मेरठ 06 जून (प्र)। हाइवे इसलिए बनाए जाते ताकि लोग शीघ्र व सुगमता से अपना सफर पूरा कर सकें यही सपना केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गड़करी का भी है, लेकिन एनएच 158 जिसकी सीमा मेरठ से शुरू होकर मुजफ्फरनगर तक जाती हैं, वहां प्रोजेक्ट डायरेक्टर अमित प्रणव न केवल केंद्रीय मंत्री के प्रयासों को पलीता लगाने पर तुले हैं, बल्कि धन कुबेर बनने के लालच में एनएच-58 से गुजरने वालों का जीवन भी खतरे में डाल रहे हैं। इतना ही नहीं अपनी कारगुजारियों से ये केंद्रीय मंत्री व विभाग की आलोचना व जगहंसाई की वजह बन रहे हैं। जब से इनकी तैनाती मेरठ में हुई है तब से एनएच-58 पर अवैध ढावों, अवैध कॉलोनियों, शोरूम और खोखेनुमा दुकानों का जाल बिछ गया है। इन्होंने इन्हें अपनी मोटी कमाई का जरिवा बना लिया है। इतनी कारगुजारियों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कमाई के चक्कर में यहां से गुजरने वाले यात्रियों का जीवन तो खतरे में डाल ही रहे हैं। साथ ही हाइवे को लेकर जो कायदे कानून मंत्रालय ने बनाए हैं। उनको भी ये अपने बूटों तले कुचलने में लगे हैं।
एनएच-58 पर पी डी नोटिस की आड़ में अवैध कमाई का खेल खेल रहे हैं। हो ये रहा है कि हाइवे पर एक अवैध ढाबे या शोरूम अथवा कॉलोनी को देख जब कोई दूसरा शख्स वहां पर ढाबा या ऐसे ही कोई दूसरा काम करता है तो उसको तब तक नहीं छेड़ा जाता, जब तक वहां पूरा अवैध निर्माण पूरा नहीं कर लिया जाता है। जब अवैध निर्माण व कब्जा पूरा कर लिया जाता है, उसके बाद शुरू होता है, पी डी का नोटिस का खेल। वहां नोटिस भेजा जाता। नोटिस के बाद बुलेरो में स्टाफ भेजा जाता है। स्टाफ के लोग जिन्होंने भी अवैध निर्माण या कब्जा किया होता है, उसको डराने धमकाने का काम शुरू करते हैं। उसको बोला जाता है कि रास्ता बंद कर दिया जाएगा। दीवार खड़ी करा दी जाएगी। मुकदमा दर्ज कर कर और भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। बुलेरो वाला स्टाफ जब सामने वाले को इस तरह डराना और धमकाना शुरू करता है तो उसके बाद वहां सौदेबाजी शुरू हो जाती है। पी डी के यदि काले कारनामों का मसौदा तैयार किया जाए तो उस पर एक पूरा उपन्यास लिखा जा सकता है नोटिसों की संख्या तो बिलकुल सैकड़ों में हो सकती है, लेकिन बड़ा सवाल ये कि कार्रवाई कितनों पर की गयी।
क्या किसी एक को भी हाइवे से पीछे हटाया गया है। जवाब मिलेगा नहीं वो इसलिए क्योंकि तमाम कार्रवाईयों अवैध कमाई के सामने कमजोर पड़ जाती हैं या तो कार्रवाई की जाएगी या फिर अवैध कमाई की जाएगी कार्रवाई की कोई सूरत नजर नहीं आती, अवैध कमाई दोनों हाथों से की जा रही है। इसका प्रमाण एनएच-58 पर रोड के दोनों साइड करा दिए गए अवैध कब्जे हैं। और सबसे बड़ी बात प्रत्यक्ष को किसी प्रमाण की जरूरत नहीं होती। जहां इन्होंने अवैध कब्जे करा दिए हैं, वहां किसी प्रकार के प्रमाण की जरूरत नहीं है। वो हर किसी को नजर आ रहे हैं। इस तरह के कोई एक दो मामले नहीं होते हैं। एनएच-58 पर जितने भी अवैध ढाबे, दुकानें व अवैध कॉलोनियां बनी हैं सभी पी डी की सौदेबाजी की देन हैं। इस सौदेबाजी की शुरुआत नोटिसों से शुरू की जाती है। ताबड़तोड़ नोटिस जारी भेजकर केवल दबाव बनाया जाता है। आज तक एक भी ऐसा मामल नहीं जानकारी में जिसमें किसी के खिलाफ पी डी ने कोई मुकदमा दर्ज कराया हो या फिर किसी प्रतिष्ठान के सामने दीवार खड़ी करायी है या कहीं कोई ध्वस्तीकरण कराया है। इसके इतर इतना जरूर नजर आता है एनएच-58 पर परतापुर से लेकर मुजफ्फरनगर तक अवैध ढाबों, बड़े-बड़े कांप्लेक्स और शोरूम तथा दुकानों की बाढ़ जरूर आ गयी है।
एनएचएआई की सर्विस रोड तक दी बेच
नियमानुसार हाइवे से एक निश्चित दूरी पर ही कोई भी ढाबा या दुकान अथवा शोरूम हो सकता है। इसी तरह के नियम कॉलोनियों के लिए भी बनाए गए हैं, लेकिन अकूत कमाई के लालच में इन्होंने तमाम कायदे कानूनों को ताक पर रखकर हाइवे किनारे पर ही ढाबे और दुकानें बना दी हैं। कई शोरूम तक बनवा दिए हैं और तो और इन्होंने एनएचएआई की जमीन तक पर भूमाफियाओं के कब्जे करा दिए हैं। इसका बड़ा प्रमाण एनएच-58 के मेरठ में खड़ौली स्थित अवैध कॉलोनी वेदा सिटी है। इस कॉलोनी में आने जाने के लिए सर्विस रोड के लिए छोड़ी गयी जगह पर कॉलोनी काटने वालों ने न केवल कब्जा किया है, बल्कि उस पर अपनी कॉलोनी में आने जाने के लिए बाकायदा पक्का रास्ता तक बना लिया है।
पी डी की कारगुजारियां यहीं तक सीमित नहीं रही है। प्रोजेक्ट डायरेक्टर अमित प्रणव ने जब से बतौर पी डी यहां चार्ज संभाला है, तब से अवैध कब्जों के लिए बदनाम एनएच-58 का खड़ौली समेत पूरा परतापुर से मुजफ्फरनगर तक का हाइवे अवैध कब्जों से पट गया है। काली कमाई के लिए इनकी कारगुजारियों का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मनाही के बावजूद हाइवे पर अवैध कॉलोनियां काटने वाले जहां से चाहे कट खोल कर रास्ता बना लेते हैं। हाइवे से सटाकर जहां जो चाहे ढाबा बना लेता है। यदि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय से उच्च स्तरीय जांच कमेटी एनएन 58 पर करवा दिए गए अवैध कब्जों की जांच को पहुंच जाए तो प्रोजेक्ट डायरेक्टर अमित प्रणव के खिलाफ केंद्रीय मंत्री की कलम से कम से कम निलंबन सरीखी कार्रवाई तय मानी जाए।
पी डी के खिलाफ सीबीआई जांच की आहट
एनएच-58 पर प्रोजेक्ट डायरेक्टर अमित प्रणव ने जो कुछ किया है। उसको लेकर कुछ एनजीओ ने सीबीआई को पूरे मामले की जानकारी दी है या फिर भेजने की तैयारी है। जिसके चलते माना जमा रहा है कि सीबीआई अमित प्रणव पर शिकंजा कस सकती है। यदि ऐसा हुआ तो अमित प्रणव ही नहीं उनके ऑफिस के दूसरे कर्मचारियों से भी पूछताछ संभव है। जानकारों की मानें तो एनएच-58 पर जितने भी ढाबे, अवैध कॉलेनियां व रोड साइड में खोखेनुमा दुकानें बनवाई गयी हैं। उन सभी की जानकारियां ठोस साक्ष्य के साथ एनजीओ द्वारा सीबीआई को प्रेषित की गयी हैं या फिर भेजने की तैयारी है। हालांकि अधिकृत रूप से कोई एनजीओ इसको लेकर मुंह खोलने के तैयार नहीं है, लेकिन इसको लेकर जबरदस्त चर्चा है कि जो साक्ष्य भेजे गए हैं उनके आधार पर सीबीआई अमित प्रणव के खिलाफ शिकंजा कस सकती है।
हाइवे से गुजरने वालों का जीवन खतरे में
अवैध कमाई के लालच में प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने एनएच-58 से गुजरने वालों का भी जीवन खतरे में डाल दिया है। वो कैसे यह भी बता देते हैं। पीडी से सेटिंग- गेटिंग कर हाइवे पर जो अवैध ढाबे, अवैध कॉलोनियां व दुकान वालों ने बना लिए हैं, उनसे अचानक कोई भी निकल कर आ जाता है जो गाड़ी हाइवे से होकर गुजरती है आमतौर पर उसकी स्पीड अधिक ही रहती है। कई बार स्पीड इतनी ज्यादा होती है कि अचानक किसी के सामने आने की वजह से चालक नियंत्रण नहीं रख पाता है। अनेक ऐसे हादसे हो भी चुके हैं, लेकिन लगता है कि अवैध कमाई को लेकर सब कुछ भूले बैठे पी डी को इस बात से कोई सरोकार नहीं कि उनकी गलतियों से किसी का जीवन खतरे में पड़ सकता है।