मेरठ 22 मई (प्र)। जनपद में फर्जी स्टांप के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। अभी तक हुई जांच में 924 प्रकरण सामने आए हैं। फर्जी स्टांप लगाकर भू-संपत्ति का बैनामा कराने से 10 करोड़ से अधिक के राजस्व की हानि हो चुकी है। अब शासन ने जांच के लिए कमिश्नर की अध्यक्षता में एसआइटी गठित कर दी है। यह कमेटी मेरठ के साथ गाजियाबाद में हुए घपले की भी जांच करेगी। उधर, फर्जी स्टांप लगाकर कोषागार से भुगतान कराने के संबंध में एडीएम वित्त ने तीन स्टांप विक्रेताओं का लाइसेंस निलंबित कर दिया है।
पिछले साल जनपद के छह उपनिबंधक कार्यालयों में फर्जी स्टांप लगाने का मामला पकड़ में आया था। जिसके बाद पिछले तीन साल में हुए भू संपत्ति के बैनामों की विस्तृत रूप से जांच शुरू की गई। जांच के दौरान मेरठ शहर में सबसे अधिक गड़बड़ी सामने आई। यहां फर्जी स्टांप लगाकर भू-संपत्ति का बैनामा कराया गया। अभी तक हुई जांच में जनपद में 924 राजस्व चोरी के मामले सामने आ चुके हैं। फर्जी स्टांप के प्रकरण की जांच के लिए प्रदेश के राजस्व सचिव डा. संजीव गुप्ता ने कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे. की अध्यक्षता में एसआइटी का गठन किया है। एसआइटी में अपर पुलिस आयुक्त गाजियाबाद, मुख्य विकास अधिकारी गाजियाबाद व मुख्य विकास अधिकारी मेरठ को शामिल किया है।
दूसरी ओर, एआइजी स्टांप कार्यालय द्वारा राजस्व चोरी करने वालों को सूचीबद्ध कर उन्हें नोटिस भेजा गया है। उन्हें राजस्व जमा कराने के लिए एक मौका दिया गया। इसके बावजूद अभी तक मात्र 30 लोगों ने ही जरूरी स्टांप शुल्क जमा कराया है। फर्जी स्टांप लगाकर रिफंड लेने के प्रकरण में सिविल लाइंस थाने में मुकदमा भी दर्ज कराया गया है। सहायक महानिरीक्षक निबंधक ज्ञानेंद्र सिंह द्वारा की गई जांच में स्टांप विक्रेता शुभम शर्मा, अजय कुमार और आकाश वशिष्ठ की संदिग्धता सामने आई। सहायक महानिरीक्षक निबंधक की संस्तुति पर तीनों स्टांप विक्रेताओं का लाइसेंस एडीएम वित्त ने निलंबित कर दिया। एडीएम वित्त सूर्यकांत त्रिपाठी ने बताया कि अभी तक की जांच में तीन स्टांप विक्रेताओं की भूमिका संदिग्ध होना सामने आने पर उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया है।