परतापुर स्थित कान्हा उपवन में मौजूद 680 गौवंश के भूखे रहने चारा चोकर पर 35 लाख खर्च होने तथा पैसे का हिसाब न होने और पूर्व में 21 बीमार गौवंश में 5 की मौत के बाद विवादों में आये गौवंश का चारा चोकर खाने के आरोप में नगर निगम के पूर्व पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी और कान्हा उपवन के प्रभारी डा0 हरपाल सिंह को उनके घर से बीते सोमवार रात को ही पकड़ लिये जाने के बाद गत दिवस जेल भेज दिया गया। जानकारों का कहना है कि प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की नाराजगी के चलते यह कार्रवाई हुई वर्ना नगर निगम तो ऐसे ही अन्य मामलों में हमेशा ही मीडिया की सुर्खियों और पार्षदों व जागरूक नागरिकों के आरोपों के निशाने पर रहता है। डा0 हरपाल सिंह का कहना है कि मुझे षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है। जो भी हो नगर निगम में बहुत दिनों बाद इतनी बड़ी कार्रवाई भ्रष्टाचार और घोटालों को लेकर हुई। लेकिन सवाल उठता है कि क्या इन घपलों में और गौवंश की मौतों और उन्हें समय से चारा न मिलने में सिर्फ डा0 हरपाल सिंह ही दोषी है तो कुछ जागरूक नागरिकों का यह कहना सही लगता है कि अगर सही से जांच हुई तो कई दिग्गज भी इस मामले में बेनकाब हो जाएंगे क्योंकि बार बार शिकायतों के बावजूद उनके द्वारा पूर्व में समय से कार्रवाई क्यों नहीं की और क्या इससे सबक लेकर भ्रष्टाचार के अन्य मामलों में महापौर और नगर आयुक्त अपने स्तर पर अभी भी कोई कार्रवाई करेंगे।
डा0 हरपाल सिंह अपनी नियुक्ति के बाद से किसी भी पद पर रहे हो लेकिन विवाद उनके इर्दगिर्द बने रहने की खबरे हमेशा ही पढ़ने और सुनने को मिलती थी तो पहले कार्रवाई क्यों नहीं की गई। जबकि सफाई आदि को लेकर आये दिन हंगामा होने की खबरें सुर्खियों में नजर आती थी। इस संदर्भ में एक खबर के अनुसार डा0 हरपाल सिंह के एक भाई चित्रकूट में एएसपी और क्योंकि ससुर धर्मवीर अशोक बसपा सरकार में जेल मंत्री रहे। खैर जो भी हो अब अगर शिकंजा कसा है तो अन्य दोषियों का क्या होगा यह तो समय ही बताएगा। मगर जानकारों का कहना है कि बीएनएस 316/5 सरकारी संपत्ति के गबन में 7 साल तक उम्र कैद की सजा हो सकती है। एक चर्चा अब यह भी खूब है कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में हुए भुगतान का मार्च अप्रैल मई जून का रजिस्टर चैक नहीं किया गया और भुगतान भी हो गया। बताते है कि पूर्व में प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह ने कान्हा उपवन का निरीक्षण किया था। उसमें क्षमता से अधिक गौवंश मिलने सफाई न होने संबंधित रजिस्टर उपलब्ध न कराये जाने पर डा0 हरपाल सिंह को हटाने के निर्देश दिये गये थे।
इस संदर्भ में भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व में भाजपा पार्षद दल के नेता रहे वर्तमान में संयुक्त व्यापार संघ के अध्यक्ष अजय गुप्ता का यह कहना बड़ा महत्वपूर्ण है कि इस मामले में अकेले डा0 हरपाल सिंह ही नहीं महापौर हरिकांत अहलुवालिया और नगर आयुक्त सौरभ गंगवार की भी जबाव देही तय हो। गंभीर जांच होगी तो कई राज खुलेंगे और जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों के विरूद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। नगर निगम के पार्षद उत्तम सैनी का कहना है कि गौशाला में बड़ा भ्रष्टाचार चल रहा था और अधिकारियों में पैसे का बंदरबांट हो रहा था। उत्साही पार्षद अनुज वशिष्ठ का कहना है कि उन्होंने बोर्ड बैठक में गौशाला का मामला उठाया था मगर सुधार नहीं किया गया। डा0 हरपाल सिंह के अलावा अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।
सवाल यह उठता है कि जब 21 गौवंशों में से 5 की मौत हुई तो उनका पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराया गया।घायल बीमार गौवंशों को कहां कहां से लाया गया इसका भी जिक्र भी कहीं नहीं किया गया। अब जब इतने बड़े घोटाले खुलकर आ रहे है तो गौवंशों को रखने के लिए टीनशेड और अन्य व्यवस्थाऐं इससे पहले क्यों नहीं की गई इसके लिए तो सीधे सीधे कुछ नागरिकों के मौखिक रूप से कहे अनुसार महापौर और नगर आयुक्त की लापरवाही नजर आती है क्योंकि हरिकांत अहलुवालिया जी जनप्रतिनिधि है और नगर आयुक्त शासन के। दोनों की जिम्मेदारी बनती थी कि वो सरकार की योजना और माननीय मुख्यमंत्री जी की भावनाओं के तहत यहां होने वाली अनियमिताओं को समय से दूर कराते। डा0 हरपाल सिंह कितना दोषी है और कौन कौन इसमें शामिल रहा यह तो उच्च स्तर पर जांच होने के बाद ही मालूम होगा। लेकिन फिलहाल जेल जाने का आदेश सुनकर आंसू छलकाने वाले डा0 हरपाल सिंह को किसी की कोई सिमपेथी नहीं है। बताते चले कि पूर्व में गौवंश की देखरेख और उनकी मृत्यु का वीडियो वायरल होने के बाद अखिल भारतीय हिन्दू सुरक्षा संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सचिन सिरोही भी इससे पूर्व डा0 हरपाल सिंह को हटाने और उनकी गिरफ्तारी की मांग कर चुके थे। इतना सब कुछ होने के बाद अब गौशाला की निगरानी में 12 सीसीटीवी कैमरे तथा 6 होमगार्ड लगाने और अन्य व्यवस्थाऐं करने को लेकर नागरिकों का कहना है कि यह सब महापौर और नगर आयुक्त अपनी कमियों को छिपाने और लापरवाही की ओर से नागरिकों का ध्यान हटाने के लिए कर रहे है। भविष्य में यह भी हो सकता है कि जेल गये और अपने आपको निर्दोष बताने वाले और अपने साथ षड़यंत्र होने की बात करने वाले डा0 हरपाल सिंह भी पूछताछ में कई खुलासे कर सकते है ऐसी चर्चाऐं आज सुनने को मिली। इस मामले में लिपिक विकास शर्मा को भी निलंबित किया गया बताते है और गौशाला के केयरटेकर की पूर्व में ही सेवा समाप्त की जा चुकी है और अब उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई गई है। कुछ लोग इस बात पर भी सवाल उठा रहे है कि सहायक नगर आयुक्त शरद पाल से गौशाला का प्रभार छिनकर ही उनकी जगह अपर नगर आयुक्त पंकज सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई है। और नगर स्वास्थ अधिकारी डा0 गजेन्द्र सिंह को सीएमओ कार्यालय से संबंध कर दिया गया है। जानकारों में चर्चा है कि इनके विरूद्ध इस प्रकरण में कोई सख्त कार्रवाई क्यों नहीं की गई।
पशु क्रुरता सरकारी धन के दुरूपयोग कार्य में लापरवाही के लिए नगर निगम से विभिन्न रूपों में संबंध रहे बहुत से नागरिकों व पार्षदों का ऐसा मानना है कि इसमें निगम के कई और दिग्गज बेनकाब हो सकते है अगर सही जांच हो तो। इसलिए इस पूरे प्रकरण और निगम के अन्य कार्यों जिसमें घोटाले और लापरवाही के आरोप लगते रहे हो उसकी जांच मेरठ मंड़लायुक्त किसी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से कराये जिससे बिना किसी दबाव के जांच हो और परिणाम सामने आ सके।
(प्रस्तुतिः- रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
गौवंश मामले में डा0 हरपाल सिंह को हो सकती है उम्रकैद तक की सजा, अजय गुप्ता बोले- महापौर और नगर आयुक्त की भी जबाव देही हो तय, कान्हा उपवन को लेकर पूर्व में हुई शिकायतों पर उच्च स्तर पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई, कई दिग्गज हो सकते है बेनकाव
Share.
