Friday, November 22

नाम जाति बदलकर दोस्ती एवं दुष्कर्म की घटना रोकने के लिए संदिग्ध छवि के होटल मालिकों पर हो सख्त कार्रवाई

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फेसबुक पर नाम जाति बदलकर दोस्ती फिर दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। पुलिस के लाख प्रयासों के बाद भी इन पर अंकुश नहीं लग रहा है। इसके लिए होटल संचालकों द्वारा सरकारी नियमावली का उल्लंघन कर बिना आईडी प्रुफ और लड़का लड़की पति पत्नी है या नहीं इसकी जानकारी किए बिना होटल के कमरे उपलब्ध कराने और बाद में बहाने बनाकर अपने आप को बचाने की कोशिश करने वाले भी दोषी हैं लेकिन इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई ना होने से होटल संचालकों के हौंसले बढ़ते ही जा रहे हैं। बीते माह दिल्ली की एक लड़की को एक होटल में बुलाकर उससे शारीरिक संबंध बनाने और लड़की के हिम्मत दिखाने पर एक नामचीन नेता का बेटा जेल गया। अभी उसकी जमानत की खबर सुनी थी कि नदीम नाम के व्यक्ति ने पवन नाम बताकर मोदीनगर की एक महिला को फेसबुक पर दोस्ती में फंसाकर घंटाघर के पास एक होटल में बुलाया और उससे दुष्कर्म किया। पकड़े जाने पर होटल संचालक का कहना है कि महिला को अपनी पत्नी बताकर बीमार होने के बहाने से एक घंटे के लिए कमरा लिया गया था। होटल संचालक के इस कथन में कोई दम नहीं है। लेकिन असल बात यह है कि इनके विरूद्ध कार्रवाई नहीं होगी और ऐसे होटलों के लाइसेंस निरस्त और इन पर ताले नहीं लगेंगे तब तक विभिन्न नामों और बहानों से महिलाओं व लड़कियों को फंसाकर लाने वालों को यह कमरे उपलब्ध कराते रहेंगे और इस प्रकार की घटनाएं रूक पाएंगे ऐसा संभव नहीं लगता है।
क्योंकि अपने घर में लड़की को ले जाना असंभव तो नहीं है लेकिन परिवार के अन्य सदस्यों के रहते कठिन जरूर है। दोस्तों के यहां भी इस प्रकार फंसाई गई लड़कियों को ले जाना आसान नहीं होता। इसलिए अगर समाप्त नहीं तो मासूम लड़कियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं होटलों पर कार्रवाई से कम जरूर हो सकती है। सोशल मीडिया संचालकों द्वारा नई तकनीकी विकसित की जा रही है। उसी क्रम में अगर कोई ऐसा सॉफटवेयर भी बना लिया जाए जिससे अगर कोई व्यक्ति अगर अपनी जाति और नाम बदलकर किसी से दोस्ती की कोशिश करता है तो सही स्थिति फेसबुक वॉटसऐप पर आने लगे और एक बार ऐसा हो गया तो मुझे लगता है कि इस प्रकार से दुष्कर्म की घटनाओं में 80 प्रतिशत तक रोक लग सकती है। क्योंकि जिस प्रकार से नए नए सॉफटवेयर बन रहे हैं उस क्रम में वैज्ञानिक व तकनीकी के जानकार इस तरह की पद्धति विकसित कर सकते हैं।
जो भी हो निरंतर आगे बढ़ने के लिए मेहनत कर रही आधी आबादी मातृशक्ति की युवा पीढ़ी को इन सफेदपोश सियारों से बचाने के लिए कुछ तो सरकार पुलिस प्रशासन को करना ही होगा। क्योंकि संघर्ष के इस दौर में कुछ चालबाज धनसंपन्न लोग कभी नौकरी दिलाने का बहाना और अन्य सुविधाएं देने की बात कहकर दोस्ती करने वाले इन्हें फंसा रहे हैं। जिन्हें रोका जाना समय की सबसे बड़ी मांग है। मुझे लगता है कि इस संदर्भ में पुलिस को अपना खुफिया तंत्र भी सक्रिय करना चाहिए। क्योंकि उनके सूत्र और जुगाड़ हर क्षेत्र में होते हैं। कहीं कुछ गलत होने वाला है और खुफिया तंत्र विश्वास में है तो वो ऐसी घटनाओं को रोकने में बड़ा योगदान कर सकते हैं।

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