विभिन्न कारण बताकर कभी यातायात पुलिस और कभी नगर निगम के लोगों द्वारा आए दिन मोटी रकम के चालान और वसूली करने के साथ ही बकायेदारों की दुकान पर सील भी लगाई जाती रही है लेकिन देर से ही सही अब नागरिकों को अपने अधिकारों का ख्याल तो आया। क्योंकि अभी तक कोई भी सुविधा पूरी तौर पर उपलब्ध कराने में अक्षम ज्यादातर लोग कानून का पालन कराने के नाम पर उत्पीड़न तो भरपूर करते नजर आते थे लेकिन सरकारी ने जो नागरिकों के लिए सुविधाएं तय की हुई हैं वो उपलब्ध कराने के नाम पर लगभग जीरो ही नजर आ रहे हैं और इसका नजारा गडढों से युक्त टूटी सड़कें, चारो ओर फैली गंदगी और नागरिकों के समक्ष आने वाली समस्याओं को देखा जा सकता है लेकिन गत दिवस शहर के जगन्नाथपुरी ट्रांसपोर्ट नगर आदि में जब नगर निगम की टीम बकाया गृहकर की वसूली के लिए पहुंची तो वहां के निवासियों ने शांति पूर्ण विरोध करते हुए कहा कि पहले सुविधाएं दो बाद में टैक्स जमा करेंगे। जददोजहद के बाद टीम वापस लौट गई। इसी प्रकार बीते दिवस दिल्ली देहरादून हाईवे किनारे पर अंसल टाउन कॉलोनी में जब नगर निगम की टीम गृहकर वसूली के लिए पहुंची तो सोसायटी के पदाधिकारियों और निवासियों ने उसका विरोध किया और कहा कि पहले सुविधाएं उपलब्ध कराओ फिर गृहकर जमा करेंगे। यहां से भी टीम वापस लौट गई बताते हैं। कॉलोनी की सोसायटी अध्यक्ष मोनिका पंुडीर का कहना था कि नगर निगम ने बड़ी संख्या में पुराने बिलों को एक साथ जोड़कर भेज दिया और अब पूरे बिल वसूली का जोर डाल रहे हैं।
मैं नगर निगम के टैक्स वसूली या यातायात पुलिस के चालान करने का विरोधी तो नहीं हूं क्योंकि अगर नियमों का उल्लंघन करने वालों पर शिकंजा नहीं कसेगा तो कानून का राज केसे कायम होगा। उसी प्रकार करों की वसूली नहीं होगी तो विकास किस प्रकार हो पाएगा। मगर एक बात स्पष्ट हैं कि प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ जी और उनकी सरकार द्वारा जनता के लिए जो सुविधा देने के लिए बजट दिया जा रहा है लेकिन कुछ विभागों के अफसरों की लापरवाही के चलते कोई भी सुविधा पूरी तौर पर नहीं मिल पा रही है। गंदगी से नई बीमारियां पैदा हो रही है। कुछ विभाग से संबंध काम आसानी से नहीं हो रहा है। मेरा भी मानना है कि हिंसा तो कहीं नहीं होनी चाहिए लेकिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दिखाए मार्ग और नीतियों पर चलते हुए अपने अधिकारों की मांग करना और ना मिलने पर शांति पूर्ण विरोध करना अपना अधिकार है और वो भी उस परिस्थिति में जब सरकार हर मामले में अफसरों को निर्देश दे रही है। व्यवस्था उपलब्ध करा रही है और जनता से वसूली का बड़ा हिस्सा जनहित के कार्यों को पूरा कराने के लिए विभागों को दिया जा रहा है लेकिन कुछ वर्षों में बजट तो बढ़ रहा है लेकिन सुविधाएं समाप्त हो रही है। ऐसी परिस्थिति में नागरिकों का अपने अधिकारों व सुविधाओं की मांग करना गलत नहीं है। कुछ लोगों की इस बात से मैं भी सहमत हूं कि अब हर विभाग के अफसरों से यह आशा की जाएगी की वह टैक्स की वसूली करे लेकिन पहले सुविधाएं उपलबध कराएं क्योंकि टैक्स वसूली तभी हो सकती है जब आम आदमी को सहूलियतें दी जाएं। मुझे लगता है कि सीएम योगी और हर मंत्री को जिलों में असफल हो रहे अफसरों को महत्वहीन पदों पर भेजा जाए और काम करने वाले अच्छे अधिकारियों को जिम्मेदारी के पद पर भेजा जाए जिससे नागरिकों को ना तो टैक्स देने में परेशानी हो और ना अपने अधिकारों के लिए मांग करनी पड़े। नागरिकों के तेवरों से स्पष्ट हो रहा है कि अब काम का पैसा कुछ लोगों की जेब में नहीं जा पाएगा। जनता के बीच जाना है तो योजनाओं का लाभ देना ही होगा। मतदाता अपने अधिकारों के प्रति हो रहे हैं जागरूक। अब जनप्रतिनिधियों को भी सतर्क हो जाना चाहिए
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
नागरिकों ने मांगी सुविधाएं, वसूली के लिए गई टीम हुई वापस, देर से ही सही अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता तो आई, मतदाता अपने अधिकारों के प्रति हो रहे हैं जागरूक, अब जनप्रतिनिधियों को भी सतर्क हो जाना चाहिए
Share.