Saturday, July 27

मोदी और योगी जी 22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में गरीब आदमी की भागीदारी भी हो

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अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था के बीच अलग अलग जगह से लाये गये लगभग 300 कुन्टल फूलों से सजी दिव्य भव्य और नव्य अयोध्या में आज पीएम श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 8 ट्रेनों को दिखाई गई हरी झंड़ी दिखाकर विकास कार्य शुरू किये गये। सुरक्षा बलों की मौजूदगी के चलते छावनी बनी अयोध्या नगरी को दिव्य रूप में सजाया गया। तो 40 मंचों पर 12 टोलियों में 1400 कलाकारों ने दी पीएम के स्वागत की प्रस्तुति। बताते चले कि 22 जनवरी को कांशी के कलश में भरे सरयू के जल से भगवान श्रीराम लला के होने वाले अभिषेक से पूर्व अयोध्या में वोही नजारा प्रस्तुत करने की कोशिश हो रही है जो भगवान राम के वनवास से लौटने के समय रहा होगा। बताते है कि 12 पत्थर पर परखने के बाद तैयार हुई राम लला की अचल मूर्ति के लिए 6 मानक बने आधार कर्नाटक की श्यामल सिला और मकराना के संगमर से बनाई गई तीन मूर्तियों की भव्यता अपने आप में दर्शनीय बताई जा रही है तो मंदिर में जाने वाले विभिन्न पथ मार्ग भव्य रूप में सजाये गये है जिससे राम भक्तों की राह हो आसान। जानकारियों देने के लिए सड़कों पर तमिल व तेलुगु में भी निर्देश पट्टिकायें लगाई गई है। और फोर लेन मार्ग तैयार किये गये है। अयोध्या का महार्षि वाल्मीकि हवाई अड्डा 1463 करोड़ रूपये की लागत से हुआ तैयार तो 241 करोड़ रूपये से तैयार रेलवे स्टेशन की छटा भी निराली है। 100 इलैक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए राम नगरी में गठित की गई है अयोध्या सिटी ट्रांसपोर्ट अर्थोटी यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अत्याधुनिक टेंट सिटी बनाई गई है तो भगवान राम के जीवन काल से जुड़े स्थलों को भी आर्कषक और भव्य रूप दिया जा रहा है।
आज पीएम मोदी ने वहां विकास कार्यों आदि के शिलान्यास किये। राम भक्तों को अयोध्या ले जाने के लिए देशभर से चल रही है स्पेशल ट्रेन जनकपुरी। माता सीता के जन्म स्थान जनकपुरी को भी इस आयोजन से जोड़ा जा रहा है। जिसके लिए रामजी की ससुराल हेतु रवाना होगी पहली पुशपुल ट्रेन जिसमें पहली बार फ्री में कर सकेंगे सफर।
इतना सबकुछ हो रहा है रामभक्त बहुत खुश है। इसलिए कुछ राजनेताओं के इस कथन की पीएम को नहीं करना चाहिए था उद्घाटन और कुछ का ये कहना कि पैसा जनता और सरकार का लग रहा है भाजपा जबरदस्ती वाहवाही लूट रही है को नजरअंदाज कर देश के गांव गली मौहल्लों व शहर अथवा देहात से लेकर विकास व गतिशील नगरों तथा आदिवासी क्षेत्रों मे भी राममय माहौल बनता जा रहा है। कहीं सुन्दरकांड हो रहे है तो कहीं रामायण पाठ कहीं मंदिर सज रहे है तो कही यात्राऐं निकल रही है। राम भक्त इस समय कोई भी मौका ऐसा नहीं चूकना चाहते जो भगवान राम से संबंधित इस आयोजन में कहीं कोई कमी नजर नहीं आये।
राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में बड़े बड़े कलाकार उद्योगपति खिलाड़ी साधु संत और नामचीन नागरिक भाग ले रहे है यह अच्छी बात भी है और हमारे लिए गर्व का समय भी है कि इस अवसर के हम साक्षी बनेंगे भले ही कार्यक्रम स्थल से कई सौ किमी दूर ही क्यों न बैठे हो। भक्तिभाव से परिपूर्ण नजारा तो लाईव देखने को मिलेगा ही।
हो सकता है कि मेरी जानकारी कम हो या इस बात का प्रचार प्रसार न किया जा रहा हो। लेकिन जहां तक वर्ष में एक बार होने वाली राम लीलाओं और टीवी पर आई रामानंद सागर की रामायण में जितना देखा और उससे जो समझा उसके अनुसार भगवान राम ने सारे सुख त्याग वनों का मार्ग अपनाया था और वन विचरण के दौरान सबरी के झूठे बेर तो खाये ही। नदी पार करने के लिए केवट की सहायता भी ली। और इसके लिए इनकी प्रशंसा की गई तो जब श्रीलंका पर जाने हेतु पुल बन रहा था तो गिलहरी ने जो योगदान उसमें दिया उसकी खूब सराहना भी भगवान ने की। जो इस बात का प्रतीक कह सकते है कि वो अगर हनुमान जी को साथ लेकर चल रहे थे तो गिलहरी को भी नजरअंदाज नहीं कर रहे थे। मगर अयोध्या में चल रहे भव्य कार्यक्रमों और 22 जनवरी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए गरीबों को भी आमंत्रित किया गया हो। ऐसा कहीं पढ़ने और सुनने को नहीं मिल रहा है।
देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी और यूपी के माननीय सीएम योगी आदित्यनाथ जी आदि की देश की जनता ऋणी है और आम आदमी तो जो हमेशा ही भक्ति भाव से परिपूर्ण नजर आता है क्योंकि उसका हर काम भगवान की मेहरबानी से ही होता है वो इस अयोध्या आयोजन के लिए उनके ऋणि नजर आते है। मेरा मानना है कि अगर मध्यम दर्जे के आम आदमी जो गरीबी की रेखा में आते हो अगर उन्हें इस आयोजन में आमंत्रित नहीं किया गया है तो अभी बहुत समय है एक जिले से कम से कम ऐसा भाग्यवान व्यक्ति जरूर छांटा जाना चाहिए जो इस जन भावनाओं से जुड़े आयोजन में जाने की कसौटी पर खरा उतरता हो उसे हमारी प्रदेश सरकार द्वारा अपने खर्चे पर अयोध्या लाने लेजाने तथा कार्यक्रम में सम्मान पूर्वक सम्मिलित कराने की व्यवस्था जरूर की जानी चाहिए।
हम किसी के भी विरोधी नहीं है और न उनके आने जाने से हमें कोई एतराज है। मगर क्योंकि जहां तक दिखाई देता है देश और दुनिया में धर्मकर्म और साथ ही आम आदमी के दम पर ही कायम है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें भी अगर इस आयोजन से नहीं जोड़ा गया है तो जोड़ा जाए और इस देश की आबादी के लगभग 90 प्रतिशत के प्रतिनिधि गरीबों व आम आदमी को भी इसमें शामिल किया जाएं बाकी तो धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत और महापुरूषों के कार्यकाल को ताजा करने के लिए मोदी और योगी की सराहना सभी कर रहे है।
(प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री मजीठिया बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य)

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