Thursday, July 31

डाकघरों में रजिस्टर्ड पोस्ट सेवा बंद, महंगे स्पीड पोस्ट से ही पार्सल भेज सकेंगेे

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नई दिल्ली 30 जुलाई। भारतीय डाक विभाग ने अपनी 50 साल से भी पुरानी प्रतिष्ठित सेवा को बंद करने की घोषणा की है. 1 सितंबर से भारतीय डाक विभाग रजिस्टर्ड पोस्ट को पूरी तरह बंद कर देगा और इसे स्पीड पोस्ट सेवा में मिला देगा. समय की मांग को देखते हुए डाक विभाग द्वारा लिया गया यह निर्णय बहुत जरूरी था. हालांकि रजिस्टर्ड माध्यम से डाक भेजने वाले लाखों नागरिकों के लिए यह सिर्फ एक सेवा का अंत नहीं बल्कि एक युग का अंत है. क्योंकि इस सेवा से पुराने लोगों की खट्टी-मीठी यादें जुड़ी हैं.

यह सेवा लाखों लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा थी. रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए डाकिया नौकरी का प्रस्ताव, कानूनी नोटिस, सरकारी सूचनाएं या कोई बधाई पत्र लेकर उनके घर तक पहुंचाता था. जो लोगों की लिए कभी खुशी तो कभी गम लेकर आता था. ये परिवर्तन आज की पीढ़ी को मामूली लग सकता है, जो प्राइवेट कूरियर एप्स और वर्तमान में चल रही ट्रकिंग सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन हमारे माता-पिता वाली पीढ़ी के लोग इस सेवा से भावनात्मक रूप से जुड़े हैं.

भारतीय डाक विभाग ने रजिस्टर्ड पोस्ट को स्पीड पोस्ट सेवा से मिलाने का निर्णय लिया है. सरकार का कहना है कि इस एकीकरण के पीछे परिचालन को व्यवस्थित करना, बेहतर ट्रेकिंग सुविधा और ग्राहकों की सुविधा जैसे प्रमुख कारण शामिल हैं. डाक विभाग के इस फैसले के बाद अब आम आदमी की जेब पर भी भारी असर देखने को मिल सकता है. एक तरफ जहां रजिस्टर्ड सेवा विश्वसनीय और सस्ती हुआ करती थी, वहीं अब उसे महंगी स्पीड पोस्ट सेवा में बदल दिया गया है.

डाक विभाग के सचिव और महानिदेशक ने इस प्रस्ताव को 1 सितंबर से आधिकारिक रूप से लागू करने के निर्देश दे दिया है. सितंबर से पहले सभी सरकारी विभागों, अदालतों और संस्थानों को इसकी जानकारी दे दी जाएगी. पंजीकृत डाक का के सभी दिशा-निर्देशों में 31 जुलाई तक संशोधन किया जाना आवश्यक है. इसमें मानव संचालन प्रक्रिया, प्रशिक्षण सामग्री और तकनीकी दस्तावेज आदि शामिल हैं. पंजीकृत डाक या पावती सहित पंजीकृत डाक जैसे शब्द अब स्पीड पोस्ट में बदल दिए जाएंगें.

ब्रिटिश काल से जुड़ी थी इस सेवा की शुरुआत
रजिस्टर्ड डाक सेवा की शुरुआत ब्रिटिश शासन काल में हुई थी। उस समय यह सेवा इतनी विश्वसनीय मानी जाती थी कि इसके माध्यम से भेजे गए दस्तावेज अदालत में सबूत के तौर पर पेश किए जा सकते थे। बैंकों, सरकारी विभागों, अदालतों और शैक्षणिक संस्थानों ने वर्षों तक इस सेवा का बड़े पैमाने पर उपयोग किया।

वक्त के साथ बदलाव जरूरी
डाक विभाग का मानना है कि डिजिटल युग में और निजी कूरियर कंपनियों की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए यह कदम जरूरी था। ई-कॉमर्स और ट्रैकिंग जैसी आधुनिक सुविधाओं की मांग ने पारंपरिक सेवाओं की प्रासंगिकता को कम कर दिया है। ऐसे में यह बदलाव डाक विभाग को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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