लखनऊ 04 अगस्त। उन्नाव के शुक्लागंज इलाके में रहने वाली सलमा बड़ी अभागी निकली। जब उसकी उम्र मात्र 17 साल थी तो वह अचानक लापता हो गई। उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं रहती थी। 2009 में गायब हुई सलमा ना जाने कैसे पश्चिम बंगाल पहुंच गई। वहां के सुधार गृह में 10 सालों तक उसका इलाज चला। उसकी याददाश्त चली गई थी। इलाज का फायदा मिला और उसकी याददाश्त वापस आने लगी।
सलमा ने अपने घर के बारे में बताया। अधिकारियों ने शुक्लागंज पुलिस से संपर्क किया। बात उसके घर तक पहुंची और वो दिन आ गया जब सलमा 16 साल बाद अपने परिवार से मिलने वाली थी। लखनऊ के राजकीय महिला शरणालय में बंगाल के अधिकारी सलमा को लेकर पहुंचे। इतने सालों बाद अपनी मां को देखकर सलमा के आंख भर आए।
इस बीच, सलमा ने मां से अपने तीनों बच्चों के बारे में पूछा तो मां मुन्नी के आंसुओं की धारा बह निकली। मुन्नी ने बताया कि सलमा के लापता होने के बाद उसके सभी बच्चों की एक-एक कर मौत हो गई। वे तो सलमा को भी मरा हुआ समझ चुकी थीं। यह सब सुनकर कमरे में मौजूद हर शख्स भावुक हो गया। सलमा का निकाह हुआ था। उसके पति का नाम सगीर मोहम्मद है।
आवश्यक कार्यवाही के बाद घरवाले सलमा को अपने साथ लेकर चले गए। बेटी के गम में पिता असलम की मौत हो चुकी है। राजकीय महिला शरणालय के कर्मचारियों ने बताया कि याददाश्त वापस आने के बाद सलमा ने अधिकारियों को अपने गांव के बारे में बताया। उसने बताया कि गंगाघाट के पास उसका घर है। बगल में मस्जिद है और खिलौने की दुकान है। उसने माता, पिता और बहनों के नाम भी बताए।