मेरठ 21 अप्रैल (प्र)। चौधरी चरण सिंह विवि (सीसीएसयू) में फर्जी डिग्री जारी करने के मामले कम नहीं । रहे हैं। इन पर अंकुश लगाने के लिए अब एसआईटी गठित कर जांच कराने की मांग की जा रही है ताकि कड़ी कार्रवाई की जाए।
दरअसल, ताजा मामला तमिलनाडु की एक महिला की फर्जी पीएचडी का सामने आया है रेजिना एस. पुत्री जे सेल्वाराज को पीएचडी के लिए पंजीकृत करने के बाद फर्जी पत्र जारी कर 25 नवंबर 2018 को सीसीएसयू के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर डा. विकास शर्मा को उनका यूनिवर्सिटी सुपरवाइजर भी नियुक्त कर दिया गया।
डिग्री लेने के बाद महिला को कुछ संदेह हुआ तो उन्होंने प्रोफेसर विकास शर्मा से संपर्क किया और बताया कि वह तमिलनाडु से बोल रही हैं। उन्होंने प्रोफेसर शर्मा के मार्गदर्शन में रिसर्च पूरा किया है। विकास शर्मा ने उन्हें बताया कि उनके नाम की किसी महिला के वह गाइड नहीं रहे हैं। कागजात मंगाकर देखा तो पता चला के सब फर्जी हैं। प्रोफेसर विकास शर्मा ने रेजिना को सीसीएसयू में शिकायत करने के साथ ही जिनके जरिए पीएचडी की उनके खिलाफ भी एफआइआर कराने का सुझाव दिया। फर्जीवाड़ा करने वालों ने 14 दिसंबर 2018 को रेजिना के नाम डग्री अवार्ड की स्वीकृति मिलने का नोटिफिकेशन जारी किया है।
रेजिना को क्रिटिकल एनालिसिस आन द रिलेशनशिप विटवीन द इन्क्रोजिंग बोल आफ वुमन इन द पब्लिक डोमेन एंड जेंडर चेंजेज इन द इंग्लिश संग्वेज विषय पर रिसर्च डिग्री प्रदान की गई है। गत 18 जुलाई 2020 को आरडीसी का अप्रूवल पत्र भेजा और 13 फरवरी 2022 को पीएचडी की डिग्री भी जारी कर दी गई। इस मामले में महिला से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने अपना मोबाइल नंबर बंद कर रखा है।
वहीं, इस मामले में छात्र संघ के पूर्व महामंत्री अंकित अधाना ने राजभवन को पत्र लिखा है। उन्होंने इस मामले की विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की है ताकि इस संगठित अपराध का पर्दाफाश हो सके छात्र नेता ने यह सुझाव भी दिया कि सीसीएसयू में डिग्रियों की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन सत्यापन प्रक्रिया शुरू की जाए।
ऑनलाइन सत्यापन से विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों और नौकरी देने वाली कंपनियों को डिग्री की सत्यता की तुरंत और आसानी से जांच करने में मदद मिलेगी। इस प्रक्रिया के लागू होने से फर्जी डिग्रियों के प्रचलन पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित किया जा सकेगा।