मेरठ 24 दिसंबर (प्र)। छह साल बाद मेरठ का वन क्षेत्र में एक प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। भारतीय वन सर्वेक्षण (आइएसएफ) 2023 की रिपोर्ट जारी हो गई है। लेकिन अभी भी यह मानक जो 33 प्रतिशत है से बहुत कम है। हस्तिनापुर वन्य जीव अभ्यारण्य का भाग होने के बावजूद जनपद में अति घना वन क्षेत्र शून्य है।
भारतीय वन सर्वेक्षण हर दो वर्ष बाद जनपदवार वन क्षेत्र का अध्ययन करता है। यह सर्वे सेटेलाइट और आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से किया जाता है। वर्ष 2019 में मेरठ का वन क्षेत्र कुल भूभाग का 2.67 प्रतिशत था। वर्ष 2021 में भी इसमें कोई परिवर्तन नहीं आया। वहीं पिछले छह साल में जनपद में 80 लाख से अधिक पौधों का रोपण किया गया है।
डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर रैपिड रेल और एक्सप्रेस वे जैसी परियोजनाओं के निर्माण में पेड़ों का भारी कटान हुआ है। वहीं वर्ष 2016 और 17 में हस्तिनापुर और कई क्षेत्रों में भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त करा उसमें बड़े पैमाने पर पौधरोपण कराया गया है। जिसके फलस्वरूप वन क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है। आगे के वर्षों में इसमें और सुधार आएगा।
दो गुनी हुई जंगल में आग लगने की घटनाएं रिपोर्ट में इस बार जनपद वार जंगलों में आग लगने की घटनाएं भी दर्ज की गई हैं। 2021-22 में छह और वर्ष 2023-24 में 15 घटनाएं हुई। इससे भी वन संपदा में भारी क्षति हुई है।
बागपत में कम हुआ वन क्षेत्र
मेरठ की तुलना में बागपत में वन क्षेत्र 11.96 प्रतिशत है। यहां पर 0.32 प्रतिशत की कमी आई है। मुजफ्फरनगर में मेरठ की तुलना में वन क्षेत्र की स्थ चिंताजनक मिली। यहां पर केवल 1.97 प्रतिशत वन क्षेत्र ही है।
मेरठ जनपद में कुल भूभाग-2500.86
वन की श्रेणी वर्ष 2021 वर्ष 2023
अति घना वन क्षेत्र 0 0
मध्यम घना वन क्षेत्र 34 34.59
खुला वन क्षेत्र 34.4 56.74
कुल प्रतिशत 2.67 3.65
कुल वन क्षेत्र 0 0