मेरठ 18 दिसंबर (प्र)। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जद में शास्त्रीनगर स्कीम नंबर 3 और स्कीम नंबर 7 के वे सभी 1478 अवैध व्यावसासिक निर्माण आ गए हैं, जिनकी सूची आवास एवं विकास परिषद ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। स्कीम नंबर 7 में स्थित एमआईजी भवन संख्या 661/6 (331 वर्गमीटर) के ध्वस्तीकरण को बचाने के लिए व्यापारियों ने सुप्रीम कोर्ट में शरण ली थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भवन संख्या 661/6 उन सभी 1478 भवनों पर भी ध्वस्तीकरण की तलवार लटक गई है।
आवास एवं विकास परिषद ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की अवैध निर्माणों की सूची में सबसे ज्यादा 860 भू-उपयोग परिवर्तन के मामले स्कीम नंबर 7 में हैं। जबकि शास्त्रीनगर स्कीम नंबर 3 में 618 आवासीय भवनों का उपयोग कॉमर्शियल में हो रहा है। दोनों योजनाओं में कुल 1478 आवासीय भवनों में भू-उपयोग परिवर्तन कर व्यावसायिक गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है।
सेक्टर 2, 3, 6 और ब्लॉक के व एल में सबसे ज्यादा अवैध निर्माण सुप्रीम कोर्ट में दाखिल परिषद की सूची में सबसे ज्यादा भू-उपयोग परिवर्तन के मामले स्कीम नंबर 7 के सेक्टर 2 में 293, सेक्टर 3 में 132 और सेक्टर 6 यानि सेंट्रल मार्केट में 99 आवासों को व्यावसायिक कर दिया गया है। स्कीम नंबर 3 के ब्लॉक के में सर्वाधिक 209 और एल ब्लॉक में 176 आवास कॉमर्शियल हो चुके हैं।
आबूलेन मार्केट को टक्कर देने वाले शास्त्रीनगर सेक्टर 6 की सेंट्रल मार्केट में आवास एवं विकास परिषद ने 48 भूखंड ही व्यावसायिक गतिविधियों के लिए स्वीकृत किए थे। इन प्लाटों में शुरू हुई व्यावसायिक गतिविधियों को देखकर लोगों ने अपने आवासीय प्लॉटों में भी दुकान और कॉम्पलेक्स बनाने शुरू कर दिए। वर्ष 2000 के बाद यहां अवैध भू-उपयोग परिवर्तन की बाढ़ सी आ गई और देखते ही देखते 99 आवासीय भवन पूरी तरह मार्केट में तब्दील हो गए। अब यहां इन भवनों में दुकानों, शोरूम के साथ होटल आदि भी संचालित किए जा रहे हैं। परिषद से मिली जानकारी के अनुसार सेक्टर 6 में कुल आवासीय संपत्ति 754 हैं, जिसमें 607 संपत्ति पर ही वास्तविक भू-उपयोग होता हुआ मिला है। 99 आवासीय संपत्तियों पर भू-उपयोग परिवर्तन कर व्यावसायिक कर दिया है।
3 माह का व्यापारियों को दिया गया समय
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में आवासीय क्षेत्र में भू उपयोग परिवर्तन कर हुए सभी अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने के आदेश दिए हैं। इसके लिए भवन स्वामियों को 3 महीने का समय दिया है। वे इस समय के अंतराल अपनी दुकान खाली कर दें।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण ध्वस्त करने का आदेश आवास एवं विकास परिषद को दिया है। इस कार्य में सभी प्राधिकारी सहयोग करेंगे अन्यथा कोर्ट की अवधारणा के तहत कार्रवाई की जाएगी।
कोर्ट ने इसके साथी आवास एवं विकास के उन सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी आपराधिक एवं विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए हैं जिनके कार्यकाल में सब कुछ होता रहा। हालांकि यह आदेश अभी साइट पर अपलोड नहीं हुआ है।