मेरठ 11 नवंबर (दैनिक केसर खुशबू टाइम्स)। शहर का प्रतिष्ठित एलेक्जेंडर क्लब वर्तमान में सदस्यों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। बताते चले कि इस क्लब के जिलाधिकारी अध्यक्ष होते है लेकिन पिछले कुछ माह से चुने गये कई पदाधिकारियों की कार्यप्रणाली निरंकुश हो गई लगती है। क्योंकि उनसे इस बारे में कुछ पूछे तो उनका कहना होता है कि यह हमारा अधिकार है हम कुछ भी कर सकते है। इस वर्ष क्लब में लगे दीवाली मेले से बड़ी उम्मीद सदस्यों को थी लेकिन एक स्टाल बिना कोई पैसा लिये देने की चर्चा तो चल ही रही है पहली बार सदस्यों में वर्गीकरण करने की भी कोशिश की गई क्योंकि कुछ सदस्यों को अन्दर ले जाकर शराब परोसी गई उसके पैसे पीने वालों से लिये या किसी सदस्य अथवा पदाधिकारी ने पिलाई वो एक अलग बात है। लेकिन सदस्यों को वर्गों में बांटा गया यह क्लब के इतिहास में पहली बार हुआ। मेले में प्रवेश के लिए कहा गया कि वो डिजीटल सत्यापन के बाद होगा जबकि यह व्यवस्था शुरू होने से पहले ही फेल हो गई। हां कई सदस्य फजीहत से बचने के लिए मेला स्थल तक नहीं पहुंचे वो एक अलग बात है। इस पर खर्च को लेकर भी सवाल उठ रहे है। सदस्यों में मौखिक रूप से चर्चा है कि आउट साईडर पहली बार इतनी बड़ी संख्या में मौजूद रहे जबकि चुनाव में यह कहा गया था कि आउट साईडर पर रोक लगेगी। चुनाव के दौरान नई आई कमेटी के पदाधिकारियों ने कहा था कि टैम्पेयरी सदस्यता पर रोक लगाई जाएगी लेकिन बीते दिनों निकाले गये कूपन में सदस्यों के कहे अनुसार महंगा मोबाइल टैम्पेयरी सदस्यों को ही दिया गया। सदस्यों को मानना है कि जब टैम्पेयरी सदस्य वोट नहीं दे सकता तो उसे कूपन निकाले में सहभागिता क्यों दी गई। इसमें कितनी सत्यता है यह तो क्लब वाले ही जाने। लेकिन सदस्यों का मौखिक रूप से कहना है कि पुरानी व्यवस्था को सही करने के नाम पर काफी पैसा बिना बड़ी जरूरत के वापसी लौटाने के लिए खर्च करने की बात चल रही है। कई पुराने सदस्य तो और भी कई मुद्दे गंभीर उठा रहे है जिनकी सत्यता जानकार आगे पाठकों को अवगत कराया जाएगा लेकिन फिलहाल नई कमेटी के कुछ अधिकारियों की निरंकुशता और इसे अपनी दुकान के हिसाब से चलाने की कार्यप्रणाली की खूब निंदा सदस्यों द्वारा मौखिक रूप से की जा रही है। चुनाव से पूर्व हुई एजीएम में उपाध्यक्ष द्वारा कहे गये दो शब्दों को लेकर चुनाव में काफी आलोचना नये चुने गये पदाधिकारियों द्वारा की गई भी इस पैनल के पदाधिकारियों उम्मीदवारों द्वारा लेकिन अपने आप। बिलकुल ही अजीब तरीके से क्लब चलाये जाने की कई चुने गये कार्यकारिणी सदस्यों के द्वारा भी मेले के दौरान आलोचना की जा रही थी। यह खूब सुना जा रहा है कि नये पदाधिकारी चुने गये कार्यकारिणी सदस्यों से तालमेल बैठाने और उन्हें काम बांटने में भी अभी पूरी तौर पर सफल नहीं हुए है। आखिर आगे का कार्यकाल वो किस प्रकार से चलाएंगे यह लगभग बीते दो माह में धीरे धीरे स्पष्ट हो रहा है।
सदस्यों को दो वर्गों में बांटने निरंकुश कार्यप्रणाली अपनाने के एलेक्जेंडर क्लब की नई कमेटी पर अभी से उठने लगे है सवाल
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