अप्रैल माह चल रहा है। जैसा कि पढ़ने को मिलता है कई वर्षो बाद इतनी गर्मी और लू चलने की संभावना है मगर गर्मी का मौसम शुरू होते ही मार्च माह से गांव शहर में राहगीरों की प्यास बुझाने हेतु जो प्याऊ जगह जगह लगे दिखाई देते थे वो वर्तमान में अभी उस स्तर पर नजर नहीं आ रहे हैं। जबकि गर्मी का पारा धीरे धीरे बढ़ रहा है। मगर जल ही जीवन है के संदेश का मतलब नागरिकों की निगाह में शायद घटता जा रहा है।
पहले जो देखा विभिन्न बाजारों में दुकानदारों के संगठन गली मोहल्लांे में संपन्न लोग और सार्वजनिक स्थानों पर आढ़तियों के पास जो मुनाफे से निकलता था उससे प्याऊ लगाए जाते थे जिससे आने जाने वाले लोग पानी पीते थे और गर्मी से बचता था। दूसरी ओर कुछ बड़े अफसर और कर्मचारी भी पानी की व्यवस्था करने में पीछे नहीं रहते थे तो समाजसेवी प्रवृति के दानवीर अनेकों स्थानों पर ठंडे पानी की मशीनें लगवाते थे और उसकी देखभल भी खुद या किसी व्यक्ति से कराई जाती थी। कुछ साल पहले नगर निगम आवास विकास और कैंट बोर्ड द्वारा अपने क्षेत्रों में पीने के पानी की व्यवस्था कराने की बात सामने आती है लेकिन अब तो हाल यह है कि कैंट बोर्ड ने बोतल के हिसाब से ठंडा पानी देने की मशीनें लगाई थी वो ज्यादातार खराब रहती हैं।
नागरिक अब इस बारे में चर्चा करने लगे हैं पूर्व में कई दशक से सदर सर्राफा बाजार चौक पर एक प्याऊ लगती थी जो अभी तक बंद है। हजारी का प्याऊ, कचहरी चौराहा, रोडवेज व रेलवे स्टेशनों पर वहां के संचालकों व संगठनों द्वारा पेयजल की व्यवस्था इंसानों के साथ जानवरों के लिए भी की जाती थी। शहर में अनेक स्थानों पर चर बनी हुई थी जो अब निजी स्वार्थो के लिए लोगों ने बंद कर वहां पर अपने व्यवसाय शुरू कर दिए। कहने का आश्य सिर्फ इतना है कि पीने के पानी जो व्यवस्था वेस्ट एंड रोड बालाजी मंदिर पर की गई है और काली पलटन पर जो हर साल की जाती है उस सहित सभी सार्वजनिक स्थानों और सूनसान मार्गों पर समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों और अफसरों उद्योगपतियों व्यापारियों द्वारा अब समय आ गया है जगह जगह शुद्ध पानी की प्याऊ लगवाने के साथ साथ यह भी देखा जाए कि जल साफ सुथरा हो। उसे पीकर किसी को बीमारी का सामना ना करना पड़े। मेरा तो मानना है कि एनजीओ और स्कूल संचालक भी ठंडे पानी की व्यवस्था कराए। कहते भी हैं कि जलदान से बड़ा और प्यास बुझाने से बड़ा धर्म का कोई काम नहीं है। आदमी भूखा तो रह सकता है मगर प्यासा नहीं। मेरा मानना हेै कि नौजवान थोड़े पैसे एकत्र कर प्याऊ लगवाएं तो भगवान उन्हें तरक्की तो देगा और समाज में उन्हें हर जगह सम्मान मिलेगा। मेरा तो मानना है कि व्यापारी संगठन मोहल्ला सुधार समिति सरकारी विभागों से व्यवस्था कराएं और नहीं होने पर डीएम कमिश्नर से मिले। क्योंकि सीएम योगी की हर व्यक्ति को पेयजल उपलब्ध कराने हेतु सक्रिय नजर आ रहे हैं और सरकारी विभाग भी इसमें प्रयास कर रहे बताए जाते हैं।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
बढ़ती गर्मी बिन पानी ना बुझे प्यास, चलों मिलकर लगाए प्याऊ
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