना को मंजूरी दे दी है. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि इस मामले पर विचार करने की आवश्यकता है. अदालत ने प्रतिवादियों को दो सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ताओं को उसके एक सप्ताह बाद जवाबी हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी है.