गर्मी हो या बरसात अथवा सर्दी अगर सुविधा और आवश्यकता का माध्यम है तो कुछ की परेशानी का कारण भी बनते हैं शायद इसीलिए देशभर में कुछ लोग ऐसे हैं जो थोड़ी बरसात, गर्मी या सर्दी होने पर स्कूलों में अवकाश की मांग करने लगते हैं। इनका मकसद क्या होता है यह अलग बात है लेकिन वर्तमान समय में सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों के बस्ते का वजन कम करने की कई बार चर्चा होने के बावजूद इस बारे में कोई प्रभावशाली काम शायद नहीं हो पा रहा है। वरना इंटरनेट पर सब जानकारी उपलब्ध होने और स्कूल संचालकों द्वारा कम्प्यूटर की फीस लिए जाने के बाद भी पांचवी कक्षा तक के बच्चों के बस्तों में किताबों से इतना वजन भर दिया जितना कई बार बच्चे का भी नहीं होता। ऐसा अनेक मौकों पर अभिभावकों का कहना है। एक दिन स्कूल के बाहर पांचवी सातवी के बच्चों से बाहर बात हुई तो उनका कहना था कि यह तो कम है कभी कभी स्कूल बैग का वजन उठाने पर कंधे और कमर दर्द करने लगती है। जब बच्चे का बैग उठाकर देखा तो वह करीब १० किलो का था। जब वह हमें ही उठाना मुश्किल हो रहा था तो बच्चे कितने कष्ट में रहते होंगे। केंद्र और प्रदेश के शिक्षा मंत्री और अधिकारियेां को हर बच्चे को साक्षर बनाने शिक्षा को सरल बनाने के प्रयासों को कामयाब बनाने हेतु स्कूल बैग का वजन कम कराया जाए क्योंकि जिससे कमर व कंधे में दर्द व गर्दन की हडडी बढ़ जाने का खतरा रहता है क्योंकि बच्चें इतना वजन उठाकर झूककर चलते हैं जो उनके लिए खतरनाक है। मेरा उन लोगों से भी अनुरोध है जो मौसम के नाम पर स्कूलों में अवकाश की घोषणा कराने का प्रयास कराते हैं वो स्कूल प्रधानाचार्यों प्रबंधकों व प्रशासनिक अधिकारियों से आग्रह करें कि स्कूलों में कम्प्यूटरों की संख्या बढ़ाई जाए और जरूरी किताबें ही मंगवाई जाए जिससे बच्चों का शारीरिक उत्पीड़न बंद हो सके।
पाठक आए दिन पढ़ते होंगे कि शिक्षिका बच्चों से काम करा रही थी। बच्चे स्कूल की सफाई कर रहे थे। ऐसी खबरें छापने वाले मीडियाकर्मियों को बच्चों के बस्ते का वजन क्यों नहीं दिखाई दे रहा यह तो वही जानें लेकिन मेरी बच्चों की परेशानी का कारण बने बस्तों के बोझ को कम कराने हेतु सभी से आग्रह है कि वो प्रयास करें और बच्चों के शारीरिक विकास में सहभागी बने।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
स्कूल बस्तों के बोझ से बच्चों की झुकती कमर कई बीमारियों का बन सकती है कारण! मौसम के नाम पर छुटिटयों की मांग करने वाले जिलाधिकारियों से मिलकर देशभर में वजन कम करने की उठाएं मांग
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