Thursday, November 21

विश्व जल दिवस पर विशेष नेता क्यों भूलते जा रहे हैं पानी का मुददा, पीएम मोदी जी अब तो आप ही इस मामले में सर्जिकल स्ट्राइक कर कुछ कर राहत दिला सकते हैं

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लोकसभा चुनावों की हलचल तेज हो गई है। मुफ्त की रेवड़ी बांटने और मतदाताओं की सुविधाओं के लिए जमीन आसमान एक करने का दावा करने वाले नेता और दल भी अपना काम पूरे शबाब पर कर रहे हैं। कोई मकान देने की बात कर रहा है। कुछ लैपटॉप और मोबाईल फोन दे रहे है। कितने ही बिजली और मुफ्त राशन कराते रहने का दावा कर रहे हैं। मैं यह तो नहीं कहता कि यह लोग अपनी बात पूरी नहीं करेंगे। मगर अमेरिका की तरह सड़कें बनवाने का दावा कितना सच है और उसे लेकर आम आदमी कितना बेहाल है यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि जीवन के लिए सबसे जरूरी पीने योग्य जल की उपलब्धता कुछ देशों में पानी की कमी की बात से कोई भी अनभिज्ञ नहीं है और यह भी सभी जानते हैं कि अगला विश्व युद्ध जल के लिए होने की संभावनाएं कई बार सामने आ चुकी है। मगर हम हैं कि जो जल है उसे बचाने की बजाय प्रतिदिन अपनी गाड़िया धोने मुंह कुल्ला करने के नाम पर बेइंतहा जल की बर्बादी कर रहे हैं।
आश्चर्य तो इस बात का है कि पेयजल की उपलब्धता ना होने से  कई जगहों पर नागरिक परेशान हैं। तो कुछ जगहों पर विभिन्न कारणों से हुआ जहरीला पानी पीने से कितने ही लोग जानलेवा बीमारी के चलते मर रहे हैं। तो बड़ी तादात में लोग इनसे उत्पन्न स्किन की बीमारियों से पीड़ित हैं। जानकारों का कहना है कि पृथ्वी की सतह का 70 फीसदी हिस्सा जल है। वहीं दुनिया में लगभग 66 करोड़ लोग बिना शुद्ध पानी के अपना जीवन गुजार रहे हैं। आए दिन इस क्षेत्र में सक्रिय कोई अपने आप को जलपुरूष बता रहा है तो कोई अपना जीवन इस काम में लगाने की बात कर रहे हैं और इस नाम पर बजट का एक बड़ा हिस्सा तो खर्च हो ही रहा है। कुछ लोग सम्मान के रूप में सरकारी सुविधाएं भी भुगत रहे हैं। प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छता अभियान और हर व्यक्ति को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लिए हरसंभव कोशिश में लगे हैं उसके बावजूद यूपी के कई जिलों में बहने वाली काली नदी सहित कई नदियों का जल भी पीना तो दूर आचमन योग्य भी नहीं है। उपर से मजा इस बात का कि संबंधित विभागों के लोग रेन हावेस्टिंग सिस्टम लगवाने के लिए जागरूक करने और इसके लिए मकान बनाते समय कुछ नियम लागू कराने की बात कर रहे हैं। मगर सही मायनों में जो दिखाई दे रहा है। वो यह है कि यह सब कागजों पर उपलब्ध होने के अलाव ठोस काम होता कहीं नजर नहीं आ रहा है।
 हर चुनाव में यह मुददा यह नेता उठाते रहे हैं लेकिन चुनाव परिणाम के बाद सब भूल जाते हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर तमाम तरह की अन्य समस्याएं झेल रहा आम आदमी कब तक शुद्ध पानी की कमी का शिकार होता रहेगा।
आज विश्व जल दिवस पर मेरा मानना है कि अब कहने और जल को लेकर ढोल पीटने की बजाय कुछ ऐसा करना होगा जो इस समस्या का समाधान हो। और हमारी बात छोड़ दें हमारी भावी पीढ़ी को  इसका खामियाजा ना भुगतना पड़े।
कुछ तथा कथित पर्यावरणविदों के विरोध के चलते मुझे लगता है कि पानी एक बड़ी समस्या हल नहीं हो पा रही है लेकिन अब विभिन्न प्रकार की सर्जिकल स्टाइक करने के लिए चर्चित और निर्णयों की गोपनीयता बनाए रखने वाले देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी  नदियों को जोड़ने और कहीं सूखा ओर कहीं बाढ़ आने की समस्या से नागरिकों को निजात दिलाने हेतु अब कुछ ऐसी व्यवस्था करनी पड़ेगी जिससे जहां थोड़ी सी बारिश में बाढ़ आ जाती है उनका पानी बड़ी नहरों और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पहुंचाने के साथ ही सरकारी टंकियों के माध्यम से जो जल घरों में पहुंचता है वो बीमारियों से मुक्त नहीं होता क्योंकि इसमें जो क्लोरीन दवाई डाली जाती है वो ज्यादातर अधिकारियों और कर्मचारियों के पेट में उसका हिस्सा चला जाता है और नागरिक इन दवाईयों के ना पड़ने से बेबस मरने और परिवार को रोता छोड़कर जाने के लिए मजबूर है। मैं इस होली पर्व पर केंद्र और प्रदेश सरकार से शुद्ध पानी सप्लाई कराने और नदियों को जोड़कर बाढ़ और सूखा ग्रस्त क्षेत्रों की समस्याएं दूर करने के लिए सभी  जनप्रतिनिधियों से नौकरशाहों से जनहित में यह आग्रह करना चाहता हूं कि प्रदूषित जल से  उत्पन्न बीमारी से बचाने के लिए अपना लालच छोड़ आओं नदियों को पवित्र और जल को शुद्ध बनाने का संकल्प लेते हुए जल रूपी प्रहलाद को हिरणकश्यप जैसे लालच रूपी से राक्षस से बचाने के लिए कुछ ऐसा करें कि जो समस्याएं इस वर्ष आई हैं वो अगले साल हमारे ना आएं।
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