बचपन से अब तब बुजुर्गों से एक बात सुनते चले आ रहे हैं कि जैसा राजा वैसी प्रजा। जैसा खाए अन्न वैसा हो मन उक्त कहावत किसने क्यों शुरू की यह तो अलग बात है लेकिन वर्तमान में राजा भी चरित्रवान और सिद्धांतवादी व संत समान है। अन्न भी यह नहीं कह सकते कि बुद्धि भ्रष्ट कर रहा हो। वो बात दूसरी है कि खाने में ऐसा कुछ ना हो और बीमारियां भले ही बढ़ रही हो। उसके बावजूद जो खबरें पढ़ने सुनने को मिलती है कि बहन भाई ने रिश्ता बनाया या मां बेटी से करा रही है दुष्कर्म जैसी घटनाएं सुनकर सिर शर्म से झुक जाता है और यह सोचने पर मजबूर होना पड़ता है कि कानून के इकबाल से ऐसा करने वाले लोग डर क्यों नहीं रहे और इन्हें समाज का खौफ क्यों नहीं है। पूर्व में जब कोई शराबी किसी महिला से अभद्रता करता था तो वो कहती थी कि क्या घर में मां बहन नहीं है जिसका आश्य था कि सुधर जाओं यह हैवानियत करना बंद करो। लेकिन अब तो मानसिक दरिंदगी और दिवालियेपन का यह हाल हो रहा लगता है कि कोई किसी के बारे में सोचने को तैयार नहीं है वरना नशे में बेटा हैवान नहीं बनता। और मां बेटी का सौदा नहीं करती। पहले कहा जाता था कि एक चना भाड़ ना फोड़े लेकिन आंख जरूर फोड़ देता है। मगर अब ऐसी कहावतों के समान कार्य खूब होते सुने जा रहे हैं। भले ही जो कुछ हो रहा है उसके चलते एक मछली पूरे तालाब को गंदा ना कर पाए मगर ऐसी घटनाओं से आम आदमी को सोचने के लिए मजबूर होना ही पड़ रहा है।
बिजनौर के नजीबाबाद के थाना मंडावली क्षेत्र के गांव श्यामीवाला में बीती सात अगस्त को अपने कमरे में सो रहे अशोक की हत्या उसकी मां के द्वारा कर दी गई। इस मामले में खबर के अनुसार पिता चंद्रपाल की तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की और हत्या का खुलासा करते हुए मृतक की मां को गिरफ्तार कर लिया। सवाल यह उठता है कि मां जैसे पवित्र रिश्ते को बार बार कलंकित करने वाले बेटे से आखिर कैसे बचा जा सकता था। ऐसे मामलों में आम आदमी के बीच होने वाली इस चर्चा से सहमत हूं हमेशा अहिंसा का पक्षधर होने के बावजूद अशोक के साथ जो हुआ और उसकी मां ने जो किया वो ठीक था। सरकार को भी इस मामले में रिश्तों की पवित्रता बनाए रखने हेतु और यह संदेश देने की ऐसा हैवानियत करने वालों का क्या हश्र हो सकता है अशोक की मां के साथ विन्रमता बरती जानी चाहिए। अगर हो सके तो अशोक की मां को हत्यारिन ना समझकर अपनी इज्जत बचाने के लिए संघर्ष करने वाली महिला के रूप में जेल में सुविधाएं और वकील उपलब्ध कराया जाए। कभी ऐसे मामलों की शिकायतें आती हैं तो उनमें किसी का वध कर हत्यारा ना बनना पड़े इसके लिए दोषियों को सरेआम फांसी की सजा का प्रावधान होना चाहिए क्योंकि समाज से अगर रिश्तों की पवित्रता और आंखों की शर्म खत्म होने लगी तो जंगलराज का साम्राज्य होेते देर नहीं लगी। दूसरी ओर मां बेटी की म ममता बपा भाईयों के लिए बनी रहे इसके लिए भी पीएम मोदी जी जो सबको भयमुक्त वातावरण में सांस लेने का वादा कर रहे हैं और सीएम योगी उसे लागू करने का प्रयास कर रहे हैं को ध्यान में रखते हुए ऐसी घटनाएं हर हाल में रोकी जानी चाहिए।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मां बहनों की इज्जत और रिश्तों की पवित्रता बनी रहे, संविधान के हिसाब से दोषियों को दी जाए फांसी की सजा चाहे वह पति हो या बेटा अथवा भाई
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