मेरठ 22 नवंबर (प्र)। स्वच्छता पर 100 करोड़ से ज्यादा खर्च करने के बावजूद भी तीन चरण में सर्वेक्षण रिपोर्ट में मेरठ नगर निगम फिसड्डी है। अंतिम चौथा चरण बचा है, जिसके अब सिर्फ ढाई माह ही शेष हैं। ट्रांसफर स्टेशन, लोहियानगर और मंगतपुरम में कूड़ा प्लांट का बुरा हाल है। महानगर के 17 वार्डाे में डोर-टू-डोर कूड़ा नहीं उठा रहा है। नगर आयुक्त सौरभ गंगवार ने स्वच्छता सर्वेक्षण की रिपोर्ट सुधारने की कवायद शुरू कर दी। वहीं निगम के एक अधिकारी ने विवादित कर्मचारियों को दिल्ली रोड, कंकरखेड़ा और सूरजकुंड डिपो प्रभारी बनवाने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है।
2023-24 स्वच्छता सर्वेक्षण में मेरठ नगर निगम सबसे निचले पायदान 17 वें नंबर पर आया था। प्रत्येक साल फरवरी महीने में इसकी रिपोर्ट आती है। स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट को लेकर महापौर, सांसद विधायक व भाजपा के नेताओं ने नगर निगम के प्रति नाराजगी जताई थी। तीन महीने में लखनऊ से स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम महानगर में मुआयना करनी आती है।
नौ महीने के बाद भी सुधार नहीं हुआ है। अब 2024-25 की रिपोर्ट आने के सिर्फ ढाई महीने बचे है। 73 वार्डाे में डोर-टू- डोर कूड़ा उठाना, लोहियानगर प्लांट पर कूड़े का निस्तारण, आठ करोड़ की लागत से ट्रांसफर स्टेशन, साफ सफाई सहित कई सुधार के लिए नगर निगम 100 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर चुका है।
नगर आयुक्त सौरभ गंगवार ने बृहस्पतिवार को घंटाघर स्थित टाउन हॉल में स्वास्थ्य विभाग के जोनल सेनेट्री अधिकारी-कर्मचारी, सफाई नायक, डोर- टू-डोर कूड़ा उठाने वाली बीवीजी कंपन के साथ बैठक की।
स्वच्छता सर्वेक्षण में मेरठ टॉप-5 की सूची में कैसे शामिल हो, इसको लेकर अधिकारी और कर्मचारियों के साथ मंथन किया। ढाई महीने में क्या-क्या हो सकता अधिकारी और कर्मचारियों ने अपनी अपनी सलाह दी। नगर आयुक्त ने महानगर के समस्त सार्वजनिक, सामुदायिक शौचालयों की नियमित साफ- सफाई, समस्त ढलावघरों से कूड़े का उठान, नाला-नालियों की सफाई एवं सिल्ट उठान कार्य के निर्देश दिए। स्वच्छ वार्ड, स्वच्छ बाजार, स्वच्छ स्कूल की प्रतियोगिता का आयोजन कर जागरूकता कार्यक्रम कराने की बात कही।
11 करोड़ खर्च नहीं कर पाया एसबीएम
स्वच्छ भारत मिशन में करीब 15 करोड़ रुपया स्वच्छता और सौंदर्यीकरण के लिए आता है। उक्त पैसे से एमआरएफ की मशीनरी का क्रय, कलेक्शन एंड ट्रांसपोर्टेशन में सामग्री का क्रय तथा शौचालय निर्माण हुआ। इन मशीनों को निगम नहीं चल पाया। अभी एसबीएम में 11 करोड़ की धनराशि बची है। जिसको नगर निगम खर्च ही नहीं कर सका, नतीजा शासन ने निगम को अगली धनराशि नहीं मिल सकी है। इसको लेकर स्वच्छ भारत मिशन के निदेशालय ने कई बार नग अधिकारियों को जमकर फटकार भी लगाई। धनराशि खर्च न होने के चलते पैसा वापस हो सकता है।