मेरठ 23 जुलाई (प्र)। सुप्रीम फरमान से कांवड़ यात्रा मार्ग के दुकानदारों के चेहरे लिख गए हैं। उनका कहना है कि गैर मुनासिब था नाम का फरमान, लेकिन उन्हें मुल्क की अदालतों पर पूरा एतबार है। वहीं, दूसरी ओर केंद्र की सत्ता में शामिल रालोद व विपक्ष के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। इसको कट्टरता की हार बताया है। कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले होटल ढाबों व दूसरी दुकानों पर नेम सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी भी दुकानदार को नाम लिखने की जरूरत नहीं है, बल्कि खाद्य पदार्थ के प्रकार की जानकारी लिखनी होगी।
मतलब ये है कि खाद्य पदार्थ वेज है या नॉनवेज है, इसके अलावा कुछ भी नहीं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सभी दुकानदारों ने अपनी नाम प्लेट उतर दी है। दरअसल, रविवार को एक हिन्दू संगठन के नेता ने जानी क्षेत्र में पहुंचकर मुस्लिमों की दुकानों व ठेलों पर उनके नाम की प्लेट टांग दी थीं। उसको लेकर काफी नुक्ताचीनी की जा रही थी, लेकिन सोमवार को जब सुप्रीमकोर्ट का आदेश आया तो सभी ने राहत की सांस ली। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश हैं,
लेकिन बार-बार नाम बदलने की क्या जरूरत। इस संबंध में जब आलाधिकारियों से बात करने का प्रयास किया तो वह सवाल से कन्नी काटते नजर आए। शासन-प्रशासन की तरफ से अब तक इस मामले पर कुछ भी बयान नहीं आया है। अधिकारियों की यदि बात करें तो कांवड़ पटरी मार्ग पर अभी ऐसा कुछ नजर भी नहीं आया था, जिससे लगे कि नाम की प्लेट लगाने को लेकर कुछ सख्ती जैसी बात है।
याद रहे कि जयंत चौधरी ने यूपी सरकार के फैसले का विरोध किया था। योगी सरकार के इस फैसले पर सरकार के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल के नेता भी खुश नहीं थे। इस मामले में राष्ट्रीय लोकदल के कई बड़े नेताओं ने सरकार के फैसले को गलत बताया था। रविवार को मुजफ्फरनगर पहुंचे स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री जयंत चौधरी ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया था। जयंत चौधरी ने सीधे तौर पर कहा था कि यह फैसला सोच-समझ कर नहीं लिया गया है, बल्कि अचानक लिया गया फैसला है।
सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। वहीं मेरठ में एक फल वाले ने बताया कि कि नाम लिखने से उनके काम पर असर पड़ रहा था। ऐसा न हो तो वही अच्छा है। एक अन्य ने बताया कि अब सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद उन्होंने ठेले से अपने नाम की तख्ती हटा ली है। एक पान वाले दुकानदार ने भी अपने नाम का बोर्ड हटा लिया है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो अंतरिम रोक लगाई है, वह एक बड़ी राहत है।