देर से ही सही आखिर सरकार ने विकास कार्याे को गति देने और गुणवत्तापूर्ण कार्य समय से कराने के लिए जिलों में विधायकों की अध्यक्षता में समितियां बनाने का निर्णय लिया तो सही। बताते चलें कि जिस प्रकार से ज्यादातर सरकारी कार्यों में घोटाले और भ्रष्टाचार के मामले खुलते हैं और उनमें या तो कार्रवाई नहीं होती या लंबी खिंच जाती है। क्योंकि एक एक मामले में कई कई लोग फंसे होते हैं और उन्हें बचाने हेतु जो प्रयास शुरू होते हैं उनके चलते दोषियों को समय से पूर्ण सजा नहीं मिल पाती। या अधिकारी फाइलें दबाकर बैठ जाते हैं।
पिछले एक दशक से मेरे द्वारा कई बार जिलों में विकास समय से कार्य को पूरा कराने के लिए सांसदों और विधायकों की अध्यक्षता में समितियां गठित करने की मांग की जाती रही है। अब जाकर अनुश्रवण समिति द्वारा जिलों में निर्देश दिए गए हैं। विधानसभा की विशेष अधिकार समिति के अनुसार समिति की अध्यक्ष विधान सभा या विधानपरिषद के वरिष्ठ सदस्य करेंगे और इसके सदस्य सचिव मुख्य विकास अधिकारी होंगे। जिला विकास अधिकारी समिति के संयोजक बनाए जाएंगे। जनपदों में होने वाले विकास कार्यांे की समीक्षा और निगरानी के लिए बनी इस समिति को मुझे लगता है कि नगर निगम, विकास प्राधिकरण और आवास विकास भी इसके कार्यक्षेत्र में लाए जाएं और समिति को यह अधिकार दिए जाएं कि भ्रष्टाचार की जानकारी मिलती है तो उसकी सूचना पत्रावलियों और शिकायतों के साथ समिति के समक्ष प्रस्तुत किए जाएं और समिति को दोषियों पर कार्रवाई का अधिकार हो। वो इससे हटकर भी अगर सरकारी पैसे या अधिकारों का दुरूपयोग होने की खबर मिले तो उसकी सिफारिश पर सरकार कार्रवाई करे।
जनहित में हर जिले में या तो इस समिति को अधिकार दिए जाएं या नई समिति बनाई जाए जो पुलिस से संबंध प्रकरणों की समीक्षा कर पीड़ितों को न्याय दिलाने के साथ ही थानेदारों सहित हर स्तर के अफसर से संबंध मामला शासन को भेजकर कार्रवाई करा सके। अगर आवश्यक हो तो खुद भी इसमें निर्णय ले सके। फिलहाल विधानसभा की विशेषाधिकार समिति द्वारा अनुश्रवण समिति बनाने के निर्देश देने के लिए बधाई क्योंकि इससे किसी ना किसी रूप में आम आदमी को भी लाभ मिलेगा। और जो जांचों में सरकारी पैसे की बंदरबाट होने की खबरों पर भी रोक लगेगी।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
जिलों में विधायकों की अध्यक्षता में समिति बनाने का निर्णय है सराहनीय थानेदारों की कार्यप्रणाली पर भी नजर रखने को भी हो ऐसा ही फैसला
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