Friday, November 22

रिश्तों की तार-तार होती गरिमा बेटा बाप की पत्नी पति की क्यो करा रही है हत्या, सोचना होगा

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अपने देश के गांवों में एक कहावत बड़ी प्रचलित है जैसा खाए अन्न वैसा हो जाए मन। साथ ही हम यह बात भी बड़े से कहते सुने जाते हैं कि विदेशों के मुकाबले अपने देश में रिश्तों की गरिमा हमें एक दूसरे से लगाव रखने की प्रेरणा देती है। लेकिन वर्तमान समय में जो पत्नी पति का कत्ल करा रहे हैं। बेटा बाप को मरवा रहा है। देवर जेठ भाभी को लहूलुहान कर रहे हैं जबकि भाभी को मां समान बताया जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कमी कहां है जो रिश्तों की गरिमा अपना असर नहीं दिखा पा रही और जो एक दूसरे को बांधे रखने की आत्मीयता की डोर है वो टूटती क्यों जा रही है। सरकार भी सिद्धांतवादियों की है और नई पीढ़ी भी अपनों को बड़ा महत्व दे रही है। तो फिर थोड़े से लालच और व्यक्तिगत स्वार्थो में एक दूसरे का कत्ल और खून क्यों बहाया जा रहा है और वो भी ऐसे माहौल में जब सबको पता है कि बुरा काम का बुरा नतीजा होगा एक दिन आगे या पीछे अपराध करने वाला जेल भी जाएगा इसलिए जिन सुविधाओं और पैसों को लेकर यह सब किया जा रहा है वो भी काम नहीं आएगा। तो फिर क्यों हो रहा है ऐसा।
इस संदर्भ में जब थोड़ा सा सोचने की कोशिश की गई तो जो समझ में आया वो यह है कि हम दूसरों को देखकर जल्दी रईश बनने साधन व सुविधा जुटाने के लिए मेहनत और सीधे रास्ते चलने की कोशिश थोड़े समय में रईश बनना चाहते है। यह नहीं सोचते कि जिनकी हिरस हम कर रहे हैं उन्होंने वहां तक पहुंचने के लिए कितनी मेहनत की होगी जो उनकी वजह से हम सिर उठाकर चलने में सक्षम है। अभी पिछले दिनों मेरठ के देहलीगेट थाना क्षेत्र के कोटला निवासी एक नौकरीपेशा महिला को उसके जेठ और देवर ने गाली गलौच कर मारपीट की और छूरी से वार कर उसे लहुलूहान कर दिया। दूसरी तरफ झारखंड के भुरकुंडा रामगढ़ में पिता पुत्र के रिश्ते को शर्मसार और कलंकित करते हुए बेटे ने मेहनत से नौकरी पाने की बजाय अपने पिता के स्थान पर नियुक्ति के लिए बीते 16 नवंबर को पिता की सुपारी देकर हत्या कराने की कोशिश की। लेकिन वो बच गया। जांच में मामला खुला कि बेटे अमित कुमार ने अपने पिता जो कोल्ड फील्डस लिमिटेड की खदान में नौकरी कर रहे थे पाने के लिए और जमीन हथियाने हेतु सुपारी देकर हत्या कराने की कोशिश की गई। दूसरी ओर यूपी के बदायूं में नौ बीघा जमीन के लिए बेटे सचिन ने अपने पिता की टयूबवैल पर जाते समय गोली मारकर हत्या कर दी। तो अभी लखनऊ में हुई इंस्पेक्टर की हत्या की सुर्खियां हल्की भी नही पड़ी थी कि खुलकर सामने आया कि कृष्णानगर इलाके में पीएसी के इंस्पेक्टर सतीश कुमार की हत्या साजिशकर उनकी पत्नी भावना ने अपने भाई देवेंद्र वर्मा से मिलकर करा दी और आरोप लगाया कि सतीश कुमार के कई महिलाओं से संबंध थे। यह तो कुछ घटनाएं हैं जो ताजी सुर्खियों में आई हैं वरना यह कहने में भी शर्म आती है कि किसी ना किसी रूप में रिश्तों पर कलंक लगाकर उनको तार तार रोज ही किया जा रहा है।
सवाल उठता है कि वर्तमान समय में साक्षरता बढ़ रही है जिसका व्यापार चल रहा है या अच्छी नौकरी है वो घर को चलाने और परिवार को पालने में भी कोई परेशानी महसूस नहीं कर रहा है। जितना पढ़ने सुनने देखने को मिलता है आपसी प्यार और घनिष्ठता भी बढ़ती नजर आती है। तो फिर ऐसा क्यों हो रहा है। मेरा मानना है कि समाज के जागरूक नागरिकों को इसका सही उपाय ढूंढकर ऐसी घटनाओं की पुनरावृति रोकने के उपाय करने चाहिए वरना एक दूसरे पर विश्वास ही खत्म हो जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो अच्छा खासा जीवन नरक बनकर रह जाएगा क्योंकि अकेले जीया नहीं जा सकता और विश्वास किसी पर होगा नहीं। तो और भी विकट स्थिति होगी क्योंकि इससे डिप्रेशन पैदा होगा और जितना सुनते चले आए हैं ऐसी स्थिति में व्यक्ति कुछ भी कर सकता है इसलिए इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि अपराध और आत्महत्या बढ़ सकती है। अब सोचना यह है कि एक अच्छे समाज की स्थापना और मितव्यतिता की सोच और प्यार की डोर को कैसे मजबूत किया जाए। समाज को इस संदर्भ में सोचना पड़ेगा लेकिन मुझे लगता है कि जिस प्रकार से हम शुरूआत से ही बच्चों को शिक्षा दिला रहेे है उसी प्रकार से कक्षा पांच से हर स्कूल में एक मानसिक चिकित्सक की तैनाती हर स्कूल में हो जो प्रतिदिन अलग अलग क्लास में बच्चों को परीक्षण कर सके और उनकी सोच के बारे में जान सके तथा पहली क्लास से ही एक दूसरे के प्रति सम्मान की शिक्षा खेल खेल में बच्चों को दिए जाने की शुरूआत हो तो शायद यह एक प्रकार से घिनौना प्रयास रिश्तों की हत्या करने वाला रूक सकता है। वरना कमी तो इसमें आएगी ही यह बात विश्वास से कही जा सकती है। समझदार बच्चों को यह सोचना होगा कि मां बाप ने जो कमाया है देर सवेर मिलना उन्हें ही है तो फिर किसी भी प्रकार का जुर्म कर अपना जीवन बर्बाद करने से अच्छा है कि मिल जुलकर रहा जाए। आवश्यकताएं और व्यवस्थाएं तो परिवार पूरी कर ही रहा है।

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