Thursday, July 31

अब यूट्यूब पर होगी नाबालिग यूजर्स की पहचान, AI पकड़ेगा झूठ, खुद पता लगाएगा सही उम्र

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नई दिल्ली 30 जुलाई। YouTube एक नया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिस्टम शुरू करने जा रहा है, जो यह पहचान सकेगा कि कोई यूजर 18 साल से कम उम्र का है या नहीं, भले ही उसने अकाउंट बनाते समय गलत जन्मतिथि ही क्यों न डाली हो। यह नई सुविधा 13 अगस्त से अमेरिका में परीक्षण के तौर पर शुरू की जाएगी और इसके बाद इसे धीरे-धीरे और यूजर्स तक बढ़ाया जाएगा।

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दुनिया भर की सरकारें टेक कंपनियों से बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग कर रही हैं। यूके, यूरोपीय यूनियन और अमेरिका के कई राज्यों ने हाल ही में ऐसी नीतियां लागू की हैं, जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को यूजर की उम्र सत्यापित करने और नाबालिगों को असुरक्षित या अनुचित कंटेंट से बचाने के लिए बाध्य करती हैं।

AI कैसे पहचान करेगा टीन यूजर्स को?
यूजर किन तरह के वीडियो सर्च करता है
किस तरह का कंटेंट वह नियमित तौर पर देखता है
अकाउंट कितने समय से सक्रिय है
इन सभी जानकारियों के आधार पर अगर सिस्टम को लगता है कि यूजर 18 साल से कम उम्र का है, तो वह अपने आप कुछ सुरक्षा नियम लागू कर देगा, चाहे अकाउंट पर दर्ज जन्मतिथि कुछ भी हो।

क्या है नई तकनीक?
YouTube की यह AI तकनीक उपयोगकर्ता के वीडियो सर्च, देखे गए कंटेंट की श्रेणियों और खाते की उम्र जैसे संकेतों का विश्लेषण करेगी। अगर सिस्टम को लगता है कि उपयोगकर्ता 18 साल से कम उम्र का है, तो उनके खाते पर स्वचालित रूप से किशोरों के लिए निर्धारित प्रतिबंध लागू हो जाएँगे। इनमें गैर-वैयक्तिकृत विज्ञापन, संवेदनशील विषयों पर बार-बार वीडियो सुझावों की सीमा, और डिजिटल वेल-बीइंग टूल्स जैसे स्क्रीन टाइम और बेडटाइम रिमाइंडर शामिल हैं। यदि AI गलत अनुमान लगाता है, तो उपयोगकर्ता सरकारी ID, सेल्फी या क्रेडिट कार्ड के जरिए अपनी उम्र सत्यापित कर सकते हैं।

क्यों जरूरी है यह बदलाव?
YouTube पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं और नियामक दबाव के चलते यह कदम उठाया गया है। 2019 में, Google को बच्चों की गोपनीयता कानूनों का उल्लंघन करने के लिए 170 मिलियन डॉलर का जुर्माना भरना पड़ा था। इसके बाद से कंपनी ने बच्चों के लिए सुरक्षित अनुभव सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे YouTube Kids ऐप और सुपरवाइज्ड अकाउंट्स की शुरुआत। यह नई AI तकनीक उन उपयोगकर्ताओं को पकड़ने में मदद करेगी, जो गलत जन्मतिथि दर्ज करके प्रतिबंधों को बायपास करते हैं।

सटीकता पर सवाल
हालाँकि यह पहल बच्चों की सुरक्षा के लिए है, लेकिन विशेषज्ञों ने गोपनीयता और AI की सटीकता को लेकर चिंताएँ जताई हैं। AI उपयोगकर्ता की वीडियो देखने की आदतों का गहरा विश्लेषण करेगा, जिसके लिए स्पष्ट सहमति की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा, अगर कोई वयस्क पुराने कार्टून या बच्चों से जुड़े कंटेंट देखता है, तो उसे गलत तरीके से नाबालिग के रूप में चिह्नित किया जा सकता है। YouTube ने कहा है कि वह इस सिस्टम की बारीकी से निगरानी करेगा और उपयोगकर्ता फीडबैक के आधार पर इसे बेहतर बनाएगा।

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