Thursday, March 13

बिजली चोरी का खर्च लोगों से वसूला जाए

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लखनऊ, 19 जनवरी। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने प्रदेश में बिजली की दरें तय करने की नई नियमावली का मसौदा जारी कर दिया है। मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन-2025 के इस मसौदे में बिजली चोरी, वाणिज्यिक हानियां और कई अन्य खर्चों को बिजली की दरों में शामिल करते हुए उपभोक्ताओं पर ही इसका भार डालने का प्रस्ताव है।

प्रस्तावित नियमावली के मसौदे में इस बात का जिक्र भी है कि भविष्य में निजी कंपनियां जो आएंगी, उन्हें भी आयोग में वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) का प्रस्ताव दाखिल करना होगा। आयोग ने इस प्रस्तावित मसौदे पर 13 फरवरी तक आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं।

नियामक आयोग की ओर से जारी प्रस्तावित नियमावली के मसौदे का राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पुरजोर विरोध किया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा है कि प्रस्तावित मसौदा पूरी तरह निजी घरानों के हक में है। इस मसौदे में बिजली चोरी, वाणिज्यिक हानियां और कई अनाप शनाप खर्चों को बिजली दरों में शामिल कर उपभोक्ताओं पर डालने का प्रस्ताव कहीं से भी स्वीकार नहीं है। इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। ये मसौदा पूरी तरह से निजी घरानों को लाभ पहुंचाने वाला है।

अब तक चोरी-हानि उपभोक्ताओं पर नहीं डाली जाती थीं
वर्ष 2024 में समाप्त नियमावली में स्पष्ट प्रावधान था कि बिजली चोरी और वाणिज्यिक हानियों का भार उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा। वाणिज्यिक हानियां कम करने और बिजली चोरी रोकने के लिए बिजली कंपनियां करोड़ों रुपये विजिलेंस, बिजली थानों आदि पर खर्च करती हैं। उपभोक्ता परिषद के अवधेश वर्मा ने कहा कि इन खर्चों को उपभोक्ताओं पर डालना असंवैधानिक होगा। आयोग अन्य मेंटेनेंस चार्ज, इम्प्लाई कास्ट सभी मानकों में ऐसा बदलाव कर रहा है, जिससे उपभोक्ताओं की बिजली दरें लगातार बढ़ेंगी।

निजीकरण को सरकार से निर्देश पाने का फॉर्मूला
नियामक आयोग ने मसौदे में भविष्य में आने वाली निजी कंपनियों के लिए भी रूपरेखा बना दी है। प्रस्तावित कानून में विद्युत अधिनियम-2003 की धारा-108 को शामिल कर सरकार से निजीकरण के पक्ष में निर्देश पाने का का फार्मूला निकाला गया है। अवधेश वर्मा ने कहा है कि नियामक आयोग को स्वतंत्र संस्था की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। परिषद की तरफ से इस प्रस्तावित कानून पर आपत्ति दाखिल करते हुए सुनवाई के दौरान पुरजोर विरोध किया जाएगा।

निजी कंपनियों का जिक्र उपभोक्ताओं से धोखा
अवधेश वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग जैसी संस्था द्वारा भविष्य में विद्युत वितरण लाइसेंसी के तौर पर दक्षिणांचल-पूर्वांचल में आने वाली निजी कंपनियों के लिए भी मसौदे के जरिये रास्ता साफ किया जा रहा है। यह प्रदेश के 3.45 करोड़ ग्राहकों से धोखा है। आयोग ने मसौदे से कहने की कोशिश की है कि निजीकरण में सरकार विद्युत अधिनियम-2003 की धारा-108 के तहत पास जाएगी तो वह स्वागत करेंगे।

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