मेरठ 04 दिसंबर (प्र)। रघुनाथ गर्ल्स पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज मेरठ में “भारतीय ज्ञान परम्परा एवं सांस्कृतिक विरासत के अन्तर्गत पर्यावरणीय स्थिरता में महिलाओं की भूमिका” पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
आज दिनाँक 4.12.2024 को रघुनाथ गर्ल्स पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, मेरठ में प्राचार्या प्रो. निवेदिता कुमारी जी के संरक्षण में सिटीजन वॉइस, संवाद इंडिया मीडिया ग्रुप एवं भारतीय ज्ञान परम्परा तथा वसुधा इको क्लब के संयुक्त तत्त्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
आज के कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती मनीषा अहलावत, उ. प्र. राज्य महिला आयोग की सदस्य रहीं।
इस कार्यक्रम की संयोजिका प्रो. सुनीता चौधरी एवं संचालक डॉ. शुभम त्यागी रहीं।
कार्यक्रम के सह आयोजक प्रशान्त कौशिक (अध्यक्ष संवाद इंडिया, सिटीजन वॉइस) ने संपूर्ण कार्यक्रम का एक संक्षिप्त परिचय दिया।
सर्वप्रथम हमारे मुख्य अतिथियों में ऋचा जी ने “अर्थ ओवरशूट डे” (वह दिन होता है जब पृथ्वी के सभी पारिस्थितिकी संसाधनों और सेवाओं का इस्तेमाल साल के लिए खत्म हो जाता है) से अवगत कराते हुए बताया कि पर्यावरणीय दृष्टि से, हम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन ज़्यादा कर रहे हैं लोगों को इस बात के लिए जागरूक करने की बात पर जोर दिया।
पारंपरिक स्रोतों की बात करते हुए श्री कर्मेंद्र सिंह प्रिंसिपल (गुरु तेग बहादुर पब्लिक स्कूल) ने कहा कि कैसे पारंपरिक रूप में हमारे घरों में पानी को एकत्रित करने के लिए मिट्टी के घड़ों का सेवन किया जाता था, आसपास के पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए पूजन व हवन सामग्री में प्राकृतिक जड़ी-बूटियां का प्रयोग किया जाता था और यह सारे कार्य हमारे घर की स्त्रियों द्वारा किए जाते रहे हैं। जो स्त्री सृष्टि का सृजन करती है वह निश्चय ही प्रकृति के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाती रही है। अन्य अतिथियां में पुष्पेंद्र शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार) ने भारतीय ज्ञान परंपरा पर अपनी बात रखते हुए कहा कि ज्ञान के इस मंदिर में मैं अपनी बात गार्गी, मैत्री और आपला जैसी स्त्रियों से शुरू करते हुए उनके महत्वपूर्ण योगदान पर बात केंद्रित की। अपने प्रेरणात्मक कविताओं से डॉ. ईश्वर चंद्र गंभीर सिंह जी ने महिलाओं की असीम उपलब्धियों पर कविताएं केंद्रित करते हुए अनेक ऐसी बातें पर्यावरण के परिप्रेक्ष्य में भी प्रस्तुत की। भूतपूर्व आई. ए. एस. ऑफिसर डॉ. प्रभात राय ने हर क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को संदर्भित करते हुए पर्यावरण की सुरक्षा को युवाओं का परम कर्तव्य बताया।
मुख्य अतिथि के रूप में मनीषा अहलावत (सदस्य, उ. प्र. राज्य महिला आयोग) ने “इको फेमिनिज्म” पर बात केंद्रित की। इको फेमिनिज्म (नारीवाद और पर्यावरणवाद को जोड़ने वाला एक राजनीतिक और बौद्धिक आंदोलन) पर बात करते हुए कहा कि महिलाओं का उत्पीड़न और पर्यावरण का ह्रास आपस में जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ महिलाओं के प्रयास से ही नहीं बल्कि इस पुरुष प्रधान समाज में पुरुषों का समर्थन भी पर्यावरणीय समस्याओं से मुक्ति दिला पाएगा।
महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोo निवेदिता कुमारी ने सभी छात्राओं से पर्यावरण संरक्षण करने में पारंपरिक संसाधनों के उपयोग पर बल देते हुए उसके महत्व के प्रति जागरूक करते हुए अनुरोध किया कि वो इसमें अपनी सक्रिय भूमिका निभाए।
संपूर्ण कार्यक्रम के दौरान छात्र-छात्राओं की उपस्थिति भी सराहनीय रहीं।
कार्यक्रम में वसुधा इको क्लब एवं भारतीय ज्ञान परंपरा की प्रभारी प्रो. कल्पना चौधरी, पूनम लखनपाल, हर्षवर्धन राजवंशी बिट्टन, ब्रज भूषण गुप्ता, प्रेम कुमार शर्मा, जगमोहन शाकाल, सौरभ दिवाकर शर्मा, पूजा राजपूत, भावना यादव, रिषी कौशिक, रिषभ पाराशर भी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।