मेरठ 23 जुलाई (प्र)। शातिराना अंदाज में अपनों को सजा देने का नया ट्रेंड समाज में फर्जी नशा मुक्ति केंद्र बन गया है। बहाना तो इलाज का है, लेकिन यहां पर मानसिक उत्पीड़न कर जुर्म की इंतहा पार होती है। बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे ये नशा मुक्ति केंद्र रिश्तों की कब्रगाह बन रहे हैं और यहां के हालात जेल से भी बदतर हैं। यह खुलासा सोमवार को जर्मनी की महिला की शिकायत पर जिला प्रशासन ने किया है।
महिला के देवर को यहां सात साल तक बंधक बनाकर रखा गया। प्रशासन ने बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे चार नशा मुक्ति केंद्रों पर छापा मारकर एक केंद्र से 24 लोगों को बंधनमुक्त कराया है जिनकी मानसिक स्थिति को देखते हुए सुभारती मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया फर्जी नशा मुक्ति केंद्र को सील करके संचालक पर मुकदमा कराया। कोतवाली के एक मोहल्ले में रहने वाले को सात साल युवक के परतापुर भूङ्गबराल स्थित नशा मुक्ति केंद्र में इलाज के नाम पर बंधक बना था। उक्त युवक का कसूर था कि वह शराब पीने का आदी है परिवार हर माह पांच हजार रुपये संचालक को पहुंचा देते हैं, लेकिन कभी युवक का हाल नहीं जाना जर्मनी में बैठी भाभी को तरस आया और उन्होंने देवर की तलाश शुरू की। महिला ने गृह मंत्रालय और मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर की।
खोजबीन की तो नशा मुक्ति केंद्र की जानकारी भी महिला को मिल गई। जर्मनी से महिला मेरठ पहुंची और डीएम से की। डीएम ने एसडीएम सदर मुलाकात कमल किशोर देशभूषण की देखरेख में कमेटी गठित कर दी। एसडीएम ने सीओ ब्रह्मपुरी प्रमोद कुमार सिंह, परतापुर पुलिस के साथ भूडबराल में कार्रवाई की।
शराब की बोतलें और सिगरेट मिलीं
नशा मुक्ति केंद्र का रजिस्ट्रेशन नहीं था और मानकों के विरुद्ध संचालित होता मिला मुक्त हुए युवकों ने बताया कि ने तलाशी ली, जहां पर सिगरेट और शराब उनका मानसिक उत्पीड़न हो रहा है। पुलिस की बोतलें मिली। बताया गया कि उक्त युवकों को नशे का सेवन भी कराया जाता था। यहां भर्ती लोग इलाज के नाम पर परिवार की दुश्मनी का दंश झेल रहे हैं। परिवार उनके इलाज के नाम पर रिश्तों को शर्मसार कर रहे हैं। यही कारण है कि कई लोगों ने घर जाने से इन्कार कर दिया।
■ चार केंद्रों पर मारा छापा
पुलिस-प्रशासन को देखकर आसपास के लोगों की भीड़ लग गई। लोगों ने परतापुर में कई फर्जी नशा मुक्ति केंद्र संचालित होने बताए। टीम ने चार केंद्रों पर छापा मारा। सभी नशा मुक्ति केंद्र फर्जी चलते मिले हैं। वहां पर इलाज नहीं, मुक्ति के नाम पर अवैध हिरासत में लोगों को रखा हुआ था।
■ आज देवर से अस्पताल में मिलेगी महिला
महिला ने बताया कि वह मूलरूप से मेरठ के शास्त्रीनगर की है और अब जर्मनी में रह रही है। मंगलवार को सुभारती मेडिकल कॉलेज में पहुंचकर वह देवर से मिलेगी और आगे की कार्रवाई भी करेगी। महिला का कहना है कि उनके देवर अपने ही परिवार का दंश झेल रहे हैं सात साल से उनको बंधक बनाकर रखा हुआ था। फर्जी नशा मुक्ति केंद्र में जब पुलिस और प्रशासन की टीम पहुंची तो उन्होंने खुद देखा कि वहां पर किस तरह लोगों को रखा हुआ था।
■ क्या पुलिस की मिलीभगत से चल रहा था केंद्र
परतापुर में एक नहीं, चार नशा मुक्ति केंद्र बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे हैं। इनमें से एक में इलाज के नाम पर परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर लोगों को अवैध हिरासत में रखा हुआ था। लोगों ने बताया कि नशा मुक्ति केंद्र में पुलिस भी आती रहती थी। सवाल उठता है कि क्या पुलिस की मिलीभगत से यह अवैध नशा मुक्ति केंद्र चल रहे थे। जहां न कोई मनोचिकित्सक और न नशा छुड़ाने की दवाई मिली।
जिलाधिकारी दीपक मीणा ने कहा कि जर्मनी में रहने वाली एक महिला ने शिकायत की थी। जिस पर प्रशासन ने कार्रवाई की है। फर्जी नशा मुक्ति केंद्र में लोगों को अवैध तरीके से रखा हुआ था, जिनको मुक्त कराया है। लोगों के इलाज के बहाने उनका मानसिक उत्पीड़न हो रहा था। केंद्र को सीज कर दिया है और डिप्टी सीएमओ की ओर से परतापुर में मुकदमा दर्ज कराया गया है। दो लोग पुलिस ने हिरासत में लिए हैं।