मेरठ 22 अप्रैल (प्र)। केन्द्र व प्रदेश की सरकारें आम आदमी की अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर अच्छा नागरिक बनाने की मनोकामना पूरी करने हेतु सस्ती और सुलभ तथा गुणवत्ता परक शिक्षा एवं बच्चा क्या बनना चाहता है उसी विषय में उसे पढ़ाई का हर मौका उपलब्ध कराने की भरपूर कोशिश की जा रही है और इस कार्य में माननीय न्यायालयों द्वारा भी आवश्यकता पड़ने पर पूरा मार्गदर्शन किया जा रहा है। और अभिभावक और बच्चों की मदद भी की जा रही है। लेकिन कुछ तथाकथित अपने आपको बड़ा समझने वाले स्कूलों की प्रबंध समितियों के पदाधिकारी और प्रधानाचार्य व शिक्षकों और उनके कृप्यापात्र मीडिएटरों द्वारा बच्चों और अभिभावकों के समक्ष जो आये दिन नई नई कठिनाईयां उत्पन्न की जा रही है उन पर नियंत्रण का अधिकारी डिप्टी रजिस्टार चिट्सफंड सोसायटी की पास स्कूलों के रजिस्टर्ड हुए संविधान व उद्देश्यों के माध्यम होने के बावजूद ना करने के चलते कुछ स्कूल संचालकों की निरंकुशता अभिभावकों व बच्चों की उत्पीड़न करने की प्रवृत्ति बढ़ती ही जा रही है। इसके उदाहरण के रूप में फिलहाल तो आईसीएससी बोर्ड के सोफिया व सेन्ट मैरी सीबीएसई बोर्ड के कुछ स्कूलों के प्रधानाचार्य व प्रधंबन की कार्यप्रणाली को देखा जा सकता है। बताते चले कि कुछ वर्ष पूर्व बोर्ड परीक्षा पास करने के बावजूद सोफिया स्कूल की प्रधानाचार्य अथवा मैनेजमेंट द्वारा बच्ची को अगली क्लास में जब प्रवेश नहीं दिया गया था तो उस समय के डिप्टी रजिस्टार सुभाष सिंह द्वारा कार्यवाही शुरू की गई तो स्कूल की कई कमियां और अनियमिता उभरकर सामने आई लेकिन अचानक सभी फाईलें बंद कर दी गई। नागरिकों का उस समय कहना था कि इस प्रकरण में बड़ा खेल हुआ।
वर्तमान में सेन्ट मैरी स्कूल में दो बच्चों को पात्र होने के बावजूद मनचाहा सब्जेक्ट न देकर जो उनका सामाजिक और मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है उसके विरूद्ध अभिभावकों की याचिका पर माननीय न्यायालय ने प्रधानाचार्य व एक टीचर को नोटिस भी दिया तथा माननीय मुख्यमंत्री जी के जनशिकायत पार्टल पर की गई शिकायत पर सीईओ सदर द्वारा जांच की जा रही है। और इस संदर्भ में बताते है कि प्रधानाचार्य को कई नोटिस भी दिये गये है। इतना सब कुछ होने और इसकी खबरें मीडिया में चलने के बाद भी पूर्ण अधिकार होने के उपरांत भी डिप्टी रजिस्टार चिट्सफंड सोसायटी खामोशी क्यों साधे बैठे है यह विषय सोचनीय तो है ही चर्चाओं में भी है। नागरिकों का कहना है कि स्कूल में होने वाले बच्चों और अभिभावकों के उत्पीड़न का संज्ञान लेकर स्कूलों के संविधान के तहत डिप्टी रजिस्टार जबाव तलब कर शासन की मंशा के तहत बच्चों व अभिभावकों को इंसाफ दिलाना चाहिए। क्योंकि कौन बच्चा डाक्टर या इंजीनियर आईपीएस आईएएस बननेगा यह तय करना बच्चे व अभिभावक का अधिकार है प्रधानाचार्य व टीचर का नहीं।
स्कूलोें में बच्चों व अभिभावकों के हो रहे उत्पीड़न पर डिप्टी रजिस्टार चिट्सफंड खामोश क्यों! इंजीनियर डाक्टर क्या बनना है यह छात्र को तय करना है प्रधानाचार्य को नहीं
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