मेरठ 12 अगस्त (प्र)। साल 2018 में प्रदेश के 43 जनपदों जिनमें मेरठ टॉप 10 में शामिल था, में अंजाम दिए गए राशन घोटाले में तत्कालीन प्रमुख सचिव खाद्य ने जिन खाद्यान्न अफसरों के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए थे, पांच साल बाद भी उन अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सका। एफआईआर दर्ज करने के आदेश डीएम को दिए गए थे, यह बात अलग है कि प्रमुख सचिव खाद्य के आदेश डंप कर दिए गए। वहीं दूसरी ओर इस मामले में 102 राशन डीलरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई थी। ये सभी राशन डीलर हाईकोर्ट से जमानत पर हैं इतने बड़े राशन घोटाले में जांच एजेंसियों केवल इतना किया कि डीएसओ के तत्कालीन प्राइवेट ऑपरेटर को गिरफ्तार कर जेल भेजा, वो भी बाद में जमानत पर बाहर आ गया। प्राइवेट ऑपरेटर के अलावा शास्त्री नगर के एक राशन डीलर को भी जेल भेजा गया। राशन घोटाले में शास्त्रीनगर के राशन डीलर की यह पहली गिरफ्तारी थी। उसको जेल भेजने के बाद जांच एजेंसियों ने जेल भेजने का डर दिखाकर बाकी के राशन डीलरों से केवल सेटिंग- गेटिंग का काम किया। बताया जाता है कि घोटाले में लिप्त जिस भी राशन डीलर की सस्ते गल्ले की दुकान पर जांच एजेंसियां पहुंची, वहां जांच के नाम पर किसी की भी गिरफ्तारी के बजाय केवल सेटिंग गेटिंग की गयी और डीलर को हाईकोर्ट से स्टे का वक्त दिया गया, नतीजा यह हुआ कि तमाम डीलर जो राशन घोटाले में फंसे थे वो स्टे ले आए। कार्रवाई की जिम्मेदारी जिन एजेंसियों को दी गयी थी, उन्होंने पूरी जांच को ही मजाक बनाकर रख दिया।
फूड सेल की जांच में अफसर कटघरे में
शासन ने मामले की जांच फूड सेल को सौंपी। फूड सेल ने जो जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी उस जांच रिपोर्ट में तमाम खाद्य अफसरों को कसूरवार माना। डीएसओ के तमाम अफसरों को कठघरे में ठहराते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की फूड सेल के तत्कालीन जांच अधिकारी सतीश सिन्हा ने जो जांच रिपोर्ट खाद्य आयुक्त को भेजी, उस जांच रिपोर्ट के आधार पर ही मनीष चौहान ने नौ सितंबर 2020 को डीएम मेरठ को फूड सेल की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए डीएसओ आफिस के प्राइवेट ऑपरेटर शाहनवाज, सप्लाई इंस्पेक्टर अजय, डीएसओ विकास गौतम जिन्हें शासन ने राशन घोटाले में निलंबित भी किया उनके खिलाफ धारा 120 बी, 420, 467, आईपीसी व धारा 13 (1) डीभ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराने को कहा। राशन घोटाले में शाहनवाज व शास्त्रीनगर के राशन डीलर को तो जेल भेजा गया, लेकिन किसी अन्य राशन डीलर या डीएसओ कार्यालय के अफसर को जेल नहीं भेजा गया। इसके अलावा इस मामले में कार्रवाई भी वहीं अटकी है।
डीएसओ ने किए हजारों राशन कार्ड सस्पेंड
हजारों की संख्या में राशन कार्ड तीन माह के लिए सस्पेंड कर दिए गए हैं। जिन राशन कार्ड का अभी तक केवाईसी नहीं कराया गया है, उन सभी को सस्पेंड कर दिया गया है। इन्हें अब तभी राशन मिल सकेगा जब ये केवाईसी करा लेंगे। डीएसओ विनय सिंह ने बताया कि इस संबंध में शासनादेश आने के बाद यह कार्रवाई की गयी है। शासनादेश में कहा गया है कि ऐसे सभी राशनकार्ड जिनकी ई-केवाईसी नहीं है, उनके खाद्यान्न तीन माह के लिए सस्पेंड कर दिए जाएं। इसमें पांच माह के बच्चों तक को केवल छूट दी गयी है। उन्होंने बताया कि ई-केवाईसी के लिए कार्ड धारकों को रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर पर एसएमएस के माध्यम से रिमाइण्डर भेजा जाएगा। यदि कार्ड धारक तीन माह में भी केवाईसी नहीं करते तो कार्ड से उनकी यूनिट पूरी तरह से निरस्त कर दी जाएगी। जो कार्ड धारक तीन माह के भीतर केवाईसी करा लेंगे उनको राशन मिल जाएगा जो नए राशन कार्ड बन रहे हैं तथा जो राशन कार्ड वर्तमान में चल रहे हैं उन सभी को केवाईसी कराना अनिवार्य है। विनय सिंह ने बताया कि यदि किसी वजह से ई-केवाईसी नहीं हो पाती है। तो आधारकार्ड सेंटर से पहले अपना आधार कार्ड अपडेट करा लें उसके बाद राशन डीलर से जाकर ई-केवाईसी कराएं।