Friday, October 31

अवैध रूप से निर्मित इमारतों में नौकरशाहों व जनप्रतिनिधियों का आगमन सरकारी नीति को करता है प्रभावित

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जब से समझ आई एक बात हमेशा सुनते चले आ रहे हैं अजब तेरी दुनिया अजब तेरा खेल छछूंदर के सिर में चमेली का तेल ऐसी अनेक कहावतें ग्रामीण क्षेत्रों में ैक्यों प्रचलित यह तो भगवान जाने मगर यह लाइनें सुनकर व पढ़कर याद आ गई कि अवैध रूप से बने स्कूलों का जब निर्माण हुआ होगा तो नागरिकों के अनुसार किसी ना किसी रूप में भ्रष्टाचार तो हुआ ही होगा क्योंकि इनमें से कुछ की नींव ही नियम विरूद्ध रखी जाती है। ऐसे में भ्रष्टाचार निवारण के लिए अवैध रूप से निर्मित कुछ स्कूलों में केंद्रीय सतर्कता आयोग सीवीसी के आहवान पर जागरूकता सप्ताह के तहत भ्रष्टाचार निवारण के संदेश दिए गए। मैं आयोजकों की मंशा पर तो संदेह नहीं कर रहा हूं लेकिन नागरिकों का यह कहना कि ऐसे अभियान चलाने से पहले यह जरूर देखा जाना चाहिए कि जिस इमारत का हम उदघाटन करने या किसी गोष्ठी में शामिल हो रहे हैं उनका निर्माण कहीं सरकार की निर्माण नीति के विरूद्ध तो नहीं हुआ है। कुछ लोग चर्चा करते हैं कि पहले शासन के यह निर्देश थे कि कोई भी सरकारी अधिकारी या जनप्रतिनिधि अगर किसी जगह आयोजन में जाता है तो पहले उस इमारत वहां की गतिविधियों और संचालक के बारे में जानकारी प्राप्त कर ही वहां जाएं वरना असमर्थता व्यक्त कर दी जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होता। मैं भी समझता हूं कि इसका पूर्ण पालन हो पाना संभव नहीं है लेकिन इतना तो होना ही चाहिए कि ऐेसी जगहों पर होने वाले कार्यक्रमों में जाने से शासन की व्यवस्था और नियम प्रभावित होते हैं। बच्चों ने जो कहा वो सही है। हमारे युवा तो निर्मल मन के होते हैं इनकी भावना को ध्यान में रखते हुए आयोजक और जाने वालों को यह मुझे भी लगता है कि अवैध निर्माणकर्ताओं और स्वच्छ छवि ना होने वालों के यहां जाने से सरकारी अधिकारियों को बचना चाहिए।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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