सात साल बाद लोकसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों के समर्थन में मुजफ्फरनगर में एक रैली को संबोधित करने पहुंची पूर्व सीएम बसपा अध्यक्ष मायावती द्वारा बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की जयंती पर कहा कि मुस्लिम डरे हुए हैं इसलिए टिकट लेने भी नहीं आए। उन्होंने कहा कि जातिवादी पार्टियों और उनकी सरकारों से सावधान रहे। बाकी भी राजनीतिक माहौल में उसी से संबंधित बाते पूर्व सीएम द्वारा पूरे दमखम से मतदाताओं के समक्ष रखी गई लेकिन बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती जैसे पवित्र दिवस पर उन्होंने जो पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने का मुददा उठाया वो अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण और समयानुकुल भी कह सकते है। लेकिन जहां तक लगता है अगर यह बात बसपा सुप्रीमो ने इस चुनाव के घोषित होने से पूर्व कही होती तो शायद पश्चिमी उप्र को अलग राज्य हरित प्रदेश बनाने की मांग कर रहे नेता और कार्यकर्ता व मतदाता उनके साथ कंधा से कंधा मिलाकर खड़े हो सकते थे। चुनाव के बाद अपने बयान पर पूर्व सीएम कहां तक काम करेंगी। उसके उपर तय होगा कि यह मांग करने वाले अन्य लोग उनके साथ कितना कंधा से कंधा मिलाकर चल रहे हैं अलग राज्य बनवाने के लिए। मायावती ने कहा कि राशन नहीं स्थायी रोजगार से होगा गरीबों का भला तो इनके मंचों से यह बात भी उठती रही है कि मुफ्त का राशन आरक्षण खत्म करने की साजिश है। जो भी हो यह अच्छा विषय है जो बहुत दिनों बाद पश्चिमी उप्र को अलग राज्य बनाने की मांग किसी बड़े नेता द्वारा खुले मंच से की गई जिसके लिए अभी तो सिर्फ बसपा सुप्रीमो को धन्यवाद ही दिया जा सकता है लेकिन यह पक्का है कि चुनाव बाद भी बसपा ने यह मांग आगे बढ़़ाई तो पश्चिमी उप्र में उनके जनाधार में बढ़ोत्तरी होगी। परिणाम क्या होंगे यह तो समय ही बताएगा।
बसपा की पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की मुहिम से जुड़े सकते हैं बड़ी तादात मे मतदाता
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