Sunday, September 8

बढ़ता ही जा रहा है गंदगी का साम्राज्य, कहां गए मेरा शहर मेरी पहल के स्थानीय लमबरदार

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मेरठ, 15 अप्रैल (विशेष संवाददाता)।   वर्तमान में शहर में सफाई की जो स्थिति है उससे कोई भी अनभिज्ञ नहीं है। नगर निगम के अधिकारी सफाई के दावे करते नहीं थक रहे और नागरिक इससे उत्पन्न परेशानियों का बखान करने में लगे हैं लेकिन सफाई करने और कराने में कोई दिलचस्पी इतनी नहीं ले रहा हो ऐसा नजर नहीं आ रहा है। बताते चलें कि कुछ वर्ष पूर्व तत्कालीन मंडलायुक्त आलोक सिन्हा की धर्मपत्नी प्रीति सिन्हा द्वारा मेरा शहर मेरी पहल के नाम से शहर को स्वच्छ बनाने और गंदगी से नागरिकों को छुटकारा दिलाने के लिए संगठन बनाया गया था। जिसमें शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े विशाल जैन सचिव और अमित अग्रवाल शायद संयुक्त सचिव एवं एसके शर्मा कोषाध्यक्ष बनाए गए थे। जब तक आलोक सिन्हा यहां कमिश्नर रहे तब तक को ऐसा लगता लगता था कि शहर का प्रमुख वर्ग सफाई के प्रति जागरूक हुआ है और उसका मौका लगे तो खुद भी झाडू लेकर सफाई कर सकता है। कई अभियान चले जिनमें कई नामचीन हस्तियों ने आलोक सिंन्हा प्रीती सिन्हा के साथ सफाई में पूरा सहयोग दिया। लेकिन आजकल नागरिकों में होने वाली चर्चा के अनुसार मेरा शहर मेरी पहल संगठन का नाम भी कहीं नहीं सुनाई देता है और कहीं काम होता नजर नहीं आता है। जब इससे संबंध लोगों से इस बारे में चर्चा की गई तो उनका कहना था कि आलोक सिन्हा के जाने के बाद संगठन शांत हो गया। इसके पदाधिकारी भी अब कार्य करते नजर नहीं आते हैं। लेकिन अभी तक ना तो किसी ने अपना पद छोड़ा है और ना ही संस्था के चुनाव कराकर नए लोगों को काम करने का मौका दिया है। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि संस्था का अच्छा फंड भी था। नए चुनाव कराकर लोगों को जिम्मेदारी दें। जिससे प्रीती सिन्हा ने जो यह अभियान छेड़ा था उसमें दोबारा सक्रियता आ सके। कई लोगों का मत था कि मेरा शहर मेरी पहल की वर्तमान स्थिति से सिन्हा साहब को अवगत कराया जाएगा क्योंकि पुराने पदाधिकारियों रूपी लमबरदारों की निष्क्रियता के चलते अच्छा और मजबूत संगठन गुमनामी के अंधेरों में खोता जा रहा है। दूसरी इस बारे में पदाधिकारियों से बात करने में सफलता नहीं मिल पाई।

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