Thursday, November 13

वरिष्ठ विधायक अमित अग्रवाल ने मेले नौचंदी को लेकर सीएम से की मुलाकात, विधायक जी प्रयास कर इसकी समय से और धार्मिक दृष्टि से शुरूआत कराई जाए

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उत्तरी भारत के प्रसिद्ध गंगा जमुना तहजीब के चलते नौचंदी मेले की जन चर्चा चलती है तो दूर देश में रहने वाले मेरठ और आसपास के जिलों के नागरिक जो अब बचपन से आगे बढ़ जवानी के दौर में चल रहे है उन्हें इस मेले की मीठी यादें तथा अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के हिलोरे मन लेने लगता है ऐसा विदेशों में रहने वाले यहां के कई नागरिकों का जब वो अपने परिवारों से मिलने आते है तो कहना होता है। होली के बाद एक रविवार को छोड़कर दूसरे को लगने वाले इस मेले का परंपरागत शुभारंभ तो हमेशा होता रहा है। लेकिन पहले उद्घाटन के 15 दिन बाद मेला भरने लगता था और साते आठे नौंवी को तो यहां पैर रखने को जगह नहीं होती थी दर्शकों के कंधे से कंधा मिलते थे। धार्मिक आस्था वाले महिला पुरूष चंड़ीदेवी में पूजा और बच्चे यहां लगने वाले झूलों व खेलों के दुकानों के ईर्द गिर्द दिखने लगते थे। और यहां से निपटने के बाद सब खाने की दुकानों पर पहुंचकर अपनी मनपसंद खाद्य सामग्री कोई हलुवा पराठा तो जबेली कचौरी तो कुछ कच्चा खाना पसंद करते थे कुछ आलू भेलिया मंगाते थे। कुल मिलाकर लगभग एक माह के मेले में हर कोई एक दो बार वहां पहुंचकर मस्ती जरूर करता था। और नौजवान में से तो कुछ परिवार वालों से निगाह बचाकर नौटंकी का रूख करने से भी नहीं चूकते थे।
दशकों तक मन और यादों में समाया रहने वाला यह मेला सरकार की कृपा हुई तो कुछ वर्ष पूर्व प्रांतीय हो गया। तब यह लगा था कि इसमें और सुधार होगा और मेला दर्शकों के आर्कषण का केन्द्र बना रहेगा। लेकिन जैसा देखने को मिल रहा है शुभारंभ तो अब भी परंपरागत तरीके से हो जाता है लेकिन साते आठे नौवीं पर मेला का रूप नजर नहीं आता किन्हीं कारणों से इसे आगे बढ़ाया जाता रहता है और महीने दो महीने बाद इसका शुभारंभ होता तब तक मेला दर्शकों का आर्कषण हो चुका होता हैं। यह बात इस बार भी मेले में दिखाई दी। दुकानदार तो आंधी बारिश से ही प्रभावित रहे दूसरी और बाजार में खरीदारों और पटेल मंड़प में दर्शकों का आभाव नजर आया। मेला लगाने के नाम पर करोड़ों रूपये तो खर्च हुए लेकिन जैसा समाचार की सुर्खियों में पढ़ने को मिला एक भी दिन मेला अपने पुराने शबाव पर नहीं पहुंच पाया।
एक समाचार पत्र में छपी खबर के अनुसार अपने क्षेत्र की जन समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा सक्रिय रहने वाले वरिष्ठ भाजपा विधायक अमित अग्रवाल द्वारा बीते दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से मिलकर मेले के इतिहास से छेड़छाड़ किये जाने का आरोप लगाते हुए कुछ सुझाव दिये।
एक खबर के अनुसार ऐतिहासिक मेला नौचंदी के इतिहास के साथ छेड़छाड़ करके उसे बाले मियां की मजार को जोड़ने का आरोप कैंट विधायक ने लगाते मुख्यमंत्री से कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र सौंपकर दावा किया है कि मेला नौचंदी माता नवचंडी के नाम से लगता है। सांप्रदायिक सौहार्द का नाम देकर बाले मियां की मजार को इससे जबरन जोड़ा जा रहा है। उन्होंने अधिकारियों द्वारा मेले के उद्घाटन के दौरान मजार पर जाकर चादर चढ़ाने व मेला समिति द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता को बंद कराने की मांग की है। मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन से इसका परीक्षण करके कार्रवाई करने और रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
कैंट विधायक अमित अग्रवाल ने हाल में लखनऊ में मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इस संबंध में पत्र सौंपा था। उनका आरोप है कि मेले के उद्घाटन की तिथि होली के बाद दूसरा रविवार निर्धारित है लेकिन हर वर्ष इसे विलंब से आयोजित किया जाता है । यह मेले को नवरात्र से दूर करने की साजिश है। सीएम के प्रमुख सचिव ने जिला प्रशासन को इस मामले का परीक्षण कर कार्रवाई करने और रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। डीएम डा. वीके सिंह ने बताया कि उक्त आदेश की जानकारी नहीं है।
उक्त समाचार को पढ़कर यह लगा कि सीएम को पत्र सौंपने वाले विधायक अमित अग्रवाल मेले की परंपरा कायम कराने के लिए प्रयासरत है। इसे देखकर यह कहा जा सकता है कि वो वर्तमान जिलाधिकारी डा0 वीके सिंह से विचार विमर्श कर इस ऐतिहासिक मेले का परंपरागत स्वरूप और पुरानी पहचान कायम कराने में सफल हो सकते है इस बात को दृष्टिगत रख विधायक जी एक सुझाव है कि यह मेला जैसे पूर्व में लगता था और साते आठे नौवीं दसवीं को भरपूर व्यवस्थाओं के साथ लगा होता था आप थोड़ा सा प्रयास इस संदर्भ में भी कर ले तो मेला प्रेमियों पर आपका बहुत बड़ा अहसान होगा। जहां तक दुकानदारों के आने की बात है तो जैसे पहले आते थे आगे भी आते रहेंगे। और संख्या कम ज्यादा से कोई फर्क नहीं पड़ता मेले की धार्मिक पहचान बनी रहे यह सबसे बड़ी बात है।
विधायक जी इसके लिए आपसे अनुरोध है जैसे कुछ दशक पूर्व जानकारों के अनुसार सांसद विधायक और जन प्रतिनिधियों की एक कमेटी अधिकारियों के साथ बनती थी और बाद में वो विभिन्न क्षेत्रों से सदस्य उसमें रखते थे माननीय सीएम साहब से वो व्यवस्था भी कराई जाए क्योंकि हर बार प्रशासनिक अधिकारियों के इर्दगिर्द घूमने वालों के मनोनयन और फिर जो अफसर कहे वो सही से मेले की महत्ता ही समाप्त होती जा रही है। अगर उसमें भी डीएम और सीडीओ की अध्यक्षता में मेला लगता तो हो सकता था कि कुछ सुधार होता मगर नगर आयुक्त की अध्यक्षता में ऐसी उम्मीद करना संभव नहीं है वो तो अपने ही विभाग को नहीं संभाल पा रहे है। इसलिए मेले के प्रति महत्वपूर्ण प्रयास कर इसकी ऐतिहासिकता कायम कराईये।
प्रस्तुतिः- अंकित बिश्नोई राष्ट्रीय महामंत्री सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए व पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी

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