मेरठ 25 जुलाई (प्र)। मेरठ में कासिम कृष्णा बनकर मंदिर में रह रहा था। कासिम ने हिंदू वेश धरकर मंदिर में पनाह ली। वो यहां दौराला थाना क्षेत्र के दादरी गांव में रह रहा था। बुधवार को अचानक ग्रामीणों को उस पर शक हुआ। इसके बाद गांव वालों ने उसे पकड़कर पुलिस को सौंप दिया। पूछताछ में सारा मामला खुल गया। बिहार के सीतामढ़ी का रहने वाला (35) कासिम एक शिव मंदिर में 6 महीने से रह रहा था।
ग्रामीणों को जब उस पर शक हुआ तो पूछताछ की गई। तब उसकी असली पहचान सामने आई। इसके बाद ग्रामीणों ने पुलिस बुलाई। मामले की सूचना हिंदू संगठन अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष आदेश चौधरी को दी।
आदेश चौधरी अपनी टीम के साथ थाने पहुंचे। उन्होंने आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई और उच्च स्तरीय जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने मेरठ में स्पष्ट किया था कि कोई भी अपनी पहचान न छिपाए।
चौधरी ने कहा कि कुछ लोग कांवड़ियों के भेष में यात्रा को बदनाम करना चाहते हैं। यह मामला भी उसी से जुड़ा है। साधु के भेष में रहकर धर्म का अपमान किया गया है। इस मौके पर राष्ट्रीय बजरंग दल के जिला अध्यक्ष सचिन गुप्ता और अन्य कार्यकर्ता भी मौजूद थे।
कासिम का चाल चलन देखकर ग्रामीणों ने डेढ़ माह पहले उसे मंदिर से हटा दिया था। बताया कि साधु के चले जाने के बाद मंदिर में दान पात्र से चोरी होने लगे। बुधवार को मंदिर में शिवरात्रि का भंडारा चल रहा था। भंडारे में साधु भी पहुंचा। ग्रामीणों ने उसे दान पात्र से चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। ग्रामीणों ने पूछताछ की तो उसने अपना नाम बिहार के सीतामढ़ी निवासी कासिम बताया।
पूछताछ में ये भी पता चला है कि कासिम इससे पहले दिल्ली फिर मेरठ और उसके बाद मुजफ्फरनगर के खतौली के मंदिर में रह चुका है। दादरी गांव के शिव मंदिर में पंडित के रूप में सेवा कर रहा था। ये भी पता चला कि कासिम ने मंदिर में रहने के लिए कहीं से पूरी ट्रेनिंग भी ली थी। कासिम को कृष्ण बन कर रहने के लिए मंत्र के साथ हाथ की रेखा पढ़नी भी आती थी। वो जरुरत पड़ने पर अपने ठिकाने भी बदलता था।
कासिम पिछले दिनों अपने घर से आधार कार्ड लाकर लाने की बात कह कर 15 दिन के लिए लापता हो गया था। बाद में दोबारा मंदिर में आकर रहने लगा और यहां कुछ दिन पहले हस्तरेखा देखने को लेकर उसकी कुछ ग्रामीणों से कहा सुनी हो गई।
कासिम एक साल पहले दादरी गांव में आया। यहां उसने लोगों से रहने के लिए पनाह मांगी। अपना नाम कृष्णा बताया कहा कि पूजापाठ जानता है। तब गांव के लोगों ने उसे मंदिर में रहने को जगह दे दी। कासिम यहां आकर पूजा पाठ करने लगा और अपने हस्तरेखा ज्ञान से लोगों का भरोसा जीत लिया।
पुलिस पूछताछ में पता चला कि कासिम का पिता अब्बास सीतामढ़ी जिला बिहार में मस्जिद में मौलवी है। कासिम यहां मेरठ में पंडित बनकर रह रहा था। कासिम के यहां नाम बदलकर रहने का क्या कारण है पुलिस इसकी जांच कर रही है। उसके पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है।
उसने अपना नाम कृष्णा पुत्र संतरपाल बताकर मंदिर में स्थान बना लिया था। कावड़ यात्रा से पहले वह मंदिर से चला गया था। यात्रा समाप्त होने के बाद शिवरात्रि के दिन वह वापस मंदिर पहुंचा और दान पात्र की चाबी निकालकर पैसे निकालने लगा।
एसएसपी डॉ. विपिन ताडा का कहना है कि दौराला थाने में एक सूचना मिली थी कि यहां कासिम नामक युवक कृष्णा बनकर रह रहा था। जब उसकी जांच की गई तो सारे आरोप सही मिले हैं। उक्त युवक मंदिर में आने वाले चढ़ावे की चोरी करता था। युवक सीतामढ़ी बिहार का रहने वाला था और इसने मंदिर में अपना नाम बदलकर रहना शुरू किया। उसके पास से फर्जी आइडी बरामद हुई है।
