केंद्रीय रेल मंत्रालय रेल यात्रियों को तो वो सुविधाएं नहीं दे रहा है जिसके यात्री पात्र हैं लेकिन आए दिन आकर्षक घोषणाएं अपने कर्मचारियों के लिए करने और नई भर्ती किए जाने का ऐलान खूब किया जा रहा है। ध्यान से सोचें तो आवश्यकतानुसार रेलवे में भर्ती भी होनी चाहिए और कर्मचारियों को जिसके वो पात्र हैं वो मिलना चाहिए लेकिन मंत्री जी भर्ती से ज्यादा जो इस समय कार्यरत हैं उन्हें जिम्मेदार बनाकर काम लेने की बड़ी आवश्यकता है इसलिए नई भर्ती के साथ साथ पुरानों से उनकी जिम्मेदारी पूरी कराई जाए। फिर आवश्यकतानुसार भर्ती की जाए तो कोई बुराई नहीं है लेकिन जो हैं उनसे तो काम ना लिया जाए और नए को लाकर आम आदमी पर उनके वेतन का भार डाला जाए यह उचित नहीं हैं। रेलमंत्री जी निहायत ही सुलझे विचारों और सरल सोच के व्यक्ति हैं। मगर उन्हें इस ओर ध्यान देना होगा कि विभागीय कर्मचारियों को उनका लाभ मिले लेकिन आम आदमी को भी हताशा का सामना ना करना पड़े। कर्मचारी काम कर रहे हैं सरकार उन्हें ७८ दिन का बोनस दे रही है जिस पर सरकार का कुल १.८६५.६८ करोड़ रूपये खर्च होना बताया जा रहा हैं। हर साल दशहरा की छुटटी से पहले उत्पादकता से जुड़ा यह बोनस दिया जाता है। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार प्रत्येक कर्मचारी को अधिकतक १७९५१ रूपये तक का लाभ होगा। बताते चलें कि कोरोना के बाद से देशभर में पत्रकारों को रेल में अपने सहयोगी के साथ यात्रा करने की सुविधा कई दशक से चली आ रही थी जिसे केंद्र सरकार ने बंद कर दिया। कई मंचों से यह आवाज उठी कि वृद्धों व पत्रकारों को निशुल्क यात्रा का लाभ दिया जाए जिसे सरकार निरंतर नजरअंदाज करती चली आ रही हैं। आखिर यह दोहरी नीति क्यों अपनाई जा रही है। मेरा मानना है कि सरकार में अश्विनी वैष्णव अपनी रेलकर्मियों के लिए अपनाई नीति के साथ ही प्रधानमंत्री के सामने एक योजना बनाकर मजदूरों, किसानों व व्यापारियों के परिवारों में भी दिवाली खुशहाली से बीते और सारे त्योहार प्रसन्न्ता से मने इसके लिए एक आमदनी की सीमा तय कर सभी नागरिकों को इस प्रकार का बोनस और त्योहारों के लाभ दिए जाने चाहिए। मंत्री जी वोट हम भी हर चुनाव में देते हैं और पिछले एक दशक से आपकी सरकार बनती चली आ रही है। इसमें मतदाता का योगदान नकारा नहीं जा सकता। इसे ध्यान रखते हुए बुजुर्गाे व पत्रकारों को मुफ्त रेलयात्रा की सुविधा बहाल करते हुए एक सीमा तक हर व्यक्ति को दिवाली का बोनस दिया जाना चाहिए। क्योंकि कहीं ना कहीं देश की आर्थिक व्यवस्था के सुधार में व्यापारी किसान और मजूदरों का योगदान है। उनके टैक्स से नौकरशाहों को तनख्वाह मिलती है। देने वालों को नजरअंदाज और लेने वालों को पुरस्कृत किया जाए ऐसा क्यों।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
रेल मंत्रालय पत्रकारों बुजुर्गाे व अन्य कों मिलने वाली मुफ्त यात्रा दीपावली से पहले शुरू करे, कर्मचारियों की भांति मजदूर किसानों और व्यापारियों को भी सरकार द्वारा दिया जाए बोनस जैसा लाभ
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