Thursday, November 13

अलेक्जेंडर क्लब के चुनाव को मतभेदों के बजाए मनभेद न बनाया जाए, खेल भावना से यह काम हो और एक दूसरे पर लाछन लगाते हुए कमियां न निकाली जाए वो ही क्लब और सबके हित में है

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मेरठ 06 सितंबर (दैनिक केसर खुशबू टाइम्स)। शहर के प्रतिष्ठित अलेक्जेंडर एथलेटिक्स क्लब के 14 सितंबर को होने वाले चुनावों के लिए भरे गये नामांकन की वापसी उपरांत अब यह स्पष्ट हो गया है कि मुकाबला परिवर्तन परिवार और एनबीपी पैनल के प्रत्याशियों के बीच सीधा होगा। बताते चले कि पिछले 15 दिन में कौन लड़ेगा कौन कौन मैदान छोड़कर भागेगा किसके साथ कौन कौन खड़ा होगा और कौन नहीं यह स्थिति साफ हो गई है। क्योंकि दोनों ही पैनल उनके उम्मीदवार और समर्थक सब एक ही परिवार के सदस्य के समान है इसलिए दोनों पैनलों के द्वारा आयोजित परिचय सम्मेलनों में सब जा रहे है। प्रचार के लिए आने वाले उम्मीदवारों का स्वागत भी खूब जोर शोर से हो रहा है। मगर चुनाव में ऊंट किस करवट बैठेगा कुछ कहा नहीं जा सकता यह तो पता परिणाम आने के बाद ही चलेगा। लेकिन काफी चुनावी तस्वीर खुलकर सामने आ रही है क्योंकि अब मुफ्त के चौधरी बनने वालों का पर्दाफाश हो गया है। कुछ चर्चाओं के अनुसार अपने आप को सुप्रीम समझने वाले एक डाक्टर के यहां दोनों पैनलों के मुखियाओं की एक बैठक बीते दिनों हुई जिसमें एक स्कूल संचालक द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई लेकिन मामला जम नहीं पाया और पूर्व में मैदान छोड़ने की जो चर्चाएं चलती रही उसको लेकर किसी भी ग्रुप के उम्मीदवार मैदान से हटने को तैयार नहीं हुए। क्लब के पूर्व सचिव गौरव अग्रवाल द्वारा नामांकन के अंतिम समय में सचिव व उपाध्यक्ष पद पर किये गये नामांकन को लेकर कुछ समय भ्रम की स्थिति रही कि एनबीटी पैनल के उम्मीदवार बदल सकते है मगर ऐसा हुआ नहीं क्योंकि यह नामांकन एक रणनीति के तहत हुआ बताया जा रहा है। दूसरी तरफ परिवर्तन परिवार के कार्यकारिणी के लिए दो नामांकन फालतू होने से अफवाहों का जोर रहा लेकिन अंतिम समय में पैनल परिवर्तन परिवार के रणनीतिकार संजीव रस्तोगी झनकार और सीए संजय रस्तोगी तथा अन्य प्रमुख व्यक्तियों द्वारा समझाने बुझाने पर अनिल अग्रवाल व जैन साहब का नाम वापस हो गया। परिचय सम्मेलनों का जोर अभी मतदान के अंतिम समय तक चलने की उम्मीद है और इससे किसी को कोई एतराज भी नहीं हैं। मगर कुछ वरिष्ठ व रचनात्मक सोच रखने वाले सदस्यों का मानना है कि चुनाव से पूर्व सब एक थे और बाद में भी एक रहेंगे इसलिए ऐसे आरोप प्रत्यारोप न किया जाए जिससे वैचारिक मतभेद की बजाए मनभेद शुरू हो जाए। क्योंकि कमियां सब में होती है वो बात दूसरी है कि वो अलग अलग हो। मगर उन्हें लेकर एक दूसरे पर लाछन लगाये जाने लगे तो इस क्लब का चुनाव प्रतिष्ठित न रहकर चुस्तबंदी का अखाड़ा बनकर रह जाएगा। और ना वो उम्मीदवारों के हित में है और ना क्लब के। क्लब के लगभग 50 प्रतिशत सदस्यों का कहना है कि चुनाव खेल भावना से लड़ते रहना चाहिए वो ही ठीक है इसे व्यक्तिगत न बनाया जाए।

(प्रस्तुतिः- अंकित बिश्नोई राष्ट्रीय महामंत्री सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए व पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी)

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