लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा निर्वाचन आयुक्त पर गलत तरीके से वोट कटवाने के लगाए जा रहे आरोप में विपक्ष के ज्यादातर नेता उनके साथ खड़े हैं। अब यह अभियान सही है या गलत यह सोचना संबंधित व्यक्तियों का काम है लेकिन अच्छा तो यह था कि जैसे यह मुददा चला निर्वाचन आयोग को अपनी बात स्पष्ट कर देनी चाहिए थी तथ्यों के साथ जिससे यह आगे नहीं बढ़ पाता। कुछ लोगों का कहना सही लगता है कि अगर निर्वाचन आयुक्त जिम्मेदारी दिखाते हुए राहुल को घेरने की बजाय अपनी बात साफ कहते तो उसका ज्यादा असर पड़ता। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग लाया जा सकता है। तो कई का कहना है कि राहुल से शपथ पत्र मांगने की बजाय खुद चुनाव आयुक्त शपथ पत्र दें। राहुल गांधी का कहना है कि वोट चोरी देश की आत्मा पर हमला है। सत्ता में आए तो चुनाव आयुक्तों पर कार्रवाई करेंगे। फिलहाल कांग्रेस और विपक्ष द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त के आवास पर प्रदर्शन किया गया है। जिसमें पुलिस से झड़प भी होना बताया गया है। विपक्षी क्षेत्रों से आ रही खबरों से पता चलता है कि विपक्ष पूरी तौर पर उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता मल्लिकार्जुन खरगे का कहना था कि हम डरने वाले नहीं है। धमकियों से कोई नहीं डरता है। पहले राहुल गांधी फिर तेजस्वी और अब अखिलेश यादव का यह स्पष्ट संदेश है कि विपक्ष के नेता मुख्य चुनाव आयुक्त को घेरने के साथ ही उन पर वोट चोरी का जो आरोप लगा रहे हैं उसे लेकर गंभीर दिखाई देते हैं। अगर सीईसी के खिलाफ विपक्षी गठबंधन महाभियोग लाता है तो वो पास होगा यह गारंटी नहीं है लेकिन जानकारों का कहना है कि यह इतिहास बन सकता है। खबरों के अनुसार मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग लाने के कानून सुप्रीम कोर्ट के जजों की तरह है। आर्टिकल 324/5 के तहत उनके खिलाफ संसद में महाभियोग लाया जा सकता है और अगर दोनों सदनों में दो तिहाई सदस्य इसके पक्ष में होते हैं तभी मुख्य चुनाव आयुक्त को पद से हटाया जा सकता है। जहां तक नकली वोटों की बात है तो हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुडडा का यह बयान सही लगता है कि चुनाव आयुक्त शपथ पत्र दें कि देश में कोई भी वोट डबल नहीं हुआ। लोकतंत्र में इस व्यवस्था को जिंदा रखने और निर्वाचन से ग्राम प्रधान से लेकर उच्च पदों के होने वाले चुनावों को कराने और सबकी राय लेने के लिए 18 साल से ज्यादा का व्यक्ति को वोट देने का अधिकार है इसलिए ना तो किसी का वोट कटना चाहिए ना जबरदस्ती बनना। दोनों ही मामलों में कोई सिफारिश ना मानकर संवैधानिक अधिकारों का पालन होना चाहिए।
राहुल जी आप देश के बड़े नेता है। तेजस्वी यादव अखिलेश यादव भी जनमानस के नेताओं में शुमार है। हर व्यक्ति को वोट का अधिकार दिलाने का उनका प्रयास सराहनीय है। लेकिन यह बात अजब है कि जो मुददा चर्चाओं में आ जाए उसके साथ सब खड़े होते हैं मगर जो विषय बड़े स्तर पर ना उठे उस पर कोई ध्यान नहीं देता। जो नेता इस बिंदु पर रोज अपने बयानों से खाद पानी दे रहे हैं उनके स्थानीय पदाधिकारी चुप्पी लगाए बैठे है।
देश की छावनियों में रहने वाले लोग विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वोट देते हैं लेकिन जब कैैंट बोर्ड के चुनाव होते हैं तो कोठी के लोगों के वोट कई आरोप लगाकर काट दिए जाते हैं। यह बात सांसद विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि भी जानते हैं लेकिन उनकी खामोशी अजीब है। क्योंकि जब लोकसभा विधानसभा चुनाव में वोट देने का अधिकार है तो संविधान की कौन सी धारा के माध्यम से छावनी बोर्ड के चुनाव में पुरानी कोठियों में रहने वालों को मतदान से रोका जाता है। कोई गलत कर रहा है तो उसके लिए अदालत हैं। रक्षा संपदा अधिकारी हो या सीईओ वो कोर्ट जाएं लेकिन वोट कैसे काट सकते हैं। ताज्जुब है कि ना तो पार्टियों के पदाधिकारी नेताओं को इस बारे में बता रहे हैं ना बड़े नेता इस ओर ध्यान दे रहे हैं वरना कोई ना कोर्ट तो कैंट क्षेत्र में रहता होगा और उन्हें कोठी के वोट कटने की जानकारी होगी लेकिन चुप्पी क्यो सांधी जाती है।
राहुल जी सत्ता पक्ष तो पूर्ण बहुमत से चुनाव जीतने की ओर लगा हुआ है इसलिए उनके नेताओं को इन बंगलों में रहने वाले नेताओं को चुनाव में जरूरत नहीं लगती है। लेकिन आपने वोट का अधिकार दिलाने के लिए यात्रा की। आपसे अनुरोध है कि छावनियों के अपने पदाधिकारियों को निर्देश दीजिए कि वो ऐसे मामलों में जानकारी कर केंद्रीय नेतृत्व को अवगत कराएं और जो नियम विरूद्ध आम आदमी के अधिकारों को समाप्त किया जा रहा है उसे रोका जाए। जो हजारों मतदाता पिछले कुछ चुनावों से वोट नहीं दे पा रहे हैं उन्हें उनका अधिकार दिलाया जाए।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
राहुल गांधी जी देश के कैंट क्षेत्र की कोठियों में रहने वालों को भी दिलाया जाए मतदान का अधिकार! जब लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मतदान कर सकते हैं तो छावनी बोर्ड के चुनाव में क्यों नहीं
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