बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि जब से मानव जाति ने साकार रूप लिया तब से ही काल कोई सा भी रहा हो उसकी व्यवस्था और समयानुसार डॉक्टर वैध भले ही नाम कुछ भी दिया जाता रहा हो मौजूद होते थे जो कि किसी को बीमारी होने की बात सामने आने पर अपनी सलाह और जड़ी बूटियों से उनका इलाज उनके द्वारा किया जाता था। वो भी बताते हैं निशुल्क। वर्तमान समय में हर साल नई नई बीमारियां पैदा हो रही है। उनके इलाज के लिए दवाईयों की खोज भी उसी प्रकार हो रही है। सरकार हर आदमी को सस्ती चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। आम आदमी को सस्ती प्रभावशाली दवाई दिलाने के लिए के लिए जेनेरिक दवाईयों के स्टोर जगह जगह खुलवाये जा रहे हैं और आयुष्मान योजना चलाई जा रही है। उनका असर भी होता नजर आ रहा है। मगर इस सबके बावजूद 50 रूपये से लेकर 1200 रूपये तक लेकर देखने वाले डॉक्टर मरीज की संतुष्टि भी करते हैं और उसका मनोबल भी बढ़ाते हैं और अच्छा इलाज देने की कोशिश की जाती है। वो बात और है कि जिसकी आ गई उसे कोई नहीं रोक सकता। चाहे वह एक लाख रूपये लेकर इलाज करने वाला डॉक्टर हो या सोै रूपये लेकर। इसके उदाहरण के रूप में समाज में हमें छोड़कर जाने वाले डॉक्टरों और प्रभावशाली लोगों केा देखा जा सकता है। नागरिक जिसकी जेसी व्यवस्था है उसी हिसाब से डॉक्टर को दिखाता है और सही भी हो जाता है। इसलिए कौन डॉक्टर कितने पैसे लेता है उस पर आम आदमी को कोई ऐतराज होता नजर नहीं आता है अगर वह बिल बनाने में बढ़ोत्तरी ना करे तो।
लेकिन शुरू से अब तक डॉक्टर को जीवनदाता और भगवान का दूसरा रूप भी कहते हैं। इसमें कोई दो राय भीद नहीं है क्योंकि बड़ी से बड़ी समस्या डॉक्टर अच्छा है और मर्ज को समझता है तो एक गोली या इंजेक्शन लगाकर फौरी तौर पर आरात पहुंचाता और फिर कुछ समय में उसे सही भी कर देता है
मगर आजकल जो देखने सुनने को मिल रहा है उससे ऐसा लगता है कि कुछ डॉक्टर जो मोटी फीस लेने के लिए चर्चित हैं उनका पेट और पैसे कमाने व ज्यादा सुविधा जुटाने की जो भूख है वो नागरिकों के अनुसार वो मिट नहीं पा रही है। इसलिए कई डॉक्टर वर्तमान राजनीतिज्ञों के इर्द गिर्द जाकर उनसे गलबहियां करने और अपने आपको सत्ता पक्ष का समर्थक दर्शाकर खुलेआम सरकारी निर्माण नीति और आम आदमी को चिकित्सा उपलबध कराने की योजना का उल्लंघन कर रहे हैं। आज एक सज्जन ने इस बारे में बड़ा सही कहा कि अब डॉक्टर नहीं यह तो अवैध निर्माण करने और सरकारी भूमि घेरने और ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने की मशीन बन गए हैं। इस बारे में उक्त सज्जन ने अपना नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताया कि शहर में कितने ही डॉक्टरों ने अवैध दुकानों और कॉम्पलैक्सों में बैक स्टोर खुलवाकर माह का लाखों रूपया किराया कमा रहे हैं और फिर भी संतुष्टि ना हो रही तो सौ से लेकर 500 गज के प्लॉटों पर कॉमर्शियल निर्माण के लिए जो जमीन छोड़ी जानी चाहिए और उनके द्वारा सरकारी नीति को नजरअंदाज कर नाली के ऊपर पिलर खड़े कर निर्माण किया जा रहा है और 40 प्रतिशत जगह जो नियमानुसार छोड़ी चाहिए पार्किंग आदि के लिए वो भी नहीं छोड़ी जा रही है। साइड और बैक की बात तो दूर है। इसी क्रम में शहर के कुछ डॉक्टरों की चर्चा करते हुए एक सज्जन बोले कि मेडा नगर निगम और आवास विकास के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते इनके क्षेत्रों में घरेलू उपयोग की भूमि पर कॉमर्शियल निर्माण कर होटल बनाए जा रहे हैं। रिहायशी भूमि पर बैंक खुलवाए जा रहे हैं। या अपने नर्सिंग होम बनाने की श्रृंखला में वैन कहां खड़ी होगी मरीज कहां बैठेगी और डॉक्टर की गाड़ी कहां खड़ी होगी इसे अनदेखा कर खुलेआम निर्माण किया जा रहा है। सोने में सुहागा यह है कि जहां घर होना चाहिए वहां बैंक नर्सिंग होम और स्टोर इनके द्वारा खोले जा रहे हैं और मेडा के अधिकारी मानचित्र पास बताकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। यह देखने की जरूरत नहीं समझते कि मानचित्र किस चीज का पास हुआ और बन क्या रहा है। कितनी जमीन का निर्माण हुआ और कितनी जमीन का नक्शा पास किया गया। पार्किंग की जगह छूटी है या नहीं। जबकि सीएम योगी आए दिन अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दे रहे हैं। मेडा के कुछ अफसर सुप्रीम कोर्ट के आदेश कि अवैध निर्माण शमन नहीं होगा के बावजूद यह कहकर शमन की कार्रवाई चल रही है अवैध निर्माणों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। हर निर्माण सीएम के पोर्टल पर उसकी शिकायत होती है तो मानचित्र पास बताकर उसका निस्तारण किया जा रहा है चाहे वह नजूल की भूमि पर ही क्यों ना बना हो। हमारे कुछ डॉक्टरों द्वारा किए गए अवैध निर्माणों की सूची बहुत लंबी है मगर चित्र में नजर आ रहा यह निर्माण सरकारी की निर्माण नीति के विपरीत सड़क से शुरू कर बहुमंजिला बना दिया गया है। जहां तक मुझे लगता है इस निर्माण को देखकर कोई भी नागरिक और अधिकारी यह अंदाजा लगा सकता है कि शहर में जो जाम की समस्याएं होती है और नाले नालियों की सफाई ना होने से जो बीमारियां फैलती है उसके लिए ऐसे निर्माण करने वाले कुछ डॉक्टरों का भी सहयोग कह सकते हैं। क्योंकि ऐसा नहीं है कि लाखों रूपये गज की जमीन पर मानचित्र पास बताकर जो अवैध निर्माण किए जा रहे हैं उनके भविष्य में क्या परिणाम निकलेंगे यह भी अच्छी तरह जानते हैं। कई जानकारों का कहना है कि कुछ डॉक्टर कई अफसरों के परिवारों का मुफत इलाज करते हैं और एवज में सरकार विरोधी नीति से होने वाले निर्माण से निगाह बचाकर मुफत इलाज का कर्ज अदा करते हैं। मुख्यमंत्री जी अगर डॉक्टरों के साथ ही प्रभावशाली और अपने आप को सत्ताधारी पार्टी का निकट बताने वालों पर रोक नहीं लगाई जाएगी तो स्थिति आम आदमी के लिए बहुत ध्रु हो जाएगी। बीमारियां रूक नहीं पाएंगी और महंगा इलाज झेलने में असमर्थ आम आदमी अपनों को छोड़कर जाता रहेगा।
कपड़ों की तरह राजनीतिक दल बदलने वाले दो नंबर के काम में सक्रिय अनकहे आर्थिक अपराधी अपना धनप्रभाव बढ़ाते रहेंगे। आम आदमी परेशान और सरकार की नीति सफल नहीं हो पाएगी।

यह फोटो आर्दश नगर स्थित एक डाक्टर की बिल्डिंग का है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
