मेरठ 07 अगस्त (प्र)। छावनी के सिविल एरिया को नगर निगम में मर्ज करने के लिए जो प्लान तैयार किया जा रहा है उसको लेकर कैंट अफसरों की मनमानी पर फिलहाल बैरियर डाल दिया गया है साथ ही कहा गया है कि नगर निगम में मर्ज करने के लिए जो रिपोर्ट तैयार जाए उसमें पहले सांसद व विधायक जैसे जन प्रतिनिधियों की भी राय ली जाए। दरअसल, यह सब हुआ कैंट विधायक अमित अग्रवाल की सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि उसके बाद ही उत्तर प्रदेश के शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव सत्य प्रकाश पटेल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के तमाम कैट बोड़ों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ वार्ता की ओर विशेष निर्देश दिए। प्रमुख सचिव ने कहा के अब नए आधार पर कैट के सिविल एरिया के नगर निकाय में विलय की जो रिपोर्ट तैयार की जा रही है उसमें तेजी लाई जाए और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सुझावों को भी उसमें समाहित किया जाए।
अपना कुछ नहीं, सब भाड़े का, बाद में भाड़ा भी देना किया बंद
कैंट विधायक अमित अग्रवाल ने सीएम योगी व संबंधित विभाग के आलाधिकारियों समेत सभी मंत्रियों को अपने सुझाव व मांग पत्र दिए गए हैं। जिनमें छावनी की जमीन को राज्य सरकार को हस्तांतरण की बात कही गयी है। उनका कहना है कि देश के सभी कैंट अंग्रेजों के समय के ही हैं और उस समय अंग्रेजों द्वारा तब किसी भूमि की खरीद कैंट निर्माण के लिए नहीं की गई थी, अपितु कुछ भूमि का किराया अवश्य उनके द्वारा भूमि मालिकों को दिया जाता रहा और बाद में वो देना भी समाप्त हो गया। विधायक अमित अग्रवाल का कहना है के उनके प्रस्तावित सुझाव में ये कहा गया है के कैट के सिविल एरिया के साथ ही कैंट के सभी बंगले सभी स्कूल सभी खेल मैदान सभी गार्डन सभी प्रति प्रज गारे आदि सिविल समाहित कर दिए जाने चाहिए।
असली सवाल अभी बाकी
लेकिन सवाल फिर भी वही है के क्या जनता को म्युनिसिपल सेवाओं के अतिरिक्त भवनों के म्यूटेशन नक्शा पास करवाने और सब डिवीजन जैसे मामलों में भी कोई राहत मिलेगी या नही क्योंकि मात्र म्युनिसिपल सेवाओं के लिए ही जनता नगर निकायों में विलय नहीं चाहती वो तो छोटा एरिया होने के चलते कैंट बोर्ड ही ज्यादा बेहतर कर रहे थे।