मेरठ 11 दिसंबर (प्र)। मेरठ रेल कनेक्टिविटी के नए नक्शे पर दौड़ते हुए धर्मनगरी बनारस को स्पर्श करने की तैयारी में है। संभव है कि मेरठ-लखनऊ वंदे भारत रामनगरी अयोध्या होकर बनारस पहुंचे, जो मेरठ के यात्रियों के लिए अविस्मरणीय होगा। रेलवे बोर्ड ने मेरठ-लखनऊ के बीच संचालित सेमी हाईस्पीड वंदे भारत को बनारस तक चलाने के लिए सर्वे को हरी झंडी दे दी है।
लखनऊ मंडल के अधिकारियों से लखनऊ-बनारस के तीनों रेलमार्गों की फिजिबिलिटी रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद सर्वे, संचालन का समय, हाल्ट एवं किराये पर निर्णय लिया जा सकता है। राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी, सांसद अरुण गोविल समेत कई अन्य ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से ट्रेन को बनारस तक पहुंचाने की मांग की थी।
मेरठ से लखनऊ के बीच वंदेभारत ट्रेन 31 अगस्त से संचालित की जा रही है। किराया ज्यादा होने की वजह से ट्रेन यात्रियों को आकर्षित नहीं कर पा रही। आधी सीटें खाली जा रही हैं। यात्रियों की संख्या में वृद्धि के लिए रेलवे बोर्ड ने ट्रेन को बनारस तक संचलित करने की संभावनाओं को खंगालने के लिए सर्वे का निर्णय लिया है।
लखनऊ से बनारस वाया सुलतानपुर सबसे छोटा रेलमार्ग है, जिस पर सर्वाधिक ट्रेनें हैं। कई ट्रेनें लखनऊ से बनारस वाया अयोध्या पहुंचती हैं, जिस पर वंदे भारत संचालित कर मेरठ को दो धार्मिक नगरों से जोड़ा जा सकता है। लखनऊ से बनारस के लिए तीसरा रेलमार्ग वाया रायबरेली, अमेठी, प्रतापगढ़-जंघई है, जिसे अपग्रेड कर कई लंबी दूरी की गाड़ियां चलाई जा रही हैं।
वंदे भारत ट्रेन को बनारस तक संचालित करने के लिए मेरठ के जनप्रतिनिधियों ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्ण्व को ज्ञापन दिया था। जिस समय मेरठ से वंदेभारत (सुबह 6.35) रवाना होती है उसके आधा घंटा बाद (सुबह 7.05) ही राज्यरानी ट्रेन का संचालन लखनऊ के लिए होता है। जिसका किराया वंदेभारत की तुलना में काफी कम है। इसीलिए ट्रेन को बनारस तक संचालित करने के लिए सर्वे के निर्देश दिए गए हैं।
रेल अधिकारियों की रिपोर्ट के मुताबिक मेरठ-लखनऊ वंदे भारत में 11 दिसंबर को 343 सीट, 12 दिसंबर को 353 सीट, 13 दिसंबर को 347 और 14 दिसंबर को 324 सीटें खाली हैं। संचालन के समय से ही ट्रेन की 50 प्रतिशत सीटें खाली हैं। इस ट्रेन के आधे घंटे बाद राज्यरानी भी लखनऊ जाती है जिसका किराया वंदे भारत से आधा है। ऐसे में यात्री दूसरी ट्रेन पकड़ रहे हैं।