मेरठ 13 जून (प्र)। एनजीटी के आदेश पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट पर प्रशासन की ओर से नगर निगम के खिलाफ पांच करोड़ वसूली के लिए वसूली प्रमाण पत्र (आरसी) जारी कर दी गई है। नगर निगम मामले का निस्तारण होने तक प्रशासन का सबसे बड़ा बकायेदार हो गया है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार 2023 में एनजीटी ने सामाजिक कार्यकर्ता लोकेश खुराना की याचिका पर सुनवाई के दौरान जुर्माने का आदेश दिया था। जुर्माना वसूली का आदेश उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिया गया था। तब से मामला विचाराधीन रहा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, लखनऊ मुख्यालय से गत अप्रैल में डीएम को रिपोर्ट भेजकर नगर निगम से पांच करोड़ की वसूली का अनुरोध किया। उसके बाद प्रशासन ने वसूली वाद के तहत दर्ज कर सदर तहसील को भेज दिया।
15 दिन में नगर आयुक्त को भुगतान करने को कहा गया। साथ ही कारण स्पष्ट करने को कहा गया कि क्यों न राजस्व संहिता के तहत कार्रवाई की जाए। तब से मामला तहसील में विचाराधीन है। नगर निगम, प्रशासन का पांच करोड़ का बकायेदार बना हुआ है।
10 लाख रुपये प्रति माह का लगा था जुर्माना
एनजीटी ने वैज्ञानिक तरीके से कूड़ा निस्तारण न किए जाने, प्रदूषण फैलाने आदि के आरोप में 10 लाख रुपये प्रति माह के हिसाब से पिछले 50 महीनों (एक अप्रैल 2020 से एक मई 2024 तक) का पांच करोड़ रुपये जुर्माना लगाया था। सितंबर-2024 में कूड़े के पहाड़ और प्रतिदिन उत्सर्जित कूड़े का निस्तारण न करने पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नगर निगम पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। जुर्माने की धनराशि 15 दिनों के भीतर जमा करनी थी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में हुई सुनवाई के दौरान बोर्ड ने कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। कहा गया था कि नगर निगम ने राशि जमा न की तो आरसी जारी कराकर वसूली कराई जाएगी।
नगरायुक्त सौरभ गंगवार का कहना है कि यह मामला उच्च स्तर पर अपील में विचाराधीन है। जुर्माने की कार्रवाई के खिलाफ नगर निगम ने अपील कर रखी है। ऐसे में आरसी का कोई मतलब नहीं है। नियमानुसार कार्रवाई कराई जाएगी।