Saturday, July 27

प्राचार्या डा0 आरसी गुप्ता दे ध्यान! सिर्फ जांच से कुछ होने वाला नहीं! मेरठ मेडिकल कालेज में मरीजों के इलाज कराने में लापरवाही वार्ड ब्यॉज को ही नहीं संबंधित डाक्टरों को मिले सजा

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मेरठ 18 मई (प्र)। केन्द्र और प्रदेश की सरकार घायलों को स्वास्थय सुविधाऐं और जरूरतमंदों को चिकित्सा सुविधा आसानी से निशुल्क उपलब्ध कराने हेतु हर संभव प्रयास कर रही है और इस क्रम में मेडिकल कालेज और अस्पतालों को भारी सुविधाऐं और आर्थिक सहायता देने के साथ साथ प्राईवेट नर्सिंग होमों में भी इलाज कराने के इंतजाम किया गये है। मगर कितने ताज्जुब की बात है कि पश्चिमी उप्र के नामग्रामी मेडिकल कालेजों में से एक एलएलआरएम मेडिकल कालेज में मरीजों के साथ जो व्यवहार और इलाज में अवहेलना की जा रही है उसकी जितनी भी आलोचना की जाए वो कम है। और अब मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डा0 आरसी गुप्ता को यह सोचना होगा कि जांच कमेटी बना देने या वार्ड ब्यॉज की सेवा समाप्त कर देने से कुछ होने वाला नहीं है। गलत जानकारियां देने के लिए डाक्टर आदि के खिलाफ भी करनी होगी कार्रवाई। तभी कुछ सुधार हो सकता है।
बताते चले कि एफआईटी बीसीए के छात्र उमंग ने अपने साथियों नवनीत सिंह और परमजीत सिंह के साथ रिक्शा में बैठाकर 13 मई को सूरज नामक एक मरीज को मेडिकल अस्पताल पहुंचाया गया। इस बात को वहां दर्ज कर सरकार से घायलों को अस्पताल पहुंचाने पर प्रोत्साहन के रूप में मिलने वाली राशि युवक उमंग को दिलाने की बजाए मेडिकल कालेज के प्रबंधन का कहना था कि जिला अस्पताल से रैफर होने पर मेडिकल कालेज लाया गया था। मरीज जबकि जिला अस्पताल के अधीक्षक डा0 कॉस्लेन्द्र सिंह का कहना है कि इमरजेंसी में इसका कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं है जबकि जिस मरीज को रेफर किया जाता है उसका पूरा ब्यौरा दर्ज होता है। इस संदर्भ में गलत जानकारी देने वाले जो भी डाक्टर हो उनके खिलाफ भी वार्ड ब्यॉज विकास रोहन मांगेराम और आकाश की तरह कार्रवाई करते हुए गलत जानकारियां देने वाले डाक्टरों की सेवाऐं भी की जाए समाप्त। प्राचार्या जी सिर्फ जांच बैठाने से कुछ होने वाला नहीं है।
हजारों सिलेंडर ऑक्सीजन रोज बनाने की व्यवस्था होने और अस्पताल में इसकी उपलब्धता बनाये रखने के निर्देशों के बावजूद मेडिकल कालेज के सेवानिवृत्त कर्मचारी की पत्नी को ऑक्सीजन देते समय लगा दिये चार खाली सिलेंडर जिसमें घायल मरीज इंदिरादेवी का निधन हो गया। जब यहां के कर्मचारी रहे 56 वर्षीय त्रिलोक की पत्नी को सही इलाज नहीं मिल पाया तो औरों को यहां के डाक्टर कैसा इलाज दे रहे होंगे इसका अंदाज कोई भी लग सकता है। बताते है कि इसके अलावा भी कई घटनाऐ इलाज में लापरवाही की बीते एक सप्ताह में मेडिकल कालेज में हो चुकी है आखिर पात्रों को न्याय और दोषी डाक्टरों को कब मिलेगी सजा यह विषय चर्चाओं का है। मेरा मानना है कि सरकार को प्राचार्या डा0 आरसी गुप्ता प्राचार्या से लेना चाहिए जबाव कि रामपुर से उपचार के लिए पहुंची अफरोज बेगम तथा सड़क दुर्घटना में घायल कांधला निवासी सोम प्रकाश के इलाज में भी क्यों हुई लापरवाही यह भी देखा जाना चाहिए।

प्राचार्या कर देते है लिपापोती
सही क्या है गलत क्या है यह तो जांच का विषय है लेकिन एक चर्चा विशेष रूप से सुनने को मिलती है जब से आरसी गुप्ता द्वारा मेडिकल कालेज के प्राचार्या का कार्यभार संभाला गया है तब से हर मामले में या तो लिपापोती होती है अथवा या तो दोषी डाक्टरों को बचाने के लिए जांच कमेटी बैठा दी जाती है मगर जो मरीज और उनके अभिभावक परेशान होते है उनके हित में कोई कार्रवाही नहीं होती है।

(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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