12वें अंतरराष्ट्रीय जाट संसद के अधिवेशन में 80 देशों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में ओबीसी में जाटों को आरक्षण व पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, सर छोटूराज व राजा महेंद्र प्रताप को भारत रत्न देने तथा पश्चिमी उप्र को अलग प्रदेश बनाने की मांग कें्रदीय मंत्री संजीव बालियान की उपस्थिति में उठी। इस मौके पर अन्य कई प्रस्ताव भी पास किए गए। चार दशक से पश्चिमी उप्र को अलग किए जाने और चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न व जाटों को आरक्षण देने की मांग का सभी ने समर्थन किया। परतापुर बाईपास स्थित सुभारती विवि के मांगल्य प्रेक्षागृह में जब संजीव बालियान ने उक्त मुददों पर चर्चा की तो माहौल जोश से भर गया। लेकिन एक सवाल सुरसा की भांति मुंह बाये खड़ा है और हर कोई इसका जवाब चाहता है। तो वो यह है कि सम्मेलन में भाजपा और केंद्र सरकार समर्थित कई नेता के साथ साथ संजीव बालियान भी मौजूद थे और उन्होंने इस बात पर चर्चा भी की कि मैं बड़े बाप का बेटा नहीं हूं इसलिए आप ज्यादा सम्मान उन्हें कम लेकिन मुझे कम देते हो लेकिन मैं आपके समर्थन में खड़ा हूं। क्योंकि बालियान खुद वहां थे तो यह तो पक्का है कि वो इन मांगों के समर्थक रहें होंगे और बड़े नेताओं से चर्चा की होगी। लेकिन सवाल यह उठता है कि यह सब मांगे विपक्षी दलों को नहीं केंद्र सरकार को पूरी करनी है संजीव बालियान केंद्रीय मंत्री है और अपनी बात पीएम और अन्य नेताओं के समक्ष खुलकर रख सकते हैं। जाट मतदाताओं की भावनाओं से उन्हें अवगत कराकर इन्हें पूरा करने और कराने का प्रयास भी किया जा सकता है। तो फिर यह कौन से कारण है कि चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न जाटों को आरक्षण और पश्चिमी उप्र को अलग राज्य का दर्जा मिलने में देर क्यों हो रही है। यह सभी जानते हैं कि वर्तमान सरकार पूर्ण बहुमत में है। महिला आरक्षण तीन तलाक, जम्मू कश्मीर मुददा आदि पर वो इसी दम पर निर्णय ले चुकी है तो फिर जाटों के मामले में यह उदासीनता क्यों। यह भी नहीं कह सकते कि बालियान ने जो मंच से बात कहीं उसके बारे में केंद्र सरकार और पार्टी प्रमुख अनभिज्ञ रहे हों।
देश में जनसंख्या नियंत्रण आदि सहित कई मुददे ऐसे हैं जिनका समाधान केंद्र सरकार करने मे सक्षम है और उसके मंत्री व नेता इस बारे में आवाज उठाते रहे हैं। आखिर मांग पूरी क्यों नहीं हो रही। मेरा मानना है कि संजीव बालियान जी आप अन्य केंद्रीय मंत्रियों सांसदों को इस मुददे पर तैयार कर प्रधानमंत्री से बात करें तो मुझे लगता है कि यह मांग पूरी होने में देर नहीं लगेगी। वैसे भी आप कह चुके हैं कि मैं खुलकर बोलता हूं इसलिए शायद अभी तक राज्यमंत्री हों। यह ठीक है कि अगर ऐसा ना होता तो आप कैबिनेट मंत्री होते। लेकिन अगर आप सम्मेलन की मांगों को पूरा कराने में सफल हो जाते हैं तो यह पक्का है कि आप जाटों के एकछत्र नेताओं में शुमार होने से कोई नहीं रोक सकता। तब भले ही आप सरकार में राज्यमंत्री हो लेकिन आपका रूतबा कैबिनेट मंत्री से कम नहीं होगा। मैं कोई राजनीतिक व्यक्ति तो हूं नहीं लेकिन अपनी बात स्पष्ट कहने का मौका चाहिए और मैं समझता हूं कि ऐसा करने वाले लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने में सौ में से 90 बार सफल हो जाते है। अगर आप इन मांगों को पूरा कराने में सफल होते हैं तो विपक्ष द्वारा जो सवाल उठाए जाते हैं उनकी बोलती भी बंद हो सकती है। (सम्पादक रवि कुमार विश्नोई)
संजीव बालियान जी जाटों को आरक्षण चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न और पश्चिमी उप्र के विभाजन में आपके सरकार में रहते देरी क्यों!
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