मेरठ 11 जून (प्र)। राशन कार्डों में फर्जी तरीके से बाहरी लोगों के आधार कार्ड जोड़कर प्रतिमाह निकाले जा रहे लाखों रुपये के राशन के खेल का अब पर्दाफाश होगा। फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सरकार ने राशन कार्ड में शामिल सभी सदस्यों की केवाईसी अनिवार्य कर दी है। जिसपर काम शुरू हो गया है। अब प्रत्येक सदस्य को अपने राशन डीलर के पास पहुंचकर मशीन में अंगूठा लगाना होगा। जो सदस्य अपना अंगूठा लगाकर केवाईसी नहीं कराएंगे। उनके नाम का राशन नहीं निकल पाएगा। हालांकि कुछ राशन डीलर अभी भी नए तरीके से राशन में फर्जीवाड़े की पटकथा लिखने की तैयारी में जुटे हैं।
जिले में पात्र गृहस्थी राशन कार्ड 542442 हैं। जिनके सदस्यों की संख्या 2422203 है। अन्त्योदय राशन कार्ड 9216 हैं। इनमें सदस्यों की संख्या 30566 है। कुल मिलाकर जिले में दोनों ही प्रकार के राशन कार्ड 551658 हैं। इनमें 2452769 लाख सदस्य हैं। इनके नाम पर सरकारी राशन दिया जा रहा है। खाद्य सुरक्षा अधिकार अधिनियम के तहत सभी पात्र परिवारों को राशन मिले और राशन के फर्जीवाड़े पर नकेल लगे। इसको लेकर सरकार तरह-तरह के प्रयोग कर रही है। सरकार ने राशन वितरण पर मशीनों का पहरा बैठाया तो राशन डीलर और कुछ अधिकारियों ने मिलकर राशन कार्डों में फर्जी तरीके से सदस्यों के नाम जोड़कर राशन निकालना शुरू कर दिया। सरकार तक शिकायत पहुंची तो अब सरकार ने राशन कार्डों में शामिल सभी सदस्यों की केवाईसी करानी शुरू कर दी। ताकि राशन घोटाला करने वालों पर नकेल कसी जा सके।
जिले में चार हजार से अधिक सदस्यों के नाम फर्जी
जिले के राशन कार्डों में शहर से लेकर देहात तक चार हजार से अधिक फर्जी सदस्य होने का आरोप है। जिसकी शिकायतें कई बार शासन तक पहुंची हैं। शहर, सरधना और मवाना में कई राशन की दुकानें ऐसी बताई जाती हैं, जिन पर एक-एक हजार यूनिट फर्जी चल रही हैं। जिले में ऐसे भी काफी उदाहरण हैं कि राशन कार्डों में उप्र के अन्य जनपदों से ही नहीं बल्कि दूसरे प्रदेशों के लोगों को भी जोड़ा गया है। जिन लोगों को दूसरों के राशन कार्ड में फर्जी तरीके से जोड़कर राशन निकाला जा रहा है वह अपने गृह जनपद में राशन कार्ड बनवाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
फर्जीवाड़े में राशन और कमीशन का खेल
राशन कार्डों में फर्जी तरीके से सदस्यों के नाम जोड़कर सरकारी गल्ला विक्रेता राशन का ही नहीं बल्कि कमीशन का भी खेल कर रहे हैं। राशन डीलर को प्रति क्विंतल राशन वितरण पर 90 रुपये कमीशन दिया जाता है। एक तरफ कई-कई सदस्यों के नाम पर राशन निकालना और दूसरे कमीशन हजम करना, एक बड़ा खेल है। इसी खेल से आपूर्ति विभाग के अधिकारी अनभिज्ञ नहीं हैं।
जिसकी केवाईसी, उसी के नाम पर मिलेगा राशन
सरकार ने निश्चित कर दिया है कि राशन कार्ड में जितने सदस्य हैं। उन सभी को अपने राशन डीलर की दुकान पर पहुंचकर मशीन में अपना अंगूठा लगाना पड़ेगा। इतना ही नहीं राशन कार्ड में अंकित परिवार के मुखिया के मोबाइल नंबर पर एक बार ओटीपी जाएगा। इसके बाद अन्य सभी सदस्यों के भी अंगूठे के निशान लेकर केवाईसी की जाएगी। राशन कार्ड में शामिल अगर कोई सदस्य केवाईसी नहीं कराता है तो उसको फर्जी मानते हुए राशन कार्ड से खारिज कर दिया जाएगा। अगर राशन कार्ड में अंकित मोबाइल नंबर बंद हो गया है तो कार्डधारक अपना दूसरा मोबाइल नंबर भी अंकित करा सकता है। ताकि उसपर ओटीपी लेकर केवाईसी की जा सके।