Wednesday, November 12

दिल्ली ब्लास्ट में मेरठ के मोहसिन की मौत

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मेरठ, 11 अक्टूबर (प्र)। दिल्ली में हुए बम ब्लास्ट में मेरठ के मोहसिन (32) की मौत हो गई। वह करीब दो साल पहले रोजी-रोटी की तलाश में अपने परिवार के साथ दिल्ली गया था। ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था।
मोहसिन मूल रूप से मेरठ के लोहियानगर थाना क्षेत्र के न्यू इस्लामनगर गली नंबर 28 का रहने वाला था। अभी वह दिल्ली में जामा मस्जिद स्थित पत्ता मोहल्ले में किराए के मकान में रहता था। यहीं उसकी ससुराल है। परिवार में पत्नी सुल्ताना, 10 साल की बेटी हिफजा और 8 साल का बेटा आहद है।

मोहसिन सोमवार शाम को ई-रिक्शा से सवारियां लेकर लाल किला की तरफ गया था। ई-रिक्शा चला रहा था। इसी दौरान लाल किले के पास बम ब्लास्ट हुआ। मोहसिन भी इसकी चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई।
आज सुबह मोहसिन का शव मेरठ पहुंचा। शव पहुंचते ही पूरे परिवार में चीख-पुकार मच गई। मोहसिन की पत्नी और बच्चे अभी दिल्ली में ही हैं। उनका कहना है कि मोहसिन को दिल्ली में ही कफन-दफन किया जाए। वहीं, परिवार वाले मेरठ में कफन-दफन करना चाहते हैं। बेटे का शव घर पहुंचते ही मां संजीदा बिलख-बिलखकर रोने लगीं। कहा- मेरे लाल की क्या गलती थी। किसी तरह कमाकर अपना परिवार चलाता था।

मोहसिन की मां संजीदा ने बताया कि दो साल पहले मोहसिन अपने पत्नी और बच्चों को लेकर दिल्ली चला गया। मैंने दिल्ली में काम करने से मना किया था। लेकिन उसकी पत्नी वहीं की थी, इसलिए वहा नहीं माना। मोहसिन अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाना चाहता था और उनके अच्छे भविष्य की नींव रखना चाहता था।

संजीदा ने बताया कि सोमवार की शाम को मोहसिन की पत्नी सुल्ताना ने अपने देवर नदीम को फोन किया। बताया कि बम ब्लास्ट हुआ है और नदीम का कहीं कुछ पता नहीं। वह देर रात तक घर नहीं लौटा। इसके बाद नदीम दिल्ली पहुंचा। उसने नदीम की तलाश शुरू की। जहां उसे पता चला कि मोहसिन की मौत बम ब्लास्ट में हो चुकी है। यह खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। सुबह मोहसिन का शव घर लेकर आए।
बेटे का शव देखकर ही मां संजीदा बिलख-बिलखकर रोने लगीं। कहा- मेरे लाल की क्या गलती थी। किसी तरह रोज 500-600 रुपए कमाकर परिवार चलाता था। इंसानियत के दुश्मनों ने सब कुछ तबाह कर दिया। मेरी बहू शव को लाने नहीं दे रही थी। अभी वह आई भी नहीं है।

मोहसिन नौ भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर था पिता रफीक ने कहा- मोहसिन नौ भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर था। मेरा बेटा रोजी कमाने के लिए दिल्ली गया था। लेकिन बम ब्लास्ट में उसकी जान चली गई। बेटे की मौत के बाद परिवार पर संकट आ गया है। मोहसिन अपने दोनों बच्चों को पढ़ा-लिखाकर कुछ बड़ा बनाना चाहता था। इसी सपने को पूरा करने के लिए वह मेरठ से दिल्ली जाकर ई-रिक्शा चलाने लगा। लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी मौत ही उसे दिल्ली तक खींच ले गई।
बम ब्लास्ट में मारे गए मोहसिन के घर पर लोग संवेदना व्यक्त करने पहुंच रहे हैं। उसके घर पर सैकड़ों लोगों की भीड़ उमड़ रही है। इलाके के लोगों का कहना है कि ई-रिक्शा चलाने वाले उस गरीब की क्या गलती थी? इंसानियत के दुश्मनों ने उसके पूरे परिवार को तबाह कर दिया। अब मोहसिन की मौत के बाद उसके बच्चों की देखभाल कौन करेगा।

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